देश में नेताओं और उनके करीबियों का ‘भ्रष्टाचार जोरों पर’

Edited By Updated: 31 Jul, 2022 02:36 PM

corruption in full swing of leaders and their close ones in the country

इन दिनों देश के 2 प्रमुख राज्य पश्चिम बंगाल और पंजाब भारी भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोपों को लेकर चर्चा में हैं जिसमें इन राज्यों के नेता और उनके करीबी संलिप्त पाए जा रहे हैं।

इन दिनों देश के 2 प्रमुख राज्य पश्चिम बंगाल और पंजाब भारी भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोपों को लेकर चर्चा में हैं जिसमें इन राज्यों के नेता और उनके करीबी संलिप्त पाए जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भरोसेमंद साथी और निवर्तमान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी तथा उसकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) द्वारा ‘पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग भर्ती घोटाले’ के सिलसिले में छापेमारी जारी है। 

 

इन छापों के दौरान पार्थ चटर्जी की लगभग 50 करोड़ रुपए की सम्पत्ति का पता चला है जबकि अर्पिता मुखर्जी के फ्लैटों पर छापेमारी के दौरान अभी तक 51 करोड़ रुपए से अधिक नकदी बरामद की जा चुकी है। कहा जाता है कि अर्पिता मुखर्जी को पार्थ चटर्जी अपने ‘मिनी बैंक’ की तरह इस्तेमाल करता था। ये दोनों 3 अगस्त तक ई.डी. की हिरासत में हैं।
लग्जरी लाइफ की शौकीन अर्पिता के फ्लैटों के वाशरूम, वार्डरोब और संदूकों तक में छिपा कर रखा गया कई किलो सोना, डालर, 20 मोबाइल फोन, स्कूलों में स्टाफ की नियुक्ति और तबादलों के दस्तावेज, उम्मीदवारों के प्रवेश पत्र व अन्य मूल्यवान वस्तुएं भी बरामद हो चुकी हैं। 

 

छापेमारी में बरामद वर्ष 2012 की 44 पन्नों की एक डायरी से पता चलता है कि ये दोनों एक-दूसरे को कम से कम 10 वर्षों से जानते हैं। झाडग़्राम के एक व्यापारी से शादी के कुछ ही सप्ताह बाद अर्पिता मुखर्जी उससे अलग होकर कोलकाता चली आई और फिल्मों में काम करने लगी। उसका फिल्मी करियर लगभग 6 वर्ष तक रहा। हालांकि ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को पार्टी एवं सरकारी पदों से हटा दिया है तथा पार्थ चटर्जी ने कहा है कि उसके विरुद्ध साजिश की जा रही है परंतु 30 जुलाई को पूछताछ में इन दोनों ने संयुक्त प्रापर्टी खरीदने, अनेक नेताओं व कारोबारियों से संबंधों तथा बैंक खातों का खुलासा किया है तथा केंद्र सरकार ने इनके 3 बैंक खाते फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

 

इस बीच बंगला अभिनेत्री श्रीलेखा मित्रा के एक पोस्ट को लेकर हड़कम्प मच गया है, जिसमें उसने कहा है कि,‘‘अर्पिता मुखर्जी के आवास में अश्लील सामग्री (सैक्स ट्वाय) की मौजूदगी से पार्थ की कमजोरी का पता चलता है। क्या पार्थ असफल थे? देश जानना चाहता है।’’दूसरा मामला पंजाब के पूर्व पुलिस अधिकारी और राजनीतिज्ञ तथा ‘शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर)’ के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान तथा पूर्व मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ के बेटों से संबंधित है।  सिमरनजीत सिंह मान के पिता लै. कर्नल जोगिंद्र सिंह मान 1967 में पंजाब विधानसभा के स्पीकर थे जबकि सिमरनजीत सिंह मान उसी वर्ष भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद कमांडैंट पंजाब सशस्त्र पुलिस व सी.आई.एस.एफ. बम्बई के ग्रुप कमांडैंट सहित कुछ अन्य पदों पर रहे। 


18 जून, 1984 को इन्होंने ‘आप्रेशन ब्लू स्टार’ के विरोध में पुलिस की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। इन्होंने 1989 में तरनतारन लोकसभा सीट रिकार्ड 89.16 प्रतिशत वोट प्राप्त करके जीती जबकि 1999 में इन्होंने संगरूर (मुख्यमंत्री भगवंत मान का जिला) सीट 42.08 प्रतिशत वोट प्राप्त करके जीती और 2022 में भी यहां से ‘आप’ के उम्मीदवार को हराया। 1990 में कृपाण धारण करने पर जोर देने के कारण इन्हें संसद में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था और इस बार उन्होंने संविधान के नाम पर शपथ ग्रहण कर ली। शहीद भगत सिंह को आतंकवादी बताने के लिए भी वह चर्चा में रहे। पंजाब की पंचायती जमीनों पर कब्जा करने वालों की सूची में पूर्व मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ के बेटे के अलावा सिमरनजीत सिंह मान के बेटे, बेटी और दामाद के अलावा 15 अन्य रसूखदारों का नाम भी आया है। 

 

पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के अनुसार गुरप्रीत सिंह कांगड़ के बेटे हरमनदीप सिंह ने 5 एकड़ भूमि पर, सिमरनजीत सिंह मान के बेटे ईमान सिंह मान ने 125 एकड़ पंचायती भूमि पर तथा इनकीबेटी-दामाद और एक रिश्तेदार ने 28 एकड़ भूमि पर कब्जा किया हुआ था, जिसे छुड़ाया गया है।
पश्चिम बंगाल के ‘शिक्षक भर्ती घोटाले’ और पंजाब के ‘भूमि कब्जा घोटाले’ में नेताओं, उनके करीबियों तथा रिश्तेदारों के नाम आने से स्पष्ट है कि आज सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े लोग किस प्रकार अपने प्रभाव का दुरुपयोग करके देश को आर्थिक रूप से खोखला कर रहे हैं। इस तरह के घटनाक्रम को देखते हुए लगता है कि आने वाले दिनों में इसी तरह के कुछ और मामले भी अवश्य सामने आ सकते हैं। अत: निश्चय ही ऐसे लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।     

—विजय कुमार 

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