पंजाब बोर्ड के 10वीं के परिणाम में सरकारी स्कूल रहे फिसड्डी

Edited By ,Updated: 19 Jun, 2015 03:26 AM

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पंजाब बोर्ड के 10वीं के परिणाम में हमेशा की तरह इस बार भी सरकारी स्कूल कुछ खास नहीं कर पाए, जिस ...

जालन्धर (सुमित) : पंजाब बोर्ड के 10वीं के परिणाम में हमेशा की तरह इस बार भी सरकारी स्कूल कुछ खास नहीं कर पाए, जिस कारण जहां ओवरआल रिजल्ट तो कम रहा वहीं  जिला जालन्धर का रिजल्ट तो उम्मीद से काफी पिछड़ गया। इस घटिया परिणाम के पीछे जिन स्कूलों की प्रमुख भूमिका रही उनकी जांच-पड़ताल अब ‘पंजाब केसरी’ द्वारा की जा रही है ताकि घटिया परिणाम के कारणों का पता लगाया जा सके। आज हम यहां जिस स्कूल की बात कर रहे हैं वह शहर के बीचों-बीच हरनामदासपुरा में स्थित है। 
 
यह को-एड स्कूल है। स्कूल में विद्याॢथयों की कुल गिनती बहुत ज्यादा तो नहीं है परन्तु स्कूल के पास उपलब्ध जगह के हिसाब से 131 विद्याॢथयों की कुल गिनती ठीक ही है। स्कूल में 7 अध्यापकों का स्टाफ है। इनके अलावा और भी कर्मचारी हैं। 7 अध्यापकों में सभी मुख्य विषयों के अध्यापक शामिल हैं परन्तु फिर भी इस स्कूल का नतीजा कुछ खास नहीं रहा और प्रतिशत के आधार पर यह स्कूल काफी पिछड़ गया।
 
सरकारी हाई स्कूल हरनामदासपुरा के कुल 19 विद्याॢथयों द्वारा 10वीं की परीक्षा दी गई थी। मई में आए परिणाम में इस स्कूल के मात्र 2 बच्चे ही पास हो पाए। इस तरह स्कूल का परिणाम सिर्फ 10.4 प्रतिशत ही रहा। अगर देखा जाए तो स्कूल में 7 अध्यापकों का स्टाफ है। अगर एक अध्यापक की औसत सैलरी 40 हजार प्रति माह लगाई जाए तो वह प्रतिमाह 2 लाख 80 हजार रुपए बनती है। 
 
इसके अलावा अन्य स्टाफ व और खर्चे भी हैं, जिनके चलते स्कूल का प्रतिमाह का खर्च 3 लाख से भी ऊपर बैठता है। जिस स्कूल पर 3 लाख प्रतिमाह सरकार के खर्च होते हैं उस स्कूल के 3 बच्चे भी 10वीं में पास नहीं हो पाए। ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग को भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि शिक्षा की बिगड़ती स्थिति को किस तरह संभाला जाए।

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