क्यों आवश्यक है महाराज दाहिर का पुण्य-स्मरण ?

Edited By Updated: 21 Jun, 2020 03:09 PM

why is it important to remember maharaja dahir

अरबों के आक्रमण की विपद-बेला में भारतवर्ष के सिंहद्वार सिंध की रक्षा के लिए वीरगति पाने वाले रणबांकुरे राजा दाहिर की भारतीय इतिहास और समाज में विस्मृति आहत करती है। महाराज दाहिर के महान कृतित्व की चर्चा इतिहास...

अरबों के आक्रमण की विपद-बेला में भारतवर्ष के सिंहद्वार सिंध की रक्षा के लिए वीरगति पाने वाले रणबांकुरे राजा दाहिर की भारतीय इतिहास और समाज में विस्मृति आहत करती है। महाराज दाहिर के महान कृतित्व की चर्चा इतिहास के विलुप्त प्राय पृष्ठों तक सीमित है। कदाचित अपने इतिहास के बलिदानी महापुरुषों की उपेक्षा और ऐतिहासिक घटनाओं से शिक्षा ना लेकर बार- बार एक ही भूल दोहराना हमारी सहज सामाजिक प्रवृत्ति रही है और इसी दुष्प्रवृत्ति का दुष्परिणाम हमने दासता की लंबी संघर्ष यात्रा के रूप में भोगा है।

सन् 712 ईसवी में राजा दाहिर और उनके वीर पुत्र जयसिंह की वीरगति तथा राज परिवार एवं नगर की नारियों के जौहर के बाद अरबों के अधिकार में चला गया और शेष भारत सुख की नींद सोता रहा ! तथापि अरबों की सत्ता लगभग तीन शताब्दियों तक सिंध से आगे शेष भारत को पदाक्रांत नहीं कर सकी। कितने आश्चर्य, दुख और अदूरदर्शिता का विषय है कि 300 वर्ष की इस लंबी अवधि में भारतवर्ष के किसी अन्य नरेश ने सिंध को अरबों से मुक्त करने का कोई प्रयत्न नहीं किया। यदि इस लंबी अवधि में हमारे कुछ राजाओं ने भी संगठित होकर अरबों को सिंध से खदेड़ दिया होता तो परवर्ती शताब्दियों में भारतवर्ष का गौरव सुरक्षित रहता सोमनाथ का पवित्र मंदिर नहीं टूटता और शत्रु शक्तियाँ दिल्ली को दूषित नहीं कर पातीं किंतु हमारी आत्ममुग्धता और अदूरदर्शिता ने हमें कहीं का न छोड़ा। शक्ति होते हुए भी हम पराजित और पराधीन हो गए !

इतिहास ग्रंथों में उल्लेख है कि अरबों ने राजा दाहिर के 73 वर्षों के शासन में सिंध पर 15 आक्रमण किए। पहले किए गए 14 आक्रमणों में अरब पराजित हुए और 15वें आक्रमण में विजयी होते ही उन्होंने सिंध की संपदा लूटने और शासन पर अधिकार करने के साथ ही वहां की समृद्ध सांस्कृतिक-परंपराओं को भी समाप्त कर दिया। पराजित करके शत्रु को पुनः आक्रमण करने के लिए सुरक्षित छोड़ देना, पराजय के भीषण परिणामों की त्रासदी के ऐतिहासिक साक्ष्यों की उपलब्धता के बाद भी उनकी अनदेखी करना स्वयं पर नयी आपदाओं को आमंत्रित करने जैसा है।

महाराज दाहिर की असफलता और पराजित सिंध की दुर्दशा से सीख लेकर यदि दिल्लीश्वर पृथ्वीराज चैहान ने ठीक वही भूलें न दोहराई होतीं और पहली बार ही रणक्षेत्र से भागते मोहम्मद गौरी का गजनी तक पीछा करके उसके राज्य सहित उसे निर्मूल कर दिया होता तो आज भारत का इतिहास कुछ और ही होता। अपने इतिहास और अपने महापुरुषों की महानता अथवा दुर्बलता की तथ्य-सम्मत एवं समसामयिक उचित समीक्षा ही राष्ट्र को गौरव दे सकती है। रक्षात्मक रणनीति से आक्रामक रणनीति कहीं अधिक सफल होती है। राजा दाहिर और सम्राट पृथ्वीराज की शौर्य-गाथाएं इस तथ्य की साक्षी हैं। हमारे सीमांत प्रदेशों की सुरक्षा के प्रश्न आज तेरह सौ बरसों के बाद भी ज्यों के त्यों उपस्थित हैं। 

दुखद समाचार है कि कल रात एल.ए.सी पर चीन के सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में हमारे तीन सैनिक शहीद हुए हैं। चीन के भी चार सैनिकों के मारे जाने की खबर है। यह संकटपूर्ण स्थिति हमारी उसी उदासीनता का परिचय देती है जो कभी सिंध के भारत से अरबों के अधिकार में चले जाने पर दर्शायी गयी थी। सन् 1962 के युद्ध में चीन के हाथों अपना बड़ा भू-भाग खोने के बाद उसे वापस प्राप्त करने का हमने कोई प्रयत्न नहीं किया। अब यह उसी का दुष्परिणाम है कि अरबों की तरह चीन आज फिर शेष भारत के सीमांत क्षेत्र को हड़पना चाहता है।

यदि हम अक्साई चीन एवं अपना अन्य क्षेत्र खोकर चुपचाप न बैठे रहते, उसे प्राप्त करने के लिए हर संभव ठोस प्रयत्न करते तो आज यह स्थिति निर्मित नहीं होती। अब यह आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो गया है कि हम अपनी रणनीति की उपलब्ध ऐतिहासिक तथ्यों के परिपे्रक्ष्य में समीक्षा करें और किसी भी आक्रमण की स्थिति में शत्रु को उसके घर तक जाकर ध्वस्त करें। कारगिल युद्ध की तरह केवल अपनी सीमाओं से उसे बाहर निकाल कर ही अपनी पीठ न थपथपाएं। कबूतर बहुत बन लिए अब बाज बनें। ऐसा तभी संभव है जब हम अपने इतिहास पुरुषों से परिचित और प्रेरित हांे महाराज दाहिर की वीरगति-स्मृति भी इसी दृष्टि से आवश्यक है। आज उनके 1309 वें बलिदान दिवस पर उन्हें अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि !

(डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र)

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!