'जीवन की संध्या मेंः बेरहम संतानें' 'अपने माता-पिता पर कर रहीं अत्याचार'

Edited By Updated: 17 Jun, 2021 04:54 AM

in the evening of life merciless children atrocities on their parents

एक समय था जब संतानें मां के चरणों में स्वर्ग और पिता के चेहरे में भगवान देखती थीं और उनके आदेश पर सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार रहती थीं परंतु आज कुछ माता-पिता अपनी संतानों के

एक समय था जब संतानें मां के चरणों में स्वर्ग और पिता के चेहरे में भगवान देखती थीं और उनके आदेश पर सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार रहती थीं परंतु आज कुछ माता-पिता अपनी संतानों के हाथों ही उत्पीड़ित हो रहे हैं। संतानों द्वारा अपने बुजुर्गों की उपेक्षा से द्रवित पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी ने ‘पंजाब केसरी’ में ‘जीवन की संध्या’ शीर्षक से लगातार लेख लिख कर बुजुर्गों की समस्याओं और उनके पुनर्वास के लिए वृद्धाश्रमों के निर्माण की आवश्यकता बारे सरकार तथा समाजसेवी संस्थाओं का ध्यान दिलाया था। 

उल्लेखनीय है कि शादी के बाद चंद संतानों का एकमात्र उद्देश्य किसी भी तरह माता-पिता की स पत्ति पर कब्जा करना ही रह जाता है तथा ऐसा करने के बाद उन्हें घर से बाहर निकाल देने के अलावा कुछ संतानें तो उनकी हत्या तक कर देती हैं जिसके मात्र एक महीने के उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 16 मई को औरैया जिले में एक बेेेटे ने अपने बुजुर्ग पिता रमेश चंद्र तथा मां से मारपीट करने के बाद उन्हें घर से निकाल दिया। गश्त पर निकली पुलिस अधीक्षक अपर्णा गौतम ने उन्हें उनके घर भिजवाया।
* 20 मई को सोहाना थाने की पुलिस ने अपने बुजुर्ग माता-पिता को मारपीट कर घर से निकाल देने तथा दोबारा घर में घुसने पर जान से मार डालने की धमकी देने के आरोप में एक युवक और उसकी पत्नी के विरुद्ध केस दर्ज किया।
* 26 मई को संभल के ‘ढवारसी’ गांव में एक युवक अपनी बूढ़ी मां को बस अड्डो पर लावारिस छोड़ कर खिसक गया। 

* 26 मई को पानीपत जिले के विकास नगर में स पत्ति के लालच में इकलौते बेटे व उसकी पत्नी द्वारा अपनी 60 वर्षीय मां को पीटने तथा उसके साथ जानवरों से भी बुरा बर्ताव करने का मामला सामने आया। 

* 31 मई को गाजियाबाद में इकलौते बेटे द्वारा स पत्ति के लालच में घर से निकाली गई वृद्ध मां को उसकी बेटी और दामाद ने शरण दी। वृद्धा ने कहा कि विवाह से पहले बेटे का व्यवहार ठीक था परंतु बहू के आते ही बदल गया।
* 1 जून को जालन्धर में अपनी बहू से परेशान होकर एक 60 वर्षीय बुजुर्ग ने आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में मृतक ने अपनी मौत के लिए अपने बेटे और बहू को जि मेदार बताया।
* 1 जून को अपने सास-ससुर को पीटने, उन पर अत्याचार करने और एक अंधेरे कमरे में बंद रखने के आरोप में हिमाचल के धर्मपुर सब डिवीजन के गांव ‘हियून’ में एक महिला के विरुद्ध केस दर्ज किया गया। 

* 2 जून को हरदोई के ‘टडिय़ावां’ गांव में बेटों-बहुओं द्वारा घर से निकाली गई दर-दर भटकती वृद्धा को पुलिस ने दोबारा उसके घर पहुंचाया।
* 6 जून को कुरुक्षेत्र जिले के ‘जुरासीकलां’ गांव में एक युवक ने दरांती से अपने पिता की हत्या कर दी।
* 9 जून को बॉ बे हाईकोर्ट ने अपने पिता से दुव्र्यवहार करने वाले बेटे को 4 सप्ताह के भीतर उसका मकान खाली करके चले जाने का आदेश सुनाया।
* 13 जून को गाजियाबाद के ‘बलराम नगर’ में पैतृक स पत्ति में हिस्सेदारी से इंकार करने पर एक व्यक्ति ने अपने बुजुर्ग माता-पिता की गला घोंट कर हत्या करने के बाद घटना को लूट का रूप देने के लिए घर में तोड़-फोड़ कर दी।
* 14 जून को बहू के साथ विवाद के चलते हिसार अदालत परिसर में जहरीला पदार्थ निगलकर एक बुजुर्ग द पति द्वारा आत्महत्या कर लेने के मामले में पुलिस ने मृतकों की बहू और उसके माता-पिता के विरुद्ध केस दर्ज किया। 

संतानों द्वारा अपने बुजुर्गों से बदसलूकी के ये तो उदाहरण मात्र हैं। एक एन.जी.ओ. द्वारा करवाए गए नवीनतम सर्वे में कहा गया है कि कोरोना काल में अपने बुजुर्गों के साथ संतानों का उपेक्षापूर्ण व्यवहार और भी बढ़ गया है। इसीलिए हम अपने लेखों में बार-बार लिखते रहते हैं कि माता-पिता अपनी स पत्ति की वसीयत तो अपने बच्चों के नाम कर दें परंतु उनके नाम पर ट्रांसफर न करें। ऐसा करके वे अपने जीवन की संध्या में आने वाली परेशानियों से बच सकते हैं परंतु वे यह भूल कर बैठते हैं जिसका खमियाजा उन्हें अपने शेष जीवन भर भुगतना पड़ता है। 

संतानों द्वारा अपने बुजुर्गों की उपेक्षा को रोकने के लिए हिमाचल सरकार ने 2002 में ‘वृद्ध माता-पिता एवं आश्रित भरण-पोषण कानून’ बनाया था। बाद में केंद्र सरकार व कुछ अन्य राज्य सरकारों ने भी इसी तरह के कानून बनाए हैं परंतु बुजुर्गों को उनकी जानकारी न होने के कारण इनका लाभ उन्हें नहीं मिल रहा। अत: इन कानूनों के बारे में बुजुर्गों को जानकारी प्रदान करने के लिए इनका समुचित प्रचार करने की तुरंत आवश्यकता है।—विजय कुमार 

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