कोच्चि टस्कर्स ने जीता आर्बिट्रेशन केस, BCCI से मांगा 850 करोड़ मुआवजा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Oct, 2017 03:42 PM

kochi tuskers wins arbitration case against bcci demanded rs 850 crores

निलंबित की गई आईपीएल फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स ने बीसीसीआई के खिलाफ आर्बिट्रेशन का केस जीत लिया है। बंबई हाई कोर्ट ने लंगवारक को सुनवाई करते हुए कोच्चि के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट के फैसले के बाद अब कोच्चि टस्कर्स ने बीसीसीआई से 850 करोड़ रुपए...

नई दिल्लीः निलंबित की गई आईपीएल फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स ने बीसीसीआई के खिलाफ आर्बिट्रेशन का केस जीत लिया है। बंबई हाई कोर्ट ने लंगवारक को सुनवाई करते हुए कोच्चि के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट के फैसले के बाद अब कोच्चि टस्कर्स ने बीसीसीआई से 850 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है। 

क्या है मामला?
साल 2011 में यानी आईपीएल-4 में कोच्चि फ्रेंचाइजी 156 करोड़ रुपए के सालाना भुगतान की बैंक गारंटी नहीं दे सकी थी। इस वजह से बीसीसीआई ने इस फ्रेंचाइजी को निलंबित कर दिया था। फ्रेंचाइजी ने इस मामले में 2011 में ही बंबई हाई कोर्ट में आर्बिट्रेशन दायर किया था।

कोच्चि टस्कर्स केरल आईपीएल की एक फ्रेंचाइजी क्रिकेट टीम थी, जो फिलहाल आईपीएल से निलंबित है। यह आईपीएल के चौथे सीजन में शामिल होने वाली 10वीं टीम थी। टीम के मालिकों को फ्रेंचाइजी खरीदने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि अंतिम फ्रेंचाइजी के लिए अहमदाबाद, ग्वालियर, नागपुर, व राजकोट के व्यापारियों व कंपनियों के बीच कड़ी टक्कर थी। रॉन्देवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड ने 1550 करोड़ रुपए चुकाकर फ्रेंचाइजी का अधिकार हासिल किया था।

बांबे हाईकोर्ट से आर्बिट्रेशन का केस हारने के बाद आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला का कहना है कि अब कोच्चि टस्कर्स ने 850 करोड़ रूपये मुआवजा मांगा है। हमने आईपीएल की संचालन परिषद की बैठक में इस पर चर्चा की। अब इस मामले को आमसभा की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद ही इस मामले में कोई ठोस निर्णय लिया जा सकेगा। 

शशांक मनोहर की जिद पड़ी BCCI को भारी
आईपीएल संचालन परिषद के एक सदस्य ने कहा ,‘‘हमें कोच्चि को मुआवजा देना होगा। सभी कानूनी विकल्पों पर चर्चा हो चुकी है। आम तौर पर पंचाट का फैसला खिलाफ आने पर इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देना बेवकूफी होती है। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है लेकिन सवाल यह है कि रकम कितनी होगी।’’ कोच्चि का करार रद्द करने का फैसला बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष शशांक मनोहर ने लिया था। अधिकारी ने कहा ,‘‘ एक आदमी की जिद का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है। शशांक ने वह फैसला नहीं लिया होता तो हम कोईरास्ता निकाल लेते।’’  

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