‘अभी कुछ लोग बाकी हैं जहां में’ पुलिस विभाग के कर्तव्य परायण अधिकारी

Edited By Pardeep,Updated: 31 Oct, 2018 04:12 AM

there are still some people where the duty officer of the police department

अक्सर पुलिस द्वारा लापरवाही, कत्र्तव्य विमुखता और लोगों के उत्पीडऩ के मामले सामने आते रहते हैं परंतु पुलिस में कुछ कत्र्तव्य परायण अधिकारी भी मौजूद हैं जो अपनी निष्ठïा और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए विभाग का नाम रोशन कर रहे हैं।...

अक्सर पुलिस द्वारा लापरवाही, कत्र्तव्य विमुखता और लोगों के उत्पीडऩ के मामले सामने आते रहते हैं परंतु पुलिस में कुछ कत्र्तव्य परायण अधिकारी भी मौजूद हैं जो अपनी निष्ठा और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए विभाग का नाम रोशन कर रहे हैं। यहां पेश हैं ऐसे ही चंद उदाहरण : 

26 फरवरी को सहारनपुर के निकट बड़ा गांव में ड्यूटी पर तैनात दारोगा भूपेंद्र सिंह तोमर को सूचना मिली कि रामपुर मनिहारन में खून से लथपथ  एक व्यक्ति सड़क के किनारे बेहोश पड़ा है। उसे जल्दी अस्पताल पहुंचाया जाए। भूपेंद्र सिंह घायल को लेने के लिए चल दिए। वह रास्ते में थे कि तभी उन्हें फोन पर अपनी बेटी के इस दुनिया में न रहने की खबर मिली। उनके साथ गाड़ी में मौजूद पुलिस कर्मियों ने उन्हें तत्काल घर जाने को कहा परंतु भूपेंद्र ने उत्तर दिया कि ‘‘मेरी बेटी तो इस दुनिया में नहीं रही लेकिन घायल व्यक्ति भी किसी के घर का बेटा है। मेरे घर की ज्योति तो बुझ गई है लेकिन मैं किसी दूसरे घर का चिराग बुझने नहीं दूंगा।’’ उन्होंने पहले घायल को ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया और फिर अपने घर गए। 

23 मार्च को सहारनपुर में रिजर्व पुलिस लाइन गेट पर वाहनों की चैकिंग के दौरान एच.सी.पी. राम मेहर सिंह का बेटा हर्ष बिना हैल्मेट लगाए बुलेट पर सवार होकर वहां से गुजरा और पिता को देख कर आगे बढऩे लगा। तभी राम मेहर ने बेटे को डांटते हुए रोका और हैल्मेट न पहनने पर चालान काट कर 100 रुपए वसूल किए। इतना ही नहीं राम मेहर ने सबके सामने हर्ष को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भविष्य में वह यातायात नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया गया तो उसका बुलेट सीज कर दिया जाएगा। राम मेहर की इस कत्र्तव्य परायणता के लिए उच्चाधिकारियों ने उसे शाबाशी दी। 29 मई को राजस्थान में अलवर जिले के पुलिस अधीक्षक सुरेश यादव ने अपने ही कार्यालय में यातायात नियमों की उपेक्षा करके बिना हैल्मेट आने वाले पुलिस कर्मियों के चालान काटने का विशेष अभियान चलाया। इस दौरान बिना हैल्मेट आने वाले लगभग 30 पुलिस कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों के चालान काटने के साथ-साथ उनसे जुर्माने की राशि भी वसूल की गई। 

02 जुलाई को उत्तराखंड के देहरादून की जौली ग्रांट पुलिस चौकी में बतौर प्रभारी तैनात मंजुल रावत अपनी चौकी के अधीन आने-जाने वाले वाहनों और उनके कागजात की जांच कर रहे थे। इसी दौरान उनका सगा छोटा भाई मृणाल रावत जो स्वयं रायवाला पुलिस थाने में बतौर कांस्टेबल तैनात है उनसे मिलने के लिए आया। इससे पहले कि मृणाल कुछ कहता बड़े भाई मंजुल ने अपना कत्र्तव्य निभाते हुए छोटे भाई के हाथ में बिना हैल्मेट बाइक चलाने के अपराध में 100 रुपए जुर्माने का चालान थमा दिया और आगे से सजग रहने की नसीहत भी दी। 20 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की सिकंदरपुर चौकी पर तैनात प्रभारी सतेंद्र कुमार राय रात के समय अपनी ड्यूटी पर सिकंदरपुर आ रहे थे कि उन्हें बड़हलगंज के निकट सड़क पर संदिग्ध अवस्था में पड़ा प्लास्टिक का एक थैला दिखाई दिया। सतेंद्र कुमार राय ने अपनी गाड़ी रोक कर उस थैले को उठाकर देखा तो उसमें लगभग 85,000 रुपए नकद और पर्स के अलावा आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पिन सहित ए.टी.एम. कार्ड व कुछ अन्य कागजात थे। उन्होंने बैग संभाल लिया तथा 25 अक्तूबर को थैले के मालिक का पता लगाकर उसको उसकी अमानत सौंप दी। 

26 अक्तूबर को मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में पुलिस उपनिरीक्षक अखिलेश सिंह वाहनों की चैकिंग कर रहे थे तभी कटनी जिले की बहोरीबंद तहसील में एस.डी.ओ. के पद पर तैनात उनके पिता आर.बी. सिंह, जिन्होंने अपनी कार पर काले शीशे लगा रखे थे, वहां से गुजरे। अखिलेश सिंह ने अपने मातहत पुलिस कर्मचारियों को आदेश देकर अपने पिता की कार से काली फिल्म उतरवाने के अलावा उनका चालान काट कर उनसे मौके पर ही जुर्माना भी वसूल कर लिया। यदि सभी पुलिस कर्मचारी व अधिकारी इन्हीं जैसे कत्र्तव्य परायण व निष्ठïावान हो जाएं तो इससे समाज में अपराध घटेंगे, अनुशासनहीनता में कमी आएगी तथा भारत भी अन्य देशों की तरह आगे बढऩे लगेगा।—विजय कुमार  

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