रक्षा विनिर्माण में 613 करोड़ के एफडीआई की मंजूरी

Edited By ,Updated: 04 Jul, 2015 05:24 PM

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औद्योगिक नीति एवं संवद्र्धन बोर्ड (डीआईपीपी) ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 16 नए प्रस्तावों को मंजूरी दी है जिसमें 613 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।

नई दिल्लीः औद्योगिक नीति एवं संवद्र्धन बोर्ड (डीआईपीपी) ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 16 नए प्रस्तावों को मंजूरी दी है जिसमें 613 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।  
 
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने आज बताया कि 10 जून को हुई पिछली बैठक में जिन कंपनियों को रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के लिए औद्योगिक लाइसेंस जारी किये गये हैं उनमें पीपावाव, टाटा समूह, सैमटेल थेल्स, सोलर इंडस्ट्रीज, टीटागढ़, वैगन्स, प्रीमियर एक्सप्लोजिव आदि शामिल हैं। 
 
उसने बताया कि इनमें कई प्रस्ताव तो सालों से लंबित थे। इन कंपनियों को हेलीकॉप्टर, विमान, रडार, बुलेट प्रूफ जैकेट तथा हेलमेट के साथ तोपों, हेलीकॉप्टरों, विमानों, रॉकेटों तथा मिसाइलों के दागे जाने वाले असलहे, मोर्टार बम, मिसाइल, ग्रेनेड, युद्धक वाहन आदि बनाने के लिए लाइसेंस जारी किए गए हैं।  
 
मंत्रालय ने बताया कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद रक्षा क्षेत्र में एफडीआई में तेजी आयी है और पिछले साल जून से अब तक मेक इन इंडिया अभियान के तहत रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से डीआईपीपी ने कुल 73 औद्योगिक लाइसेंसों की मंजूरी दी है जबकि इससे पहले 2011 से मई 2014 तक इस क्षेत्र के लिए सिर्फ 50 औद्योगिक लाइसेंस जारी किये गये थे। साथ सरकार ने कारोबार करना आसान बनाने के लिए रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के लिए जारी लाइसेंस की अवधि तीन साल से बढ़ाकर सात साल कर दी है।

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