प्रतिबद्ध विकास और बदलाव के 9 वर्ष

Edited By ,Updated: 27 May, 2023 04:54 AM

9 years of committed growth and transformation

कोरोना सरीखी खौफनाक महामारी और वैश्विक आर्थिक मंदी की आहटों के बीच भी नवाचार के जरिए प्रतिबद्ध और सतत विकास से नरेंद्र मोदी सरकार ने साबित कर दिया है कि इरादा नेक और संकल्प अटल हो तो कुछ भी असंभव नहीं।

कोरोना सरीखी खौफनाक महामारी और वैश्विक आर्थिक मंदी की आहटों के बीच भी नवाचार के जरिए प्रतिबद्ध और सतत विकास से नरेंद्र मोदी सरकार ने साबित कर दिया है कि इरादा नेक और संकल्प अटल हो तो कुछ भी असंभव नहीं। विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत आजादी के 6 दशक बाद भी किस तरह चुनौतियों से घिरा था, किसी से छिपा नहीं है। 

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जनादेश के बाद जब नरेंद्र मोदी सरकार केंद्र में पदारूढ़ हुई, तब देश में निराशा का माहौल था। अनेक घोटालों के खुलासे के बाद तत्कालीन यू.पी.ए. सरकार जिस तरह नीतिगत जड़ता की शिकार होकर रह गई थी, उससे खासकर युवाओं में अपने वर्तमान और भविष्य को लेकर हताशा बढ़ती जा रही थी। इसलिए वर्ष 2014 का सत्ता परिवर्तन दरअसल व्यवस्था परिवर्तन भी था, जो देश को निराशा-हताशा के अवसाद से निकाल सके।

विशाल देश में यह काम आसान नहीं था, लेकिन चुनाव प्रचार के पहले से ही मोदी विकास के गुजरात मॉडल पर चर्चा करते हुए देशवासियों में यह विश्वास जगाने की प्रक्रिया शुरू कर चुके थे कि भारत के सामथ्र्य पर संदेह नहीं करना चाहिए। भारत के लोग मूलत: ईमानदार और मेहनतकश हैं। उनको सही नेतृत्व और माहौल मिले तो वे दुनिया की बड़ी से बड़ी चुनौती से पार पाने में समर्थ हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने पहला बड़ा काम यही किया कि देशवासियों में उनके सामथ्र्य के प्रति विश्वास जगाया और फिर विकास प्रक्रिया में उन्हें भागीदार भी बनाया। 

छोटी पहल भी कितने बड़े परिणाम दे सकती है, स्वच्छता तथा बेटी बचाओ  बेटी पढ़ाओ अभियान इसके उदाहरण हैं। सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी, जवाबदेही से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इतिहास गवाह है कि बड़े सामाजिक बदलाव समाज की सहभागिता से ही आते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी जयंती पर जब देशवासियों से स्वच्छता अभियान का आह्वान किया, तब शायद कम लोग उनके मन की बात समझ पाए होंगे लेकिन स्वच्छता के प्रति बढ़ती जागरूकता, जन भागीदारी और बेहतर रैंकिंग के लिए शहरों के बीच स्पर्धा उसके चमत्कारिक प्रभाव का प्रमाण है। 

हरियाणा समेत कुछ राज्यों में बिगड़ता लैंगिक अनुपात लंबे समय से ङ्क्षचता का विषय रहा है। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने इस गंभीर समस्या के समाधान में सामाजिक भागीदारी की अनूठी पहल की और सुखद परिणाम सामने हैं। बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बावजूद बैंकिंग व्यवस्था हमारे यहां खासकर गरीब ग्रामीणों के लिए सपना ही बनी रही, लेकिन मोदी सरकार की जन धन योजना ने अचानक तस्वीर बदल दी, जिसकी सफलता और इसके वांछित परिणामों का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इसके तहत खोले गए बैंक खातों की संख्या 49 करोड़ तक पहुंचने वाली है। जन धन योजना तो एक उदाहरण है। मोदी सरकार के अभी तक के 9 वर्ष के कार्यकाल में जिस तरह अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण किया गया है, उसने जन कल्याणकारी योजनाओं को नई गति प्रदान करते हुए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

इस पारदर्शी बदलाव का ही परिणाम है कि आज विभिन्न योजनाओं के लाभाॢथयों के बैंक खाते में सीधा पैसा जा रहा है। काले धन तथा उससे पोषित आतंकवाद और नशे के कारोबार के खात्मे के लिए नोटबंदी सरीखा साहसिक कदम उठाया गया, तो एक देश एक कर की अवधारणा को साकार करने के लिए अर्से से लंबित जी.एस.टी. लागू किया गया। विभिन्न कारणों से घटते सरकारी रोजगारों के मद्देनजर स्टार्टअप और मुद्रा लोन के जरिए स्वरोजगार के नए द्वार खोले गए, जो रोजगार के नए अवसर सृजित करने के अलावा आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 

प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए बेघरों को घर मिल रहा है, तो सौभाग्य योजना के जरिए उसमें उजाला भी हो रहा है। उज्ज्वला योजना से गरीब की रसोई में भी गैस पहुंची है और उन्हें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक धुएं से मुक्ति मिली है। आयुष्मान भारत के जरिए सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। यह नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की जन कल्याणकारी प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि गांव,  गरीब, कृषि और किसान को भी समग्र विकास यात्रा में सहभागी बनाया गया है। किसान सम्मान राशि सीधे किसानों के खाते में जा रही है। कोरोना काल से शुरू लगभग 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन की व्यवस्था आज भी जारी है। 

आलोचना करना आसान होता है,  पर मोदी सरकार ने कोरोना महामारी का जिस तरह मुकाबला किया, उसकी विकसित देशों तक में प्रशंसा हुई। त्वरित गति से कोरोना की भारतीय वैक्सीन विकसित करना और विशाल आबादी को चरणबद्ध ढंग से वैक्सीन लगाना, सरकार की दृढ़ संकल्प शक्ति और चिकित्सा क्षेत्र के समर्पण भाव से ही संभव हो पाया। हमने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अपनी संस्कृति के अनुरूप दूसरे देशों को भी वैक्सीन दी। देश की दशा और दिशा बदलने वाले और भी कदम इन 9 सालों में उठाए गए हैं। धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा आजादी के 7 दशक बाद भी एक देश में दो विधान वाली पीड़ादायक स्थिति थी। 

मोदी सरकार ने उसकी समाप्ति की वैचारिक प्रतिबद्धता को निभाया। मुस्लिम बहनों को 3 तलाक जैसी अमानवीय प्रथा से निजात भी इसी दौरान मिली। दूसरे देशों में प्रताडऩा से पलायन को मजबूर हुए ङ्क्षहदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाइयों को सी.ए.ए. के जरिए  भारतीय नागरिकता देने की पहल की गई  है तो सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब से बता दिया गया है कि यह नया भारत है, जो घर में घुस कर भी मारना जानता है। 

हमने अतीत में विकसित देशों की दादागिरी झेली है, लेकिन अब भारत की छवि ऐसे वैश्विक नेता की बन गई है कि रूस-यूक्रेन युद्ध समेत हर संकट में विकसित देश भी हमारी ओर आशा भरी निगाहों से देखते हैं। वस्तुत: मोदी सरकार के 9 वर्ष के कार्यकाल में भारत विश्व गुरु की अपनी पुरानी पहचान पुन: पाने की दिशा में तेजी से बढ़ा है। विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि देशवासियों के सजग-सक्रिय सहयोग से यह सफर आगे भी जारी रहेगा।-मनोहर लाल(माननीय मुख्यमंत्री हरियाणा)

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