Edited By ,Updated: 06 Mar, 2021 01:51 AM
सिने कलाकारों का लोगों में बहुत क्रेज होता है, विशेष रूप से बड़ी संख्या में युवा वर्ग अभिनेता-अभिनेत्रियों की ओर आकॢषत होते हैं और किसी सीमा तक अपने पसंदीदा अभिनेता-अभिनेत्रियों की बातों को वे निजी जीवन में ‘फॉलो’ भी करते हैं। इसी कारण
सिने कलाकारों का लोगों में बहुत क्रेज होता है, विशेष रूप से बड़ी संख्या में युवा वर्ग अभिनेता-अभिनेत्रियों की ओर आकॢषत होते हैं और किसी सीमा तक अपने पसंदीदा अभिनेता-अभिनेत्रियों की बातों को वे निजी जीवन में ‘फॉलो’ भी करते हैं। इसी कारण विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा सिने जगत से जुड़ी हस्तियों को अपने साथ जोडऩे की कोशिश की जाती है ताकि उनके प्रभाव का इस्तेमाल करके वे चुनावों में लाभ प्राप्त कर सकें।
यही नहीं सिने जगत से जुड़े कई लोगों के पास ‘व्हाइट’ व ‘ब्लैक’ धन भी होता है जो वे राजनीतिक गतिविधियों में लगा भी सकते हैं। जैसे कि मुम्बई में फिल्मी हस्तियों पर मारे गए हाल ही के छापों में 650 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का पता चलने के अलावा अभिनेत्री तापसी पन्नू द्वारा 5 करोड़ रुपए नकद प्राप्त करने का मामला सामने आया है। राजनीतिक दलों से जुड़ कर अभिनेता-अभिनेत्रियों को सार्वजनिक जीवन में सम्मान भी प्राप्त होता है जिनमें से कई अभिनेता-अभिनेत्रियां चुनाव जीत कर विधायक, सांसद या मंत्री तक बन जाते हैं।
राजनीति में फिल्मी हस्तियों के जोरदार तरीके से उतरने की शुरूआत दक्षिण भारत से हुई जहां 1967 में पहली बार रंगमंच अभिनेता एवं लेखक से राजनीतिज्ञ बने ‘द्रमुक’ के संस्थापक सी.एन. अन्नादुरै चुनावों में जीत दर्ज कर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने और उनके बाद उनके ‘उत्तराधिकारी’ करुणानिधि पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। करुणानिधि से मतभेदों के चलते उनसे अलग होकर ‘अन्नाद्रमुक’ पार्टी बनाने वाले एम.जी. रामचंद्रन तमिलनाडु के पहले स्टार राजनीतिज्ञ मुख्यमंत्री थे। उनके साथ अनेक फिल्मों में अभिनय करने वाली जयललिता ने उनकी मृत्यु के बाद अन्नाद्रमुक की बागडोर संभाली और 14 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहीं।
मुम्बई की मायानगरी से भी बड़ी संख्या में सिने सितारे राजनीति में आ कर अभिनेता से नेता बने जिनमें सुनील दत्त व अमिताभ बच्चन (कांग्रेस), राज बब्बर ( सपा, कांग्रेस), वैजयंती माला (कांग्रेस, भाजपा) धर्मेंद्र, हेमामालिनी, स्मृति ईरानी, दीपिका चिखलिया, अरविंद त्रिवेदी, विनोद खन्ना, सन्नी देओल, परेश रावल, गजेंद्र चौहान, अनुपम खेर, किरण खेर (भाजपा) तथा शत्रुघ्न सिन्हा (पहले भाजपा और अब कांग्रेस) शामिल हैं। बंगाल की राजनीति में भी सिने जगत की हस्तियों का बोलबाला है। इन दिनों वहां सत्ता पाने के लिए प्रयत्नशील तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में बंगाली फिल्मी हस्तियों को अपने साथ जोडऩे की होड़ सी मची हुई है और वहां हर दिन कोई न कोई फिल्मी सितारा तृणमूल कांग्रेस या भाजपा में से किसी एक के साथ जुड़ रहा है।
लोकप्रिय बंगाली अभिनेता सौरव दास का कहना है कि उन्हें ममता बनर्जी से प्रेरणा मिलती है। कौशानी मुखर्जी और पिया सेनगुप्ता जैसी अभिनेत्रियां भी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुईं जबकि नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती पहले ही तृणमूल कांग्रेस में ग्लैमर बढ़ा रही हैं।
अभिनेत्री सयंतिका बनर्जी, सायनी घोष, प्रियासेन गुप्ता, गायिका अदिति मुंशी आदि इन चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करेंगी। हाल ही में बंगला फिल्म जगत के प्रसिद्ध अभिनेता दीपंकर डे और भारत कौल जैसे अभिनेता व क्रिकेटर मनोज तिवारी भी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हैं। बंगला थिएटर जगत से भी तृणमूल में 15 कलाकार शामिल हुए हैं। जहां तक भाजपा का संबंध है पिछले वर्ष भी ग्लैमर जगत से जुड़ी 13 हस्तियों ने एक साथ इसका दामन थामा था जबकि हाल ही में बंगला फिल्मों की अनेक हस्तियां इससे आ जुड़ी हैं।
क्रिकेटर मनोज तिवारी के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के अगले ही दिन क्रिकेटर अशोक डिंडा ने भाजपा का दामन थाम लिया जबकि पर्दे पर अपने अभिनय का जलवा बिखेरने वाली पापिया अधिकारी, श्राबंती चटर्जी, पायल सरकार, सौमिली विस्वास, यश दास गुप्ता, हिरण चटर्जी जैसे कई सितारों को भी भाजपा ने अपने साथ जोड़ लिया है। यह पहली बार है जब पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इतने बड़े पैमाने पर अभिनेता-अभिनेत्रियों की सहायता ले रही हैं। अब ये अभिनेता-अभिनेत्रियां बंगाल के चुनावों में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को कितना लाभ पहुंचा पाते हैं यह तो 2 मई को घोषित होने वाले चुनाव परिणामों के बाद ही पता चलेगा।—विजय कुमार