कश्मीर में आतंकियों द्वारा अपनों के विरुद्ध हिंसा और रक्तपात जारी

Edited By ,Updated: 01 Jul, 2021 05:43 AM

violence and bloodshed by terrorists against loved ones continues in kashmir

जम्मू्-कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा पाक समर्थित आतंकवादियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान से बौखलाए आतंकवादियों ने आम लोगों के साथ-साथ  पुलिस कर्मचारियों और उनके पारिवारिक

जम्मू्-कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा पाक समर्थित आतंकवादियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान से बौखलाए आतंकवादियों ने आम लोगों के साथ-साथ  पुलिस कर्मचारियों और उनके पारिवारिक सदस्यों को निशाना बनाना और उनका उत्पीडऩ शुरू कर रखा है। इस वर्ष 27 जून तक जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के हाथों 17 नागरिकों के अलावा संयुक्त सुरक्षा बलों के 23 सदस्यों की हत्या की जा चुकी है। यहां निम्र में दर्ज हैं जून के महीने में कश्मीर घाटी में आतंकी हिंसा की घटनाएं : 

* 13 जून को आतंकवादियों ने सोपोर में 2 नागरिकों और जम्मू-कश्मीर सशस्त्र पुलिस के 2 सदस्यों को मार डाला।
* 17 जून को आतंकवादियों ने श्रीनगर के सैदपुरा इलाके में जावेद अहमद नामक पुलिस कर्मचारी की उनके घर के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी।
* 22 जून को श्रीनगर के नौगाम इलाके में आतंकवादियों ने सी.आई.डी. के एक पुलिस अधिकारी परवेज अहमद डार की गोलियां मार कर उस समय हत्या कर दी जब वह नमाज अदा करके अपने घर लौट रहे थे।
* 24 जून को श्रीनगर के हब्बाकदल इलाके में आतंकवादियों ने उमर अहमद नामक एक युवक को गोलियां मार कर मार डाला। इस हमले की जि मेदारी ‘द रजिस्टैंस फ्रंट’ नामक संगठन ने ली। 

* 26 जून को आतंकवादियों ने श्रीनगर के बाबा शाह इलाके में सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड से हमला कर दिया जिसके परिणामस्वरूप मुदस्सिर अहमद नामक व्यक्ति की मौत और 3 अन्य घायल हो गए।   

* और अब 27 जून को पुलवामा के अवंतीपुरा के ‘हरिपरगाम’ में जैश-ए-मोह मद के नकाबपोश आतंकवादियों ने, जिनमें से एक विदेशी था, सईद अहमद बट नामक बीमार पड़े पुलिस अधिकारी (एस.पी.ओ.) के घर में घुस कर उनकी छाती पर बंदूक तान दी और जब उनकी पत्नी राजा बेगम और बेटी राफिया उन्हें बचाने आईं तो आतंकवादियों ने उन तीनों पर गोलियों की बौछार करके उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। अहमद बट की बहू रूकाया खान ने आरोप लगाया है कि उसने अपनी डेढ़ साल की बेटी को आतंकवादियों के कदमों में डाल कर अपने परिवार के लिए रहम की भीख मांगी परंतु उनका दिल न पसीजा और उन्होंने बच्ची को लात मार कर परे धकेल दिया। 

यहीं पर बस नहीं, इससे पहले भी आतंकवादी अनेक निर्दोषों की हत्या कर चुके हैं। इसी फरवरी में उन्होंने एक ढाबे पर चाय पी रहे 2 पुलिस कर्मचारियों की, अप्रैल महीने में बुर्का पहन कर महिला वेश में आए आतंकवादियों ने श्रीनगर के नौगाम में पुलिस कर्मी रमीज राजा की तथा अनंतनाग जिले में टैरीटोरियल आर्मी के सिपाही जावेद अहमद की हत्या कर दी थी।
गत वर्ष जुलाई में कश्मीर के बांदीपुरा में आतंकवादियों ने भाजपा नेता वसीम अहमद बारी, उनके पिता बशीर अहमद और भाई उमर बशीर के सिर पर गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। आतंकवादी 1989 से अब तक घाटी में 1700 से अधिक पुलिस कर्मचारियों की हत्या कर चुके हैं। 

उक्त घटनाएं जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों का अमानवीय चेहरा दिखाती हैैं। उल्लेखनीय है कि ज मू-कश्मीर में लगभग 6.5 लाख शिक्षित बेरोजगार युवक हैं। इनमें बड़ी सं या में उच्च शिक्षित भी शामिल हैं जिन्होंने पुलिस अथवा अद्र्धसैनिक बलों में जाकर अपना भविष्य बनाने की कोशिश की। फरवरी महीने में ही जम्मू में सेना की भर्ती के लिए 40000 युवाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाई थी। उन्हें सुरक्षा बलों में शामिल होने से हतोत्साहित करने के लिए आतंकवादी सुरक्षा बलों से जुड़े लोगों को निशाना बना रहे हैं। 

इसके साथ ही आतंकवादी धमकी भरे पोस्टर चिपका कर युवाओं को पुलिस अथवा सैन्य बलों की नौकरी न करने की चेतावनी देते रहते हैं परंतु इसके बावजूद बड़ी संख्या में युवा अद्र्धसैन्य बलों एवं पुलिस में भर्ती हो रहे हैं जिनमें युवतियां भी शामिल हैं। इस घटनाक्रम को देखते हुए कहा जा सकता है कि आज कश्मीर घाटी में आतंकवादियों ने अपना जो खूनी खेल जारी रखा हुआ है उससे वे अपने ही विरुद्ध जन आक्रोष पैदा कर रहे हैं। दूसरी ओर जिस तरह सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के विरुद्ध जोरदार अभियान छेड़ रखा है, वह दिन दूर नहीं जब आतंकवादियों के मंसूबे नाकाम होंगे, आतंकवाद हारेगा और राराष्ट्रवाद जीतेगा।—विजय कुमार

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