Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Feb, 2018 03:36 PM
कभी-कभी हवा दीपक बठीयां वाले को भिन्न क्षमता वालो के दर्द का एहसास कराए। जैसे हो वो बूढ़े पेड़, या कह लो बूढ़े मां बाप, या हो कोई अनाथ,
जिनकी लेता...
कभी-कभी हवा दीपक बठीयां वाले को
भिन्न क्षमता वालो के दर्द का एहसास कराए।
जैसे हो वो बूढ़े पेड़,
या कह लो बूढ़े मां बाप,
या हो कोई अनाथ,
जिनकी लेता ना कोई सार,
या बिन पंखों के पक्षी।
कभी दिव्यांगों के मां बाप के दर्द को भी टटोलो,
ना ही इन से बड़ा कोई हिम्मत वाला,
ना ही होगा कोई दानी।
मां ने दी ऐसी दिव्य शक्ति,
जो बिन परवाह धूप-छांव के,
करते काम दिन रात,
हर वक्त खैर मांगते समाज की,
खुशहाली अपने बच्चों की।
दीपक कौशल
9891949192