Edited By ,Updated: 10 Feb, 2024 03:43 AM
![pooja sharma who performs last rites of unclaimed dead bodies](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_2image_03_43_01132779600-ll.jpg)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विधि-विधानपूर्वक अंतिम संस्कार के बिना किसी मृतक को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती परंतु अनेक मृतकों को अपने परिजनों के हाथों अंतिम संस्कार नसीब नहीं हो पाता। इनमें दुर्घटनाओं में तथा अस्पतालों आदि में मरने वाले लावारिस लोग...
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विधि-विधानपूर्वक अंतिम संस्कार के बिना किसी मृतक को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती परंतु अनेक मृतकों को अपने परिजनों के हाथों अंतिम संस्कार नसीब नहीं हो पाता। इनमें दुर्घटनाओं में तथा अस्पतालों आदि में मरने वाले लावारिस लोग शामिल हैं।
ऐसे ही लोगों के अंतिम संस्कार के लिए चंद समाजसेवी संस्थाएं और लोग निजी स्तर पर काम कर रहे हैं। इनमें से एक हैं फरीदाबाद की 26 वर्षीय ‘पूजा शर्मा’, जो 13 मार्च, 2022 को किसी व्यक्ति द्वारा इनके भाई की हत्या किए जाने के बाद से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती आ रही हैं। अब तक दिल्ली एन.सी.आर. में लगभग 4000 ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी ‘पूजा शर्मा’ का कहना है कि उनके भाई की हत्या के आघात को सहन नहीं कर पाने के कारण उनके पिता कोमा में चले गए।
वह लोगों से भाई का अंतिम संस्कार करने में सहायता के लिए गुहार लगाती रहीं, परंतु जब रिश्तेदारों और आस-पास के लोगों में से कोई आगे न आया तो उन्होंने स्वयं श्मशानघाट में अपने भाई का अंतिम संस्कार किया और तभी से अस्पतालों में लावारिस पड़े शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करने का प्रण किया है।
‘पूजा शर्मा’ अंतिम संस्कार पर आने वाला लगभग 1000 से 1200 रुपए का खर्च भी स्वयं उठाती हैं तथा मृतकों की अस्थियां गंगा में विसॢजत करने के लिए महीने की प्रत्येक अमावस्या को हरिद्वार जाती हैं। ‘पूजा शर्मा’ ने अपने भाई की हत्या से उपजी पीड़ा को प्रतिशोध में बदलने की बजाय समाज सेवा की ओर मोड़ कर एक उदाहरण पेश किया है, जो निश्चय ही प्रशंसनीय है।—विजय कुमार