Edited By ,Updated: 11 Feb, 2016 11:39 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में करीब 1 वर्ष 9 माह पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार बनने के समय बाजार जहां से चला था, वीरवार को गिरते हुए वापस वहीं पहुंच गया।
मुम्बई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में करीब 1 वर्ष 9 माह पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार बनने के समय बाजार जहां से चला था, वीरवार को गिरते हुए वापस वहीं पहुंच गया। तो क्या मान लिया जाए कि बाजार से मोदी जादू उतर गया और देश के शेयर बाजारों में वीरवार को बड़ी गिरावट देखने को मिली। बताते चलें कि 26 मई 2014 को मोदी ने 15वें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
वहीं 26 मई 2014 से 25 मई 2015 तक सैंसेक्स में 14 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली। यानी कि निवेशकों की झोली में 14 प्रतिशत रिटर्न आया। भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली के दबाव के कारण 11 फरवरी 2016 के दिन ऐतिहासिक गिरावट दर्ज हुई है। बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सैंसेक्स 807.07 और निफ्टी 239.35 अंकों की तेज गिरावट के साथ बंद हुआ है। गत 12 मई 2014 के बाद निफ्टी पहली बार 7000 के नीचे चला गया है। वहीं 8 मई 2014 के बाद सैंसेक्स भी 23,000 के नीचे चला गया है। नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद यह एक दिन में तीसरी सबसे बड़ी गिरावट है।
सैंसेक्स और निफ्टी लुढ़के, 3.18 लाख करोड़ डूबे
वैश्विक चिंता और स्थानीय स्तर पर कमजोर बाजार धारणा के बीच वीरवार घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई।
बी.एस.ई. का सैंसेक्स 807.07 अंक (3.40 प्रतिशत) का गोता लगाकर 8 मई 2014 के बाद के निचले स्तर 22,951.83 अंक पर तथा नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन.एस.ई.) का निफ्टी 3.32 प्रतिशत यानी 239.35 अंक लुढ़क कर 9 मई 2014 के बाद के निचले स्तर 6976.35 अंक पर आ गया। बाजार में आई गिरावट के बीच निवेशकों को 3.18 लाख करोड़ से ज्यादा नुक्सान उठाना पड़ा।
इस बीच आज लगातार दूसरे दिन विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफ.आई.आई.) ने बाजार से पैसा निकालना जारी रखा। एफ.आई.आई. ने 7.44 करोड़ डॉलर के शेयरों तथा 3.68 करोड़ डॉलर की बिकवाली कर बाजार से 11.12 करोड़ डॉलर की शुद्ध निकासी की। बुधवार को भी उन्होंने 10.66 करोड़ डॉलर की शुद्ध निकासी की थी।
1$= 68.30 रु.
प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के 15 महीने के निचले स्तर पर चले आने के बावजूद शेयर बाजार में आई सुनामी तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी बिकवाली से रुपया 2 कारोबारी दिवस की बढ़त खोता हुआ 45 पैसे टूटकर अढ़ाई वर्ष के निचले स्तर 68.30 रुपए प्रति डॉलर पर आ गया। गत कारोबारी दिवस पर यह 5 पैसे मजबूत होकर 67.85 रुपए प्रति डॉलर रहा था।
यह रुपए का 28 अगस्त 2013 के बाद का निचला स्तर है तथा इस वर्ष 4 जनवरी के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। गत 4 जनवरी को यह 48 पैसे टूटकर 66.62 रुपए प्रति डॉलर रहा था।
यदि दुनिया की अन्य प्रमुख मुद्राओं के बास्केट में डॉलर टूटा नहीं होता तो रुपए की गिरावट और ज्यादा हो सकती थी। गत वर्ष 11 फरवरी को डालर के मुकाबले रुपया 62.40 रुपए था। वहीं 2016 की 11 फरवरी को 68.30 रुपए प्रति डॉलर पर आ गया। गत एक वर्ष में डालर के मुकाबले रुपया 5.40 रुपए तक गिर चुका है।
आसमान पर सोना, शादी वालों के लिए मुसीबत
बाजार में चौतरफा बिकवाली के बीच निवेशकों ने सुरक्षित निवेश मानी जाने वाली पीली धातु का रुख किया। सोना लगातार 10वें कारोबारी दिवस पर मजबूत होता हुआ और 215 रुपए चढ़कर उच्चतम स्तर 28,800 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया।
सोना इस समय 18 माह के उच्च स्तर पर आ गया है और इस वर्ष सोने की कीमतों में यह सबसे लम्बी लगातार वृद्धि है। सोने के भाव में इस तेजी ने उन लोगों की परेशानी बढ़ा दी है जिन्होंने घर में बेटी या बेटे की शादी का कार्यक्रम तय कर रखा है।
वहीं मौजूदा उच्च स्तर पर बिकवाली के चलते चांदी 130 रुपए टूटकर 37,100 रुपए प्रति किलो पर आ गई। वैश्विक बाजारों में सोना 8 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। सिंगापुर में सोने के भाव 1.5 प्रतिशत चढ़कर 1214.64 डालर प्रति औंस हो गए जो 22 मई के बाद का उच्च स्तर है।
बी.एस.ई. के टॉप लूजर्स
यूनिटैक - 16.36
पिपावाव - 14.21
जुबलिएंट - 13.77
एस.के.आई . - 13.24
जी एम आर इंफ्रा - 12.41
टाटा ग्लोबल - 11.49
अलोक टैक्सटाइल - 11.39
ओरिएंटल बैंक - 11.06
जेट एयरवेज - 10.78
जुबलिएंट फूड - 10.64
(आंकड़े प्रतिशत में)
दुनिया भर के बाजार डूबे
एशियाई बाजार
हैंगसैंग 742.37
निक्की-225 372.05
स्ट्रेट्स टाइम्स 43.83
कोस्पी 56.52
सैट कम्पोजिट 24.00
जकार्ता 43.38 (अप)
यूरोपियन मार्कीट
डैक्स 264.42
कैक-40 164.49
एफ.टी.एस.ई.-100 135.33
यू.एस. बाजार
नैस्डाक 55.17
(समाचार लिखे जाने तक, गिरावट अंको में)
जेनेट के बयान ने मचाई दुनिया भर में उथल-पुथल
अमरीकी फैडरल रिजर्व की चेयरमैन जेनेट येलेन ने अमरीकी संसद में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर है और इसका असर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमरीका पर भी पड़ेगा। हालांकि उन्होंने गत वर्ष दिसम्बर में शुरू की गई ब्याज दरों में बढ़ौतरी से पीछे हटने से इंकार किया लेकिन कहा कि फैडरल रिजर्व इसकी रफ्तार कम जरूर कर सकता है।
इससे दुनिया भर के शेयर बाजार और कच्चा तेल लुढ़क गए। डालर भी अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले 15 महीने के निचले स्तर पर आ गया। हांगकांग का हैंगसैंग 4 प्रतिशत तथा दक्षिण कोरिया का कोस्पी 3.02 प्रतिशत लुढ़क गया। सभी महत्वपूर्ण यूरोपीय बाजार भी लाल निशान में खुले। चीन और जापान में वीरवार को बाजार बंद रहे। ब्रिटेन का एफ.टी.एस.ई. 2.34 प्रतिशत की गिरावट पर कारोबार कर रहा था।
गिरावट के गत 4 दिन
दिन सैंसेक्स निफ्टी
सोमवार 329.55 101.85
मंगलवार 266.44 89.05
बुधवार 262.08 82.50
वीरवार 807.07 239.35
कुल गिरावट 1665.14 512.75
इन कारणों से भी गिरा बाजार
- क्रूड कीमतों: गिरावट से सभी वैश्विक बाजारों पर दबाव देखने को मिल रहा है।
- खराब तिमाही नतीजे: अक्तूबर-दिसम्बर तिमाही में कम्पनियों के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं। खासकर बैंकिंग सैक्टर के नतीजे निराशाजनक।
- रुपए में गिरावट: गुरुवार को भारतीय रुपया 2 वर्ष के निचले स्तर के करीब पहुंच गया।
- वैश्विक रुख कमजोर: एशियाई बाजार गिरावट जबकि यूरोपीय बाजारों पर भी बिक्री का दबाव। वहीं अमरीकी फ्यूचर मार्कीट भी लाल निशान पर खुलना।