पंजाब की गौशालाएं और गौवंश संकट में किसान समस्याओं की भांति मुख्यमंत्री इनका भी हल निकालें

Edited By ,Updated: 24 May, 2022 03:56 AM

like farmers  problems in cow dynasty the chief minister should also solve them

पंजाब में 400 से अधिक गौशालाएं हैं। इनमें से अधिकांश गौशालाएं गौभक्त अपने ही साधनों से चला रहे हैं तथा सरकार की ओर से पर्याप्त आर्थिक सहायता न मिलने के कारण ये भारी आर्थिक संकट की शिकार हैं। गौवंश के

पंजाब में 400 से अधिक गौशालाएं हैं। इनमें से अधिकांश गौशालाएं गौभक्त अपने ही साधनों से चला रहे हैं तथा सरकार की ओर से पर्याप्त आर्थिक सहायता न मिलने के कारण ये भारी आर्थिक संकट की शिकार हैं।
गौवंश के कल्याण के नाम पर पंजाब की तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार द्वारा 2015 में विभिन्न वस्तुओं पर लगाए गए ‘काऊ सैस’ के रूप में करोड़ों रुपए एकत्रित होते हैं परंतु सरकार द्वारा इसे गौवंश पर खर्च न करने के कारण गौभक्तों में भारी रोष व्याप्त है। 

‘गौसेवा मिशन’ के अध्यक्ष स्वामी कृष्णानंद भूरीवाले के अनुसार राज्य की गौशालाओं तथा लाखों गौवंश और पशुपालकों को इस समय घास-चारा के अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस बारे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि : 

‘‘पंजाब की गौशालाओं में अधिकतर अपंग, वृद्ध, लाचार, बीमार, दुर्घटनाग्रस्त और कसाइयों के हाथों से छुड़ाकर लाया गया गौवंश ही होता है परन्तु पिछले कुछ ही समय में दुगने हो चुके घास-चारा के आकाश छूते भावों के कारण इन्हें न सिर्फ भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है बल्कि इससे गौवंश के लिए अस्तित्व का खतरा पैदा होने के अलावा गौपालन और पशुधन व्यवसाय पर आश्रित लोगों के लिए भी भारी संकट पैदा हो गया है।’’
‘‘पंजाब की सभी गौशालाओं में निराश्रित गौवंश को प्रति गाय प्रतिदिन के हिसाब से राजस्थान सरकार द्वारा लागू नीति के अनुसार स्थायी अनुदान प्रदान करना शुरू किया जाए।’’
‘‘पंजाब सरकार द्वारा काऊ सैस के रूप में एकत्रित गौनिधि के सम्पूर्ण धन को आॢथक संसाधनों की कमी से जूझ रही प्रदेश की सभी गौशालाओं में बांटने की स्थायी नीति तय की जाए तथा पिछली सरकारों द्वारा गौशालाओं को मुफ्त बिजली आपूर्ति का वायदा भी पूरा किया जाए।’’ 

‘‘राज्य के समस्त गोचर, अगोचर, देवस्थान, नदी-नाले, वन आदि में सरकारी गोभूमियों की हदबंदी करवा कर गोचारण के लिए प्रमाणित गौशालाओं को सौंपा जाए।’’ 
‘‘पंजाब में जिला स्तर पर स्थापित सरकारी गौशालाओं में रखे गए गौवंश की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण इन गौशालाओं को पंजाब में कार्यरत प्रमाणित गौशालाओं अथवा गौसेवक समूहों को सौंपा जाए।’’ 
‘‘पशुपालन विभाग द्वारा साहीवाल, राठी, थारपारकर, गीर आदि भारतीय गौवंश के संवर्धन के लिए जिले की सभी गौशालाओं को प्रमाणित नंदी (सांड) उपलब्ध करवाए जाएं और जिला एवं प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में उन्नत नंदी शालाएं कायम की जाएं।’’ 

‘‘गौ आधारित कृषि एवं पंचगव्य उत्पादों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की वृहद नीति लागू करके राज्य की कृषि मंडियों और वन विभाग के कुल राजस्व की 20 प्रतिशत राशि गौसेवा के लिए आरक्षित की जाए।’’ 
‘‘पंजाब गौ सेवा आयोग के पास कोई वित्तीय,  प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकार नहीं होने के कारण यह अव्यवहारिक हो गया है, अत: गौसेवा और गौरक्षा के लिए एक स्वतंत्र गौमंत्रालय का गठन किया जाए।’’ 

जिस तरह मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रदर्शनकारी किसानों की समस्याओं का समाधान निकाला है, इसी प्रकार उन्हें राज्य की गौशालाओं के प्रबंधकों के साथ बात करके उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान करना चाहिए। इससे न केवल राज्य में गौधन का संरक्षण हो सकेगा बल्कि इससे प्राप्त होने वाले पदार्थों से राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ राज्य के लोगों की सेहत में सुधार और पर्यावरण का भी संरक्षण हो सकेगा।—विजय कुमार

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