सहमें स्विस बैंकों ने भारतीयों से 'अनुपालन खिड़की' का उपयोग करने को कहा

Edited By ,Updated: 31 Aug, 2015 12:53 PM

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कालाधन को लेकर भारत के नए कानून से भयभीत खई स्विस एवं यूरोपीय बैंकों ने अपने भारतीय ग्राहकों से यह कहना शुरू कर दिया है

लंदनः कालाधन को लेकर भारत के नए कानून से भयभीत खई स्विस एवं यूरोपीय बैंकों ने अपने भारतीय ग्राहकों से यह कहना शुरू कर दिया है कि वे भारत में कर अधिकारियों के समक्ष अपने खातों के बारे में खुलासा करें। इन बैंकों को कालाधन को बढ़ावा देने का आरोपी बनाए जाने का भय है। इन बैंकों में स्विट्जरलैंड व लंदन मुख्यालय वाले बैंक शामिल हैं जो अपने भारतीय ग्राहकों को विदेशों में जमा अघोषित संपत्तियों का खुलासा करने के लिए भारतीय कर अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए 'एक बार की अनुपालन खिड़की' का लाभ उठाने को कह रहे हैं। इनमें से कुछ बड़े वित्तीय संस्थानों के कार्यकारियों ने कहा है कि ये बैंक अपने ग्राहकों से नया शपथ पत्र भरने को भी कह रहे हैं जिसमें दिया गया है कि वे अपने देशों में सभी कानूनों का अनुपालन कर रहे हैं।

नए कानून के तहत, विदेशों में अघोषित संपत्तियों का खुलासा करने के लिए 3 महीने की अनुपालन खिड़की उपलब्ध कराई गई है। यह मियाद अगले महीने समाप्त हो रही है। यदि इस दौरान भारतीय विदेशों में जमा अपनी अघोषित संपत्ति का खुलासा करते हैं तो उन पर 30 प्रतिशत कर और 30 प्रतिशत जुर्माना लगा कर उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी और वे कानूनी कार्रवाई से बच जाएंगे। 

इस अनुपालन खिड़की की मियाद खत्म होने के बाद अघोषित विदेशी संपत्ति रखने वालों को 30 प्रतिशत कर देना होगा और उस पर 90 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा और उसे 10 साल तक की जेल की सजा भी होगी। इस कानून में कर चोरी को उकसावा देने वालों पर दंड का प्रावधान भी है। कर चोरी में अवप्रेरक की भूमिका निभाने वाले को 6 माह से 7 वर्ष तक की कठोर कारावास की सजा मिल सकती है और उस पर जुर्माना भी हो सकता है। भारत सरकार स्विट्रलैंड और अन्य देशों में भारतीय द्वारा जमा कालेधन को वापस लाने के लिए जोरदार प्रयास कर रही है।

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