गाजा में इसराईली कार्रवाई के विरुद्ध अमरीकी विश्वविद्यालयों के छात्रों में गुस्सा क्यों

Edited By ,Updated: 29 Apr, 2024 02:46 AM

why are students of american universities angry against israeli action in gaza

गत वर्ष अक्तूबर में हमास द्वारा इसराईल पर किए गए हमले के जवाब में इसराईल द्वारा गाजा पर 6 महीने से हो रहे हमलों में हुए भीषण नरसंहार और विनाश के विरुद्ध विश्व के अनेक हिस्सों में इसराईल के विरुद्ध रोष पनप रहा है।

गत वर्ष अक्तूबर में हमास द्वारा इसराईल पर किए गए हमले के जवाब में इसराईल द्वारा गाजा पर 6 महीने से हो रहे हमलों में हुए भीषण नरसंहार और विनाश के विरुद्ध विश्व के अनेक हिस्सों में इसराईल के विरुद्ध रोष पनप रहा है। इसी कड़ी में अमरीका के न्यूयार्क से लेकर कैलिफोॢनया तक विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों में भारी रोष और आक्रोष व्याप्त है। अनेक विश्वविद्यालयों में प्रदर्शनकारी छात्रों की पुलिस के साथ झड़पों में कुछ कक्षाएं भी बंद हो गई हैं और छात्रों की ग्रैजुएशन सैरेमनी भी नहीं हो पाई है।

इसकी शुरुआत लगभग 2 महीने पहले हावर्ड और यूनिवॢसटी आफ पेंसिलवेनिया में हुई जहां इसे दबा दिया गया। गाजा के घटनाक्रम से सम्बन्धित वीडियो सामने आने के बाद प्रदर्शन की शुरूआत कोलम्बिया विश्वविद्यालय से हुई, क्योंकि इससे पहले तो किसी को इसकी जानकारी ही नहीं थी कि फिलिस्तीन में इस कदर अनर्थ हो रहा है। अमरीकी कानून के अनुसार प्रोटैस्ट करने के दौरान किसी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कोलम्बिया विश्वविद्यालय के प्रबंधकों ने एक कोना बनाया हुआ है जहां छात्र प्रोटैस्ट कर सकते हैं परंतु छात्रों का आरोप है कि जब उन्होंने प्रोटैस्ट किया तो पहले विश्वविद्यालय के प्रबंधकों ने उनको निलम्बित करने के बाद उनका सामान निकाल कर बाहर फैंक दिया और फिर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया।
 इसलिए अब छात्र सिर्फ कोलम्बिया विश्वविद्यालय में ही नहीं बल्कि अन्य विश्वविद्यालयों में भी अपने विश्वविद्यालय परिसरों से दूर जाकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

देश भर के कालेज परिसरों में प्रदर्शनकारी छात्रों की एक केंद्रीय मांग यह है कि विश्वविद्यालय और व्यवसाय इसराईल से जुड़ी कंपनियों से अलग हो जाएं जो गाजा में युद्ध से लाभ कमा रहे हैं। अन्य मांगों में प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालयों से अपने निवेश का खुलासा करने, गाजा में युद्ध विराम का समर्थन करने और इसराईली विश्वविद्यालयों के साथ शैक्षणिक संबंध तोडऩे की मांग शामिल है। इसके अलावा नरसंहार को सक्षम करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले युद्ध के हथियारों पर विश्वविद्यालय में शोध बंद करने की मांग भी की जा रही है। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि कोलंबिया विश्वविद्यालय तेल अवीव में अपने केंद्र के साथ संबंध तोड़ दे और तेल अवीव विश्वविद्यालय के साथ दोहरी डिग्री कार्यक्रम बंद कर दें। छात्रों का यह भी कहना है कि विश्वविद्यालयों को इसराईल से जो एंडोमैंट मिल रही है, उसे बंद किया जाए। 

छात्र देश के विश्वविद्यालयों से इसराईल में अपने निवेश का खुलासा करने, गाजा में युद्ध विराम का समर्थन करने की मांग भी कर रहे  हैं। छात्रों का कहना है कि ‘‘जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं की जातीं हम कहीं नहीं जाएंगे।’’ हालांकि विश्वविद्यालयों ने बड़े पैमाने में इस मांग को मानने से इंकार कर दिया है और विशेषज्ञों का कहना है कि विनिवेश का कम्पनियों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ सकता। अमरीकी कांग्रेस में इसराईल तथा यूक्रेन को 95 मिलियन डॉलर सहायता का प्रस्ताव पास करने वाले माइक जॉन्सन ने गत 24 अप्रैल को जब छात्रों को सम्बोधित किया तो उन्होंने आरोप लगाया कि इन सबको प्रदर्शन करने के लिए 2000-2000 डालर रकम दी जा रही है तो छात्रों ने इस बात को लेकर बड़ा प्रोटैस्ट किया और कहा कि वे तो गाजा में इसराईली कार्रवाई को अमरीका द्वारा समर्थन के विरुद्ध प्रोटैस्ट कर रहे हैं। 

छात्रों ने उनसे कहा, ‘‘खुलासा करो, खुलासा करो। हम रुकेंगे नहीं, हम आराम नहीं करेंगे।’’इस तरह के हालात तथा अमरीका भर के विश्वविद्यालयों में सैंकड़ों गिरफ्तारियों के बीच अधिकारियों से देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने और छात्रों को विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए दंडित किए जाने से बचाने की मांग भी की जा रही है। दक्षिण कैलिफोॢनया विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारी छात्र हिरासत में लिए गए लोगों के लिए पूर्ण माफी और परिसर में ‘पुलिस व्यवस्था नहीं’ की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि खुलासा करने और इसराईली विश्वविद्यालयों से संबंध तोडऩे और विनिवेश करने की मांगें आपस में जुड़ी हुई हैं। 

प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि अमरीकी विश्वविद्यालयों के कई आॢथक हित अपारदर्शी हैं और इनके इसराईल के साथ संबंध अधिकारियों की कल्पना से भी अधिक बड़े हो सकते हैं। इससे पूर्व अमरीका में इतने बड़े स्तर पर विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन वियतनाम युद्ध के दौरान देखे गए थे जब छात्रों ने अमरीका सरकार को युद्ध से हटनेे के लिए मजबूर करने के लिए भारी पैमाने पर प्रदर्शन किए थे। हालांकि अमरीकी अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग स्वीकार करने की संभावना नहीं है। फिर भी आगामी अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों में इसका क्या प्रभाव होगा यह देखने वाली बात होगी।

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