बोरिस जॉनसन का भारत दौरा दोनों देशों के सम्बन्धों को मजबूत करेगा

Edited By ,Updated: 23 Apr, 2022 04:49 AM

boris johnson s visit to india will strengthen ties between the two countries

गत वर्ष नरेन्द्र मोदी सरकार ने ब्रिटेन सरकार से प्रतिबंधित सिख संगठनों द्वारा अपने अलगाववादी एजैंडे को प्रवासी भारतीयों में बढ़ावा देने पर कड़ी प्रतिक्रिया जताने के अलावा पाक गुप्तचर एजैंसी आई

गत वर्ष नरेन्द्र मोदी सरकार ने ब्रिटेन सरकार से प्रतिबंधित सिख संगठनों द्वारा अपने अलगाववादी एजैंडे को प्रवासी भारतीयों में बढ़ावा देने पर कड़ी प्रतिक्रिया जताने के अलावा पाक गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. समर्थित भारत विरोधी गतिविधियों के बढऩे बारे चिंता जताई थी। भारत सरकार ने ब्रिटेन का ध्यान इस ओर भी दिलाया था कि पाकिस्तानी मूल के कुछ ब्रिटिश नेता लगातार भारतीय हितों के विरुद्ध काम कर रहे हैं। 

इसके साथ ही भारत सरकार काफी समय से भारतीय बैंकों से अरबों रुपए की धोखाधड़ी करके ब्रिटेन में रह रहे भगौड़े नीरव मोदी और भारतीय विजय माल्या पर कार्रवाई करने की मांग करती आ रही थी। 

ऐसे माहौल के बीच इंगलैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 21 अप्रैल को 2 दिवसीय यात्रा पर परस्पर हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भारत आए। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य भारत से मुक्त व्यापार समझौता करके इसके बदले में भारत को विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के अलावा भारत को हथियार बेचने की कोशिश, सुरक्षा सहयोग बढ़ाना और रूस के संबंध में इसकी अब तक चली आ रही तटस्थता की नीति त्यागने के लिए प्रेरित करना भी था। 

22 अप्रैल को बोरिस जॉनसन तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हैदराबाद हाऊस में 2 घंटे चली बातचीत में दोनों देशों के बीच व्यापार और सुरक्षा समझौतों और भारत के रूस के साथ संबंधों के मुद्दे छाए रहे। वार्ता के बाद जारी संयुक्त विज्ञप्ति में दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया तथा अपनी रणनीतिक सांझेदारी को आगे बढ़ाते हुए रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अन्य बातों के अलावा भारत को लड़ाकू जैट विमान बनाने में सहायता देने की पेशकश भी की है। ब्रिटेन निर्माण प्रौद्योगिकी, डिजाइन एवं विकास सभी क्षेत्रों में भारत का समर्थन करेगा। 

दोनों नेताओं ने जलवायु संरक्षण तथा परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी 2 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता इस वर्ष के अंत तक सम्पन्न करने का फैसला भी किया गया तथा यूक्रेन में तुरंत युद्ध विराम और समस्या के समाधान के लिए संवाद एवं कूटनीति पर बल देते हुए सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुता के सम्मान का महत्व दोहराया। 

बोरिस जॉनसन ने कहा कि उन्होंने भारत के साथ 5 क्षेत्रों (भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर) में अगली पीढ़ी के रक्षा सहयोग पर चर्चा की है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि दोनों ही देश नए जटिल खतरों से जूझ रहे हैं। इससे पूर्व ब्रिटिश उच्चायोग ने कहा कि ब्रिटेन भारत को सर्वश्रेष्ठ ब्रिटिश उन्नत युद्धक विमान के निर्माण से संबंधित जानकारी देगा और हिंद महासागर में चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की प्रौद्योगिकी संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा। आने वाले दशकों में भारत के साथ वृहद रक्षा और सुरक्षा भागीदारी के समर्थन में ब्रिटेन भारत को ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसैंस (ओ.जी.ई.एल.) जारी करेगा जिससे रक्षा खरीद के लिए आपूर्ति के समय में कमी आएगी। 

उच्चायोग ने बोरिस जॉनसन के हवाले से कहा, ‘‘दुनिया निरंकुश देशों से बढ़ते खतरे का सामना कर रही है जो लोकतंत्र को कमजोर करना, मुक्त व्यापार को समाप्त करना और देशों की सम्प्रभुता को कुचलना चाहते हैं। ऐसी हालत में दोनों देशों की सांझेदारी समुद्री तूफान में प्रकाशपुंज के समान है।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के परिणामों से गदगद बोरिस जॉनसन ने कहा,‘‘भारत आज दुनिया की फार्मेसी बन गया है और मेरी बांह पर लगा कोरोना का टीका भी यहीं का है। मैं भारत को बहुत धन्यवाद देता हूं।’’ 

यूरोपीय संघ से बाहर होने के कारण ब्रिटेन को एक अच्छे व्यापारिक भागीदार की जरूरत थी जिससे वहां कोरोना काल से बंद पड़े कारखाने चालू हो सकें और बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार मिल सके। बोरिस जॉनसन ने कहा है कि दोनों देशों के बीच समझौतों से भारत के प्रशिक्षित वर्कर भी ब्रिटेन में आकर सूचना प्रौद्योगिकी में स्टाफ की कमी पूरी कर सकेंगे। 

बोरिस जॉनसन ने जहां दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में आगे कदम बढ़ाए हैं वहीं भारत के साथ रूस पर हथियारों की निर्भरता घटाने के लिए अपने हथियार बेचने की पेशकश की है जिससे भारत को नई प्रौद्योगिकी मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि,‘‘हम कट्टïरपंथियों या आतंकियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। भारत की मदद के लिए हमने एंटी एक्सट्रीमिस्ट फोर्स बनाई है तथा ब्रिटेन उन लोगों का स्वागत नहीं करता जो भारत में कानून से बचने के लिए ब्रिटेन की कानूनी प्रणाली का प्रयोग करना चाहते हैं।’’ 

उन्होंने यह भी कहा कि नीरव मोदी तथा विजय माल्या के भारत को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अत्यंत कठिन है परंतु उन्होंने इनके प्रत्यर्पण का आदेश दे दिया है। कुल मिला कर इतने समझौतों और उक्त आश्वासनों के दृष्टिïगत बोरिस जॉनसन का यह दौरा ऐतिहासिक तथा दोनों देशों के संबंधों में एक बड़ा कदम कहा जा सकता है।—विजय कुमार

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