Edited By ,Updated: 29 Jul, 2019 12:47 AM
हालिया अमरीका दौरे से लौटे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि इस दौरे की सफलता से उन्हें क्रिकेट विश्व कप जीतने जैसा अहसास हो रहा है। पहली नजर में उनका दौरा काफी हद तक सफल लगता है। पाकिस्तान के लिए कठोर शब्द (झूठ और फरेब का देश) कहने वाले...
हालिया अमरीका दौरे से लौटे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि इस दौरे की सफलता से उन्हें क्रिकेट विश्व कप जीतने जैसा अहसास हो रहा है। पहली नजर में उनका दौरा काफी हद तक सफल लगता है। पाकिस्तान के लिए कठोर शब्द (झूठ और फरेब का देश) कहने वाले अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से गत सप्ताह कई सकारात्मक बयान (महान लोगों का देश) आए हैं। उन्होंने संकेत दिए हैं कि वह पाकिस्तान को आर्थिक मदद फिर से चालू करने, आपसी व्यापार बढ़ाने के अलावा भारत के साथ कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने (यह झूठा दावा भी किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनसे इसके लिए कहा था) के भी इच्छुक हैं।
हालांकि, धरातल पर हालात बेहद अलग हैं। अमरीका ने अपना लहजा केवल इसलिए नरम किया है क्योंकि उसे अफगानिस्तान से निकलने के लिए तालिबान को शांति वार्ता में शामिल करने के लिए पाकिस्तान की मदद चाहिए। ट्रम्प की भरसक कोशिश है कि साल 2020 में होने वाले अगले राष्ट्रपति चुनावों से पहले वह 18 साल से अफगानिस्तान में फंसी अपनी सेना को वापस बुला सकें। (जैसा कि उन्होंने अपने वोटर्स से वायदा किया था।) बेशक पाकिस्तान चाहता है कि अमरीका इस मदद के बदले में उसे कुछ न कुछ दे परंतु वर्तमान हालात में अमरीका से कुछ अधिक मिलने की आशा रखना इमरान खान के लिए व्यर्थ होगा।
अफगानिस्तान में तालिबान पर नकेल कसने में अगर अमरीका असफल रहा है तो उसका एक बड़ा कारण पाकिस्तानी सेना तथा खुफिया एजैंसियों द्वारा तालिबान को अंदर ही अंदर दिया गया समर्थन है क्योंकि न केवल तालिबान बल्कि अन्य आतंकी संगठनों को भी पाक सेना भारत के साथ संतुलन साधने के लिए इस्तेमाल करती रही है। अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकियों में से अधिकतर को उसकी खुफिया एजैंसियों ने ट्रेङ्क्षनग दी और वहां 2400 अमरीकी सैनिकों की मौत के लिए पाकिस्तान की जिम्मेदारी कभी खत्म नहीं होगी। इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि पाकिस्तान ने हमेशा अमरीका का फायदा ही उठाया है। पाकिस्तान दिखावे के लिए आतंकवाद के विरुद्ध अमरीका की मदद का दावा करता है परंतु अंदर ही अंदर अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने के लिए आतंकवाद की नर्सरी बना रहा है।
इमरान ने अपने चुनाव प्रचार में नया पाकिस्तान बनाने का नारा दिया था परंतु वह अपने देश की बदहाल अर्थव्यवस्था को सुधारने में असफल रहे हैं। ऐसे में अमरीका जैसे देश से पीठ थपथपाना पाकिस्तान के लिए वैश्विक स्वीकार्यता का एक बहुत बड़ा संकेत है जोकि इमरान खान के लिए उत्साहित करने वाली बात है। परंतु यदि गंभीरता से देखें तो अमरीका यह चाहता है कि भारत उसके साथ मिलकर ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाए जोकि भारत ने अभी तक नहीं किया है। ऐसे में वह पाकिस्तान को अपनी ओर आकॢषत करने का प्रयास कर रहा है।