Edited By ,Updated: 05 Feb, 2017 01:14 PM
सुनामी से बचने वाली देबोराह हेरोल्ड ने पिछले 4 वर्षों से अपने माता पिता को नहीं देखा है और यह शीर्ष महिला...
नई दिल्ली: सुनामी से बचने वाली देबोराह हेरोल्ड ने पिछले 4 वर्षों से अपने माता पिता को नहीं देखा है और यह शीर्ष महिला साइकिलिस्ट अगले दो साल तक ऐसा नहीं करेगी क्योंकि वह अपना ओलंपिक का सपना पूरा करना चाहती है। देबोरोह 18 फरवरी को 22 साल की हो जाएगी। जनवरी 2013 में वह अपने घर से आ गई थी, जब वह 17 साल की थी और तब से यहां इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में ही है। 8 साल पहले वह अंडमान एंव निकोबार द्वीप समूह में दिसंबर 2004 में आई सूनामी से बची थी। वह पांच दिन तक पेड़ पर रहकर पत्ते और छाल खाकर जीवित रही थी।
देबोराह ने कहा कि मैं यहां जनवरी 2013 में आयी थी और तब मैंने घर नहीं गई हूं। मैं पिछले 4 वर्षों से अपने माता पिता से नहीं मिली हूं, केवल उनसे फोन पर ही बात की है। उन्होंने दिए साक्षात्कार में कहा कि मैं अभी उनसे नहीं मिलना चाहती हूं, शायद अगले दो तीन साल और नहीं क्योंकि मैं 2020 ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना चाहती हूं। यही मेरा सपना है और जिंदगी का लक्ष्य है। अगर मैं पदक जीत लेती हूं तो यह बहुत अच्छा होगा लेकिन पहले मुझे ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना होगा। अंडमान एंव निकोबार से कोई भी ओलंपिक नहीं गया है और मैं ऐसा करना चाहती हूं।