बिजली बोर्ड में 2 साल के भीतर 17 कर्मचारी हादसे का शिकार

Edited By ,Updated: 06 May, 2015 04:52 PM

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हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड में कर्मचारी लगातार हादसे का शिकार हो रहे हैं। बीते 2 साल के भीतर ही 17 कर्मचारियों की काम के दौरान मृत्यु हुई है।

शिमला(कुलदीप): हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड में कर्मचारी लगातार हादसे का शिकार हो रहे हैं। बीते 2 साल के भीतर ही 17 कर्मचारियों की काम के दौरान मृत्यु हुई है। हादसों का मुख्य कारण कर्मचारी करीब 7,000 पदों का खाली होना बता रहे हैं, जिसके चलते कर्मचारियों पर काम का अधिक बोझ पड़ रहा है। लंबे समय से अपेक्षा के अनुरूप पदों को न भरे जाने से बोर्ड में इस समय अधिकांश कर्मचारी उम्रदराज हैं।
 
इस समय कार्यरत अधिकांश कर्मचारियों की औसतन आयु 40 से 50 साल के बीच है। ऐसे में अधिक आयु वर्ग के कर्मचारियों को ही बिजली के खंबों पर काम करने के लिए चढऩा पड़ता है। हालांकि बोर्ड में करीब अढाई दशक के बाद टी मेट 362 पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है, जिसके तकनीकी श्रेणी के कर्मचारियों की कमी को कुछ हद तक दूर किया जा सकेगा।

उपभोक्ता बढ़ने पर भी नहीं मिला स्टाफ-
बिजली बोर्ड लिमिटेड में समय के साथ उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ी, लेकिन उस हिसाब से स्टाफ नहीं मिला। वर्ष, 1985 में बोर्ड बोर्ड के जो कर्मचारी 6 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं दे रहे थे, उससे भी कम कर्मचारी आज 20 लाख उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस तरह जब बिजली बोर्ड बना था, ता उस समय कर्मचारियों की संख्या करीब 43 हजार थी, जो अब घटकर 20,000 रह गई है। हालांकि नए सिरे क्रियाशील पदों पर कार्यरत कर्मचारियों की संख्या तय करने के बाद अब स्वीकृत पदों की संख्या घटकर 24,908 तय की गई है, जिसमें से करीब 7,000 पद खाली पड़े हैं।
 
टैक्नीकल श्रेणी के 4000 पद खाली-
बोर्ड में सबसे अधिक टेक्नीकल स्टाफ की आवश्यकता रहती है। इसके भी इस समय करीब 4000 पद खाली पड़े हैं। इसमें भी द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के पद खाली पड़े हैं।
 
नॉन टेक्नीकल श्रेणी के 3000 पद खाली-
बोर्ड में इस समय नॉन टेक्नीकल स्टाफ के करीब 3000 पद खाली पड़े हैं। इसमें तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के सबसे अधिक पद खाली पड़े हैं। इससे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
 
खाली पदों के साथ आवश्यक सुरक्षा सामान भी कम-यूनियन
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड इंप्लाइज यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा व महासचिव हीरालाल वर्मा ने प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि लंबे समय से कर्मचारियों के खाली पदों को न भरने और आवश्यक सुरक्षा उपकरणों की कमी से इस तरह के हादसे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बार कर्मचारियों को दस्ताने, सुरक्षा बेल्ट और जूते सहित आवश्यक सामान भी उच्च क्वालिटी का नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि कर्मचारी राज्य की सेवा करते हुए शहीद हुए हैं, लेकिन उनके परिजनों को उचित सुविधा और आश्रितों को नौकरी देने में भी देरी की जा रही है। उन्होंने मृतक आश्रितों को नौकरी देने व खाली पदों को शीघ्र भरने की मांग की।

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