नोटबंदी की आड़ में सहकारी बैंकों ने की हेराफेरी

Edited By ,Updated: 20 Jan, 2017 10:23 AM

laundering in cooperative banks in the name of notbandi

इंकम टैक्स डिपॉर्टमैंट ने अपनी जांच में खुलासा किया कि नोटबंदी की आड़ में कई सहकारी बैंकों ने पुराने नोटों को लेकर बड़े पैमाने पर हेराफेरी की है।

नई दिल्ली: इंकम टैक्स डिपॉर्टमैंट ने अपनी जांच में खुलासा किया कि नोटबंदी की आड़ में कई सहकारी बैंकों ने पुराने नोटों को लेकर बड़े पैमाने पर हेराफेरी की है। डिपॉर्टमैंट ने रिजर्व बैंक को बताया कि उसकी जांच में कई सहकारी बैंकों में अकाऊंट्स में बड़े पैमाने पर अनियमितता मिली है। विभाग को आशंका है कि सहकारी बैंकों ने इस तरीके से बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी को व्हाइट किया है।

1 लाख करोड़ रुपए की ब्लैकमनी आने की उम्मीद
सी.बी.डी.टी. के अनुसार इन्कम टैक्स अथॉरिटीज का मानना है कि करीब 1 लाख करोड़ रुपए का ब्लैकमनी नई इन्कम डैक्लारेशन स्कीम (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना) के जरिए सामने आ सकती है। इससे सरकार को 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का टैक्स मिलेगा। टैक्स डिपार्टमैंट पहले उन 1.5 लाख अकाऊंट्स पर ध्यान देगा जिनमें 10 लाख रुपए या इससे ज्यादा जमा हुए हैं।

आर.बी.आई. को दी गलत रिपोर्ट
इंकम टैक्स डिपॉर्टमैंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुणे में एक सहकारी बैंक ने आर.बी.आई. को नोटबंदी के बाद 242 करोड़ रुपए राशि की रिपोर्ट दी जबकि बैंक में 141 करोड़ रुपए ही पाए गए। इससे पता चलता है कि बैंक ने आर.बी.आई. को ज्यादा रकम की जानकारी दी। वहीं मुम्बई में एक सहकारी बैंक ने आर.बी.आई. को 11.89 करोड़ रुपए ज्यादा रकम की जानकारी दी।

ब्लैक को किया व्हाइट
इंकम टैक्स डिपॉर्टमैंट का मानना है कि इस बात की आशंका है कि ज्यादा पुराने नोट दिखा कर ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में बदला गया है। कई बैंकों में इस तरह की अनियमितता सामने आने के बाद इंकम टैक्स विभाग ने सहकारी विभागों की निगरानी बढ़ा दी थी।

नोटबंदी का उठाया फायदा
इंकम टैक्स विभाग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सहकारी बैंकों ने नोटबंदी का फायदा उठाते हुए पैसे बनाए और सैंकड़ों करोड़ रुपए की ब्लैक मनी को सफेद किया।

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