‘देश में बाल विवाहों के विरुद्ध’ ‘आवाज उठाने लगीं बेटियां’

Edited By Updated: 07 Jun, 2023 04:10 AM

daughters started raising their voice  against child marriages in the country

हालांकि ‘यूनाइटेड नेशंस इंटरनैशनल चिल्ड्रन्स एमरजैंसी फंड’ (यूनिसेफ) ने 18 वर्ष से पहले किए जाने वाले विवाह को बाल विवाह के रूप में पारिभाषित करके कम आयु में लड़के-लड़कियों के विवाह की प्रथा को मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है फिर भी सदियों से...

हालांकि ‘यूनाइटेड नेशंस इंटरनैशनल चिल्ड्रन्स एमरजैंसी फंड’ (यूनिसेफ) ने 18 वर्ष से पहले किए जाने वाले विवाह को बाल विवाह के रूप में पारिभाषित करके कम आयु में लड़के-लड़कियों के विवाह की प्रथा को मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है फिर भी सदियों से चली आ रही बाल विवाह की कुरीति से भारत आज 21वीं सदी में भी अछूता नहीं है। बाल विवाह न सिर्फ बाल अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि कम उम्र का विवाह बच्चों के बचपन को भी निगल जाता है। ऐसे बाल विवाहों का सर्वाधिक दुष्परिणाम लड़कियों के यौन शोषण, जल्दी गर्भधारण के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संबंधी जोखिम, घरेलू ङ्क्षहसा की चपेट में आने, उच्च शिशु मृत्यु दर, कम वजन वाले शिशुओं का जन्म आदि के रूप में निकलता है। 

समाज में शिक्षा के विस्तार के साथ-साथ लड़कियों में जागरूकता आ रही है। जहां जागरूक नागरिक बाल विवाहों का पता चलने पर संबंधित अधिकारियों को सूचित करके इन्हें रुकवाने में सहायता दे रहे हैं, वहीं कई मामलों में स्वयं लड़कियां आगे आकर बेहतर भविष्य के लिए कम उम्र में अपने विवाह का विरोध करने लगी हैं।
पिछले डेढ़ माह के 6 उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं :- 

* 3 अप्रैल को दमोह (मध्यप्रदेश) जिले के ‘धोराज’ गांव में 15 वर्षीय लड़की द्वारा अधिकारियों से अपना विवाह रुकवाने की गुहार लगाने पर जिला कलैक्टर के निर्देश पर महिला बाल विकास परियोजना अधिकारियों ने पहुंच कर उसका विवाह रुकवाया और उसके माता-पिता को समझाया कि लड़की की आयु 18 वर्ष पूरी होने के बाद ही उसका विवाह कराना चाहिए, जिस पर उन्होंने सहमति व्यक्त कर दी। 
* 24 अप्रैल को बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के ‘देवरीखुर्द’ गांव में मां-बाप द्वारा अपनी 16 वर्ष की बेटी का विवाह कराने की सूचना लड़की के पड़ोसियों ने महिला बाल विकास अधिकारियों को दे दी, जिस पर उन्होंने वहां पहुंच कर विवाह रुकवा दिया। 

* 24 अप्रैल को ही सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) के गांव ‘केवाल’ में एक व्यक्ति द्वारा अपनी 14 वर्षीय नाबालिग बेटी का विवाह कराने की सूचना मिलने पर जिला बाल संरक्षण अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर विवाह रुकवा कर लड़की को छोटी उम्र में गृहस्थ जीवन में फंसने से बचाया।
* 22 मई को नूह (हरियाणा) के नगीना कस्बे में एक लड़की द्वारा अपनी नाबालिग सहेली की शादी एक बालिग लड़के से कराने की सूचना देने पर अधिकारियों ने समय रहते वहां पहुंच कर शादी रुकवा दी।  
* 26 मई को शिवपुरी (मध्यप्रदेश) के बदरवास थाना के ‘दीगोद कंचनपुरा’ गांव में एक 10 वर्षीय बच्ची को उसके चाचा-ताऊ द्वारा 14000 रुपए में बेचने के बाद उसकी शादी कराने की सूचना लड़की के भाई ने पुलिस को दी, जिस पर पुलिस ने पहुंच कर विवाह रुकवा दिया। 

* और अब 5 जून को इलुरु (आंध्र प्रदेश) के ‘वेंकटरपुरम’ की रहने वाली तथा पढ़-लिख कर कुछ बनने की इच्छुक लड़की ने अपने माता-पिता द्वारा जबरन कराई जाने वाली शादी पुलिस हैल्पलाइन को फोन करके रुकवा दी। पुलिस के समझाने पर लड़की के माता-पिता ने उसकी शादी रद्द कर दी। 
बाल विवाहों के प्रति समाज और स्वयं लड़कियों में जागरूकता आना एक सही बदलाव है। माता-पिता को भी कच्ची उम्र में विशेष रूप से लड़कियों के विवाह से जुड़े जोखिमों का एहसास करते हुए 18 वर्ष के बाद ही उनके विवाह के विषय में सोचना चाहिए, तभी बच्चियों के स्वास्थ्य की रक्षा होगी और वे स्वस्थ संतान को भी जन्म दे पाएंगी।—विजय कुमार

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