बटाला की पटाखा फैक्टरी में आग लगने से भयानक विस्फोट में दर्दनाक मौतें

Edited By ,Updated: 06 Sep, 2019 01:23 AM

traumatic death in fire in batala firecracker factory

सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा नियमों का पालन न करने के कारण समय-समय पर भारत में पटाखा फैक्टरियों में आग लगने से होने वाले धमाकों में बड़ी संख्या में जानमाल की हानि होती रहती है। ऐसी ही लापरवाही के चलते 21 जनवरी, 2018 को दिल्ली के बवाना में  एक अवैध...

सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा नियमों का पालन न करने के कारण समय-समय पर भारत में पटाखा फैक्टरियों में आग लगने से होने वाले धमाकों में बड़ी संख्या में जानमाल की हानि होती रहती है। 

ऐसी ही लापरवाही के चलते 21 जनवरी, 2018 को दिल्ली के बवाना में  एक अवैध पटाखा फैक्टरी में भीषण आग लगने से 9 महिलाओं तथा नाबालिग लड़की सहित 17 लोगों की मृत्यु हो गई थी। और अब 4 सितम्बर, 2019 को पंजाब के बटाला में 10,000 की आबादी वाली गुरु राम दास कालोनी में एक स्कूल तथा गुरुद्वारा साहब के निकट स्थित अवैध पटाखा फैक्टरी में आग लगने के बाद हुए भयानक विस्फोट में 23 लोगों की मृत्यु और लगभग 4 दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। धमाका इतना तीव्र था कि लाशें कई मीटर दूर तक जाकर गिरीं। फैक्टरी के 200 मीटर से भी अधिक दूर तक के इलाके में इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और सड़क पर खड़ी कारें तथा बाइक भी हवा में उछल गए। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार उसने 2 मकानों को 3 मिनट के भीतर ढहते हुए देखा। 

बताया जाता है कि अप्रशिक्षित मजदूर पटाखों में विस्फोटक भर रहे थे जिसके दौरान निकली चिंगारी से आग भड़क गई। यह भी चर्चा है कि पटाखों में भरने वाले बारूद के साथ ही बेतरतीब तरीके से सिलैंडर रखे हुए थे और फैक्टरी पुरानी होने के कारण बिजली की वायरिंग भी सही नहीं थी। उल्लेखनीय है कि 2 वर्ष पहले भी इसी पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में जान-माल की हानि हुई थी जिसकी जांच रिपोर्ट अभी तक रहस्य के पर्दे में है। यह भी कहा जाता है कि क्षेत्रवासियों ने 3 बार इस फैक्टरी के मालिकों  के विरुद्ध जिला प्रशासन से शिकायत की परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। 

प्रशासन द्वारा सुरक्षात्मक कदम न उठाना और आबादी वाले क्षेत्र में सुरक्षा नियमों का पालन किए बिना फैक्टरी को चलने देते रहना घोर अपराध है, जबकि कानून के अनुसार कोई भी पटाखा फैक्टरी आबादी से कम से कम एक किलोमीटर दूर होनी चाहिए। सर्वाधिक दुखद बात यह भी है कि ऐन प्रशासन की नाक तले अवैध पटाखा फैक्टरियां सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन किए बिना चलाई जा रही हैं और इसकी जानकारी होने के बावजूद प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। 

प्रशासन तभी जागता है जब कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है और कुछ दिनों के शोर के बाद मामला ‘शांत’ हो जाने पर फिर पहले की तरह गहरी नींद में सो जाता है। लिहाजा ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों और अधिकारियों के विरुद्ध कठोरतम दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए, तभी ऐसी घटनाओं पर रोक लग सकेगी और मूल्यवान प्राण बच सकेंगे।—विजय कुमार 

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