Edited By ,Updated: 07 Sep, 2016 08:34 AM
देव गुरु बृहस्पति नवग्रहों में सर्वाधिक श्रेष्ठ ग्रह माने जाते हैं। मनुष्य जीवन की हर सफलता के पीछे देव गुरु बृहस्पति की ग्रह स्थिति बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
देव गुरु बृहस्पति नवग्रहों में सर्वाधिक श्रेष्ठ ग्रह माने जाते हैं। मनुष्य जीवन की हर सफलता के पीछे देव गुरु बृहस्पति की ग्रह स्थिति बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। किसी व्यक्ति की कुण्डली में देव गुरु बृहस्पति की मजबूत स्थिति सफलता की कुंजी मानी जाती है तथा इनकी कमजोर स्थिति व्यक्ति को धर्मविरोधी, अनैतिक, भाग्यहीन, दुखी और कंगाल बना देती है।
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति अर्थात जुपिटर को गुरु की उपाधि प्राप्त है। बृहत पाराशर होरा शास्त्रनुसार संसार के स्मस्त प्राणियों में से बृहस्पति का प्रभाव सर्वाधिक रूप से मानव जीवन पर पड़ता है क्योंकि बृहस्पति ग्रह को भाग्य, धर्म, अध्ययन, ज्ञान विवेक, मोक्ष, दांपत्य में स्थिरता, यात्रा, क्रय-विक्रय, शयनकक्ष और अस्वस्थता व उपचार का कारक माना जाता है। कालपुरुष सिद्धांतानुसार बृहस्पति को सातवें और नवें घर का कारक माना गया है।
बृहस्पतिवार को ये काम करने वाला कभी नहीं होता कंगाल, रहता है हमेशा मालामाल
* सूर्य उदय होने से पहले शुद्ध होकर भगवान विष्णु के समक्ष गाय के शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं।
* केसर अथवा हल्दी का तिलक मस्तक पर लगाएं।
* पीली चीजों का दान करें।
* संभव हो तो व्रत रखें।
* भगवान शिव पर पीले रंग के लड्डू अर्पित करें।
* केले के पेड़ का पूजन करें, प्रसाद में पीले रंग के पकवान अथवा फल अर्पित करें।
* केले का दान करें।
* पीले रंग का हार भगवान विष्णु को चढ़ाएं।
* पीले रंग के कपड़े पहनें।
* नमक का सेवन न करें।
* 'ॐ नमो नारायणा' मंत्र का जाप करें, जिससे जिंदगी में आनन्द, कल्याण, स्थिरता और निस्तब्धता आएगी।