Edited By Pardeep,Updated: 17 Dec, 2025 05:30 AM

आज के समय में विज्ञान और मेडिकल रिसर्च ने जबरदस्त तरक्की की है। एक दौर था जब छोटी-छोटी बीमारियों में भी लोगों की जान चली जाती थी, लेकिन आज वैज्ञानिक ऐसी गंभीर बीमारियों का इलाज खोज रहे हैं, जिन्हें कभी लाइलाज माना जाता था।
नेशनल डेस्कः आज के समय में विज्ञान और मेडिकल रिसर्च ने जबरदस्त तरक्की की है। एक दौर था जब छोटी-छोटी बीमारियों में भी लोगों की जान चली जाती थी, लेकिन आज वैज्ञानिक ऐसी गंभीर बीमारियों का इलाज खोज रहे हैं, जिन्हें कभी लाइलाज माना जाता था।
किडनी से जुड़ी समस्याएं भी ऐसी ही गंभीर बीमारियों में शामिल हैं। आपने कई बार सुना होगा कि किडनी खराब होने या सही तरीके से काम न करने की वजह से मरीजों को डायलिसिस या ट्रांसप्लांट तक की जरूरत पड़ जाती है। कई मामलों में किडनी को दोबारा ठीक कर पाना बेहद मुश्किल होता है।
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने सड़ी हुई या खराब हो चुकी किडनी को फिर से हेल्दी बनाने का तरीका खोज निकाला है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या यह तकनीक इंसानों पर भी उतनी ही कारगर साबित होगी, जितनी जानवरों पर हुई है?
वैज्ञानिकों ने कैसे खोजा किडनी को ठीक करने का तरीका?
हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा हेल्थ (University of Utah Health) की एक रिसर्च में क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease – CKD) को रोकने और सुधारने को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। इस रिसर्च के अनुसार, सेरामाइड (Ceramide) नाम की फैटी कोशिकाएं किडनी को तेजी से नुकसान पहुंचाती हैं। ये फैटी सेल्स शरीर की उन कोशिकाओं पर हमला करती हैं, जिन्हें माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) कहा जाता है। माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिकाओं का “पावरहाउस” माना जाता है, क्योंकि यही शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। जब सेरामाइड इन पर हमला करता है, तो किडनी की कोशिकाओं को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती और धीरे-धीरे किडनी काम करना बंद करने लगती है।
चूहों पर सफल रहा प्रयोग
वैज्ञानिकों ने एक खास बैकअप ड्रग कैंडिडेट की मदद से चूहों पर प्रयोग किया।
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इस दवा ने किडनी को होने वाले डैमेज को रोका
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माइटोकॉन्ड्रिया की बनावट को सुधारा
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और किडनी को दोबारा ऊर्जा पैदा करने में मदद की
इस प्रयोग के बाद चूहों की किडनी पहले से ज्यादा बेहतर तरीके से काम करने लगी। यानी, जो किडनी खराब हो चुकी थी, वह दोबारा हेल्दी होने लगी। हालांकि, डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का साफ कहना है कि केवल इसी एक शोध के आधार पर इंसानों के लिए निष्कर्ष निकालना सही नहीं होगा। इंसानों पर इसका असर जानने के लिए अभी और क्लिनिकल ट्रायल और रिसर्च की जरूरत है।
इंसानों पर कब तक हो सकता है इस्तेमाल?
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यह तकनीक इंसानों पर भी सफल रहती है, तो डायलिसिस पर निर्भरता कम हो सकती है। किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत घट सकती है और क्रॉनिक किडनी डिजीज के मरीजों की जिंदगी बेहतर हो सकती है। लेकिन फिलहाल यह तकनीक रिसर्च स्टेज में है और इंसानों पर इस्तेमाल से पहले इसमें समय लग सकता है।
किडनी खराब होने के मुख्य कारण
किडनी खराब होने के पीछे कई बड़ी वजहें होती हैं, जैसे—
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डायबिटीज (शुगर)
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हाई ब्लड प्रेशर (बीपी)
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लंबे समय तक पेनकिलर का ज्यादा सेवन
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शरीर में पानी की कमी
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बार-बार यूरिन या किडनी इंफेक्शन
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गलत खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल
डायबिटीज और हाई बीपी की वजह से किडनी की रक्त वाहिकाएं खराब हो जाती हैं, जिससे किडनी शरीर के टॉक्सिन्स को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती।
किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण
किडनी की बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआत में इसके लक्षण हल्के होते हैं, जिन्हें लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। ध्यान दें अगर—
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बार-बार थकान महसूस हो
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पैरों, चेहरे या आंखों में सूजन आए
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पेशाब का रंग या मात्रा बदल जाए
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रात में बार-बार पेशाब आए
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भूख कम लगने लगे
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पीठ या कमर के निचले हिस्से में दर्द हो
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शरीर में खुजली या ज्यादा रूखापन महसूस हो
तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
किडनी को खराब होने से बचाने के आसान नेचुरल उपाय
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रोज पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं
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ज्यादा नमक और मीठे से बचें
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तले-भुने और प्रोसेस्ड फूड कम खाएं
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बिना डॉक्टर की सलाह के पेनकिलर न लें
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नियमित व्यायाम करें
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वजन, ब्लड प्रेशर और शुगर कंट्रोल में रखें
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तनाव कम लें और अच्छी नींद लें
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें। किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।