Edited By ,Updated: 12 Sep, 2015 10:32 AM
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन के अंतिम पल गुजरात के सौराष्ट्र में भालका तीर्थ पर व्यतित किए थे। यह तीर्थ सोमनाथ मंदिर से महज 5 किमी. की दूरी पर स्थित है।
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन के अंतिम पल गुजरात के सौराष्ट्र में भालका तीर्थ पर व्यतित किए थे। यह तीर्थ सोमनाथ मंदिर से महज 5 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां स्थापित विग्रह भगवान श्रीकृष्ण के धरती पर अंतिम समय को उजागर करता है।
माना जाता है की इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण पेड़ की छांव में विश्राम कर रहे थे। उनके एक पैर में चमकती चीज को देखकर एक बहेलियां जो शिकार के मकसद से जंगल में आया था उसने तीर चला दिया। तीर सीधा भगवान के पैर में जाकर लगा भगवान चिल्लाए तो बहेलियां भागकर भगवान के पास आया और क्षमा याचना करने लगा।
मंदिर में स्थापित विग्रह में देखा जा सकता है बहेलिए की हाथ जोड़े, क्षमा मांगते हुए प्रतिमा, जो भगवान पर तीर चलाकर पछता रहा था। यह सब भगवान की इच्छा से ही हुआ था तभी तो उन्होंने बहेलिए को क्षमा दान दिया।
तीर लगने से व्यथित भगवान कृष्ण भालका से कुछ ही दूरी पर अवस्थित हिरण नदी के तट पर पहुंचे। सोमनाथ से हिरण नदी डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है। कहते हैं इसी स्थान पर भगवान पंचतत्व में विलीन हुए थे और बैकुंठ धाम को लौट गए थे। हिरण नदी के तट पर आज भी भगवान के चरणों का दर्शन किया जा सकता है। यह स्थान देहोत्सर्ग तीर्थ के नाम से जाना जाता है।
जहां बहेलिये ने भगवान पर तीर चलाया था समुद्र के तट पर बसे उस स्थान को बाणगंगा के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में समुद्र के अंदर शिवलिंग बना है। मंदिर परिसर में 5 हजार वर्ष प्राचीन पीपल का पेड़ है जो कभी सूखता नहीं है।