Edited By Seema Sharma,Updated: 08 Jun, 2019 02:22 PM
वक़्त यूं ही गुज़रता रहा, रेत की तरह हाथों से फिसलता रहा!
- वक़्त यूं ही गुज़रता रहा, रेत की तरह हाथों से फिसलता रहा!
- दिन के महीनें, महीनों के साल बनते रहे, और हम कल जीने की चाह में आगे बढ़ते रहे!
- सोचा था अभी ज़िन्दगी बहुत है बाकी, बाद में जियेंगे अपने लिए, अभी तो काम बहुत है बाकी!
- पर अचानक ज़िन्दगी ने खेला कुछ ऐसा दाव, आ गया है साँसों का आखरी पड़ाव!
- शय्या पर लेटा पछता रहा हूँ, खुदा से थोड़ा और वक़्त माँग रहा हूँ!
- निभाता गया मैं हर एक ज़िम्मेदारी, बस छोड़ता गया अपनी ख्वाहिशें बारी बारी!
- सोचा था छोड़ू ना कोई काम अधूरे, उसके बाद करूँगा अपने सारे शौक पूरे!
- पर ज़िन्दगी ने छोड़ दिया मेरा हाथ, रह गया अब चंद साँसों का ही साथ!
- आज ले लो मेरी इस हालत से सीख, वरना तुम भी मांगोगे खुदा से वक़्त की भीख!
- जैसे निभाते हो ज़िम्मेदारियाँ पूरी, वैसे खुद के लिए जीना भी है बहुत ज़रूरी!
- मत छोड़ों अपने ख्वाब कल के लिए, बस जी लो आज इस पल के लिए!
श्रुति