बाढग़्रस्त इलाकों में पानी उतरने लगा परंतु बीमारियों का जोर बढऩे लगा

Edited By ,Updated: 26 Aug, 2019 01:13 AM

water started pouring in flooded areas but the thrust of diseases increased

इस वर्ष आई अभूतपूर्व बाढ़ ने जान-माल का भारी नुक्सान किया है और लोगों को भारी कष्टïों और अग्नि परीक्षाओं में से गुजरना पड़ रहा है। अभी भी अनेक स्थानों पर लोग मकानों की छतों पर ही हैं। यहां तक कि कुछ इलाकों में तो लोगों को शौच के लिए भी बाहर जाने की...

इस वर्ष आई अभूतपूर्व बाढ़ ने जान-माल का भारी नुक्सान किया है और लोगों को भारी कष्टïों और अग्नि परीक्षाओं में से गुजरना पड़ रहा है। अभी भी अनेक स्थानों पर लोग मकानों की छतों पर ही हैं। यहां तक कि कुछ इलाकों में तो लोगों को शौच के लिए भी बाहर जाने की जगह न मिली और मकानों की छतों पर ही शौच करना पड़ा। अनेक लोगों को पेड़ों पर शरण लेनी पड़ी। यमुना में आए उफान के चलते नई दिल्ली के उसमानपुर इलाके में एक गर्भवती महिला सहित पूरे परिवार ने सारी रात एक पेड़ पर बिताई।

हालांकि अब अनेक इलाकों में पानी उतरना शुरू हो गया है परंतु वहां बीमारियां जोर पकडऩे लगी हैं जिस कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। हालांकि प्रशासन द्वारा बाढ़ ग्रस्त इलाकों में चिकित्सा राहत शिविर लगाए जा रहे हैं परंतु अनेक स्थानों पर चिकित्सा व्यवस्था फेल होती नजर आ रही है और रोगियों को दवाएं नहीं मिल रहीं। अनेक सरकारी अस्पतालों में खून आदि की जांच नि:शुल्क नहीं हो रही तथा मरीजों को मजबूरन अधिक पैसे देकर बाहर से जांच करवानी पड़ रही है।

डाक्टरों का कहना है कि अभी तो समस्या की शुरूआत हुई है वास्तविक समस्या तो जल स्तर घटने के बाद शुरू होगी जब ठहरे हुए पानी में मक्खियां और मच्छर पैदा होंगे और पानी से पैदा होने वाली मलेरिया, डेंगू आदि बीमारियां बढ़ जाएंगी। ठहरे हुए पानी में मरे हुए जीव-जंतुओं के कारण बदबू फैलने लगी है। घरों से उजड़े और राहत शिविरों में रहने वाले लोग त्वचा रोग और पेट से संबंधित रोगों के अलावा सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, उल्टी, दस्त आदि रोगों का शिकार हो रहे हैं। फंगस और त्वचा संबंधी रोगों के अलावा सम्पत्ति और फसलों के विनाश के कारण लोग मानसिक आघात और अवसाद तक का शिकार हो गए हैं। अनेक लोगों को सांस की तकलीफ ने घेर लिया है। मधुमेह से पीड़ित लोगों की तकलीफ पहले से भी बढ़ गई है। 

अनेक स्थानों पर पानी के पाइप टूट जाने से बारिश के साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में दूषित पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। प्राकृतिक जल स्रोत दूषित हो गए हैं। लोग इस पानी को पीने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे बच्चों में रोटा वायरस की शिकायत बढ़ गई है। इसलिए लोगों को पानी उबाल कर पीने, बासी भोजन न करने, नियमित उल्टी-दस्त को गंभीरता से लेने और अधिक उल्टी-दस्त आदि पर तत्काल पीड़ित को ओ.आर.एस. आदि देने की सलाह दी जा रही है। इसके साथ ही आवश्यकता राहत कार्यों को अधिक तेज और प्रभावी बनाने की है ताकि पीड़ितों को प्रभावी चिकित्सा देने के साथ-साथ बीमारियों को फैलने से रोका जा सके। 

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