पहले खुद सीखें बच्चों को पढ़ाने का सही तरीका (PICS)

Edited By ,Updated: 07 Dec, 2015 01:43 PM

the correct way to teach children

स्कूल जाने से पहले बच्चे अपने मां-बाप से ही घर पर बहुत कुछ सीखते हैं। उन्हें बच्चों का प्रथम गुरु कहा जाता है लेकिन आज की इस तेज रफ्तार भागती जिंदगी में माता और पिता दोनों काम में बिजी रहने लगें हैं

स्कूल जाने से पहले बच्चे अपने मां-बाप से ही घर पर बहुत कुछ सीखते हैं। उन्हें बच्चों का प्रथम गुरु कहा जाता है लेकिन आज की इस तेज रफ्तार भागती जिंदगी में माता और पिता दोनों काम में बिजी रहने लगें हैं, जिसकी वजह से वह बच्चों की परवरिश और पढ़ाई दोनों की तरफ ध्यान नहीं दे पाते। पैरेंट्स स्कूल टीचर और ट्यूशन पर ही निर्भर हो गए हैं, उन्हें पता ही नहीं है कि बच्चों को पढ़ाने का सही तरीका क्या है? वैसे बच्चा स्कूल-ट्यूशन में तो दूसरे बच्चों के साथ बैठकर काफी कुछ सीखता-पढ़ता है लेकिन घर पर भी उस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है लेकिन उससे पहले पैरेंट्स को बच्चों को पढ़ाने का सही तरीका पता होना चाहिए, तभी वह बच्चों को अच्छी तरह से हैंडल कर सकते हैं।

अगर आप यह सोचते हैं कि आपकी डांट और मार से बच्चा फटाफट पढ़ाई करने लग जाएगा तो आप बिल्कुल गलत सोचते हैं क्योंकि आपके डर से बच्चा पढ़ाई करने पर मजबूर तो हो जाएगा लेकिन आपकी नजर हटते ही वह पढ़ाई को बोझ समझने लग जाएगा। बच्चों को इस तरह से समझाएं कि वह पढ़ाई को बोझ या डर न समझें और एन्जॉय करें। इसके लिए आप में धैर्य होना बहुत ही जरूरी है। वह आपसे एक सवाल कई बार पूछेगा और आपको उसे ढंग से समझाना भी होगा। 

इसी के साथ बच्चों को पढ़ाते समय कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखेंः

* बच्चों को उम्र के हिसाब से पढ़ाया जाए तो वह जल्दी कवर करते हैं। अगर बच्चा 2 से 4 साल की आयु के बीच है तो उन्हें पिक्चर वाली किताबें,  एल्फाबैट्स वाले गाने और वीडियों वाली कविताओं की मदद से सिखाने की कोशिश करें।

* बच्चे के साथ कहीं घूमने निकले हैं तो रास्ते में अपने आस-पास की चीजों के बारे में उसे बताते जाएं। बच्चे से ज्यादा से ज्यादा बातें करें।

* छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए मार्किट में कई तरह के खिलौने भी आते हैं। इनके इस्तेमाल से बच्चों को बहुत कुछ सिखाया जा सकता है। इस तरह से बच्चे खेल-खेल में बहुत कुछ सीख लेते हैं।

* कभी-कभार बच्चों को डांटना तो ठीक है लेकिन उन्हें बार-बार डांटना या मारना सही विकल्प नहीं है क्योंकि डांट और मार का डर मन से निकलने पर वह आपकी इज्जत करना भी छोड़ सकते हैं। खासकर जिद्दी बच्चों प्यार से हैंडल करना बहुत ही जरूरी है नहीं तो वह अपनी मनमर्जी करने लगते हैं।

* बच्चों का बैग चैक करें और रोजाना मिलने वाला होमवर्क जरूर करवाएं। अगर बच्चा पढ़ाई में कमजोर हैं तो उस पर सैलेब्स का ज्यादा बोझ न डालते हुए थोड़ा-थोड़ा डेली रॉटिन में होमवर्क याद करवाएं।

* बच्चा अगर आपसे कोई सवाल करता हैं तो उसे नजरअंदाज और बाद में बताऊंगी। यह कह कर न टालें। ऐसा करने से हो सकता है कि वह आगे आपसे कोई सवाल- जवाब ही न करें।

* बच्चों को घर पर ही कैद करके न रखें। बच्चे अपने दोस्तों से मिलकर और उन्हें देखकर भी काफी कुछ सीखते हैं।

* गैजेट्स और सोशल मीडिया के इस जमाने में आप इंटरनैट की मदद से भी उन्हें कुछ न कुछ पढ़ा या सीखा सकते हैं। इस तरह स्टडी के साथ-साथ उनका एंटरटेनमेंट भी होता रहता है।

वंदना डालिया

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