अब हिंसा त्याग कर अहिंसा का रास्ता अपनाना जरूरी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jan, 2018 03:34 AM

now it is necessary to adopt a path of non violence

किसी भी देश के इतिहास में गणतंत्र दिवस समारोह बड़े उल्लास का पर्व होने के साथ-साथ शुभ संकल्प लेने का पर्व भी होता है। यहां यह बात उल्लेखनीय है कि आज विश्व में गणतंत्र दिवस मनाने का मौका काफी घट गया है क्योंकि बहुत से देश तानाशाह होते जा रहे हैं और...

किसी भी देश के इतिहास में गणतंत्र दिवस समारोह बड़े उल्लास का पर्व होने के साथ-साथ शुभ संकल्प लेने का पर्व भी होता है। यहां यह बात उल्लेखनीय है कि आज विश्व में गणतंत्र दिवस मनाने का मौका काफी घट गया है क्योंकि बहुत से देश तानाशाह होते जा रहे हैं और भारत उन गिने-चुने सौभाग्यशाली देशों में से एक है जहां हम आज भी गणतंत्र दिवस मनाते हैं। 

आज जबकि हम अपना गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं, अपनी अब तक की उपलब्धियों और कमजोरियों पर दृष्टिïपात करने पर कई अच्छी और कई ‘बुरी’ बातें हमारे सामने आती हैं। राजनीतिक क्षितिज पर एक लोकतांत्रिक देश के रूप में हमने अपनी जड़ें मजबूत की हैं। हमारे देश में शांतिपूर्वक चुनाव होते हैं और नियमित रूप से सत्ता परिवर्तन होता है। आर्थिक मोर्चे पर भी देश ने प्रगति की है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) ने भी भारत को एक उभरती हुई महाशक्ति के रूप में स्वीकार किया है जिसकी विकास दर सर्वाधिक है और एक अनुमान के अनुसार सन् 2030 तक भारत विश्व में एक आर्थिक महाशक्ति बन कर उभर सकता है। 

आज भारत स्वतंत्रता के शुरूआती दौर से कहीं आगे निकल आया है। पहले की तुलना में प्रगति और प्रगति की दर में बहुत सुधार आया है परंतु कुछ प्रमुख मुद्दे अभी भी हमारे सामने हैं। आज भी लोग बड़ी संख्या में बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। सस्ती और अच्छी शिक्षा तथा पर्यावरण की समस्याएं भी हैं परंतु सबसे महत्वपूर्ण समस्या है समाज में बढ़ती हिंसा। देश में आतंकवाद, अपराधों, नक्सली ङ्क्षहसा का बोलबाला है। असहनशीलता बढ़ रही है। महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार और बलात्कार जोरों पर हैं। समाज में उथल-पुथल सी मची हुई है। लोगों में आक्रोश है, छोटी-छोटी बातों पर लोग हिंसक हो जाते हैं और इसीलिए हमारा प्रदर्शन करने का तरीका भी ङ्क्षहसक होता जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप होने वाली हिंसा में बड़ी संख्या में जान-माल की क्षति होती है। 

विदेशों में होने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के विपरीत भारत उग्र प्रदर्शनों का देश बन कर रह गया है जबकि विश्व को अङ्क्षहसक तरीके से विरोध व्यक्त करने का रास्ता दिखाने वाला भारत ही यह रास्ता भूल गया है। पारिवारिक ताना-बाना कमजोर हो रहा है जिससे सच्चाई और मेहनत के बुनियादी मूल्य आगे नहीं जा रहे। बच्चों द्वारा बुजुर्गों के प्रति अत्याचारों में भारी वृद्धि हुई है और घरेलू हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। लोगों में कानून तोडऩे का रुझान लगातार बढ़ रहा है। लोग हर मामले में कानून को दरकिनार कर बच निकलने के नए-नए तरीके ढूंढते रहते हैं। 

न्याय की प्रक्रिया अत्यंत धीमी होने से अदालतों में मुकद्दमों के ढेर लगे हुए हैं और 20-20 वर्षों तक मुकद्दमों का फैसला न होने के कारण अनेक मामलों में कानून का उद्देश्य ही समाप्त होकर रह जाता है। लम्बी कानूनी प्रक्रिया के कारण लोगों में कानून का डर नहीं रहा। ऐसे में पुलिस प्रशासन में सुधारों की अत्यधिक आवश्यकता है। विदेशों में जहां प्रत्येक 100 व्यक्तियों पर एक पुलिस कर्मी है तो भारत में 1000 व्यक्तियों पर। पुलिस को सक्षम बनाने की तो आवश्यकता है परंतु राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखते हुए। इसी प्रकार हालांकि भारतीय सेना विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, परंतु शस्त्रों की सबसे बड़ी आयातक होने के बावजूद शक्ति के मामले में यह चीन और पाकिस्तान से पीछे है। 

देश में स्वदेशी प्रतिरक्षा उपकरणों का विकास नहीं हो पा रहा। भारतीय प्रतिरक्षा अनुसंधान संस्थान (डी.आर.डी.ओ.) प्रतिरक्षा उपकरणों के विकास में कुछ खास नहीं कर पा रहा। देश में प्रतिरक्षा उपकरणों के ‘इन्टर्नल इन्वैंशन’ का बहुत अभाव है। कुल मिलाकर आज का दिन जहां हमारे लिए हर्ष और उल्लास का दिन है वहीं आत्म चिंतन करने का दिन भी है। आज के दिन हमें सत्य और अहिंसा का पाठ दोबारा सीखने और अपनाने की आवश्यकता है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!