चुनाव जीतने का एक अनोखा तरीका

Edited By ,Updated: 19 Apr, 2024 05:08 AM

a unique way to win elections

राधाराव ग्रेसियस गोवा में एक तेजतर्रार वकील हैं, जिनकी सक्रियता में अवसर के अनुरूप अपने मन की बात कहना शामिल है। पिछले सप्ताह मुझे ई-मेल से उनकी सक्रियता का एक नमूना प्राप्त हुआ। राधाराव ने ‘एक्स’ पर स्थानीय भाजपा समर्थकों को गोवा से तमिलनाडु के...

राधाराव ग्रेसियस गोवा में एक तेजतर्रार वकील हैं, जिनकी सक्रियता में अवसर के अनुरूप अपने मन की बात कहना शामिल है। पिछले सप्ताह मुझे ई-मेल से उनकी सक्रियता का एक नमूना प्राप्त हुआ। राधाराव ने ‘एक्स’ पर स्थानीय भाजपा समर्थकों को गोवा से तमिलनाडु के वेलंकन्नी तक ट्रेन में मुफ्त टिकट की पेशकश करने के लिए लताड़ लगाई थी, जिसका भुगतान ‘विभिन्न हितों’ द्वारा किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि राधाराव पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी को हराकर गोवा विधानसभा के लिए निर्दलीय सदस्य के रूप में चुने गए थे। 

वेलंकन्नी की तीर्थयात्रा कैथोलिक विश्वासियों द्वारा की जाती है क्योंकि कुछ समय पहले तमिलनाडु के उस तटीय शहर में कुछ चमत्कार होने की सूचना मिली थी। चूंकि मैं स्वयं चमत्कारों में विश्वास नहीं करता, इसलिए मैंने यह पता लगाने की जहमत नहीं उठाई कि आखिर क्या चीज विश्वासियों को उन्माद की ओर ले जाती है। लेकिन हमारे अधिकांश विश्वासी अलौकिक में विश्वास करते हैं। यही हकीकत है। राधाराव का दुख है कि स्थानीय भाजपा समर्थकों ने बड़ी संख्या में कैथोलिक मतदाताओं को ऐसे गंतव्य पर भेजने के लिए एक मैकियावेलियन योजना की कल्पना की, जहां वे जाना पसंद करेंगे। गोवा से वेलंकन्नी के लिए ट्रेन हर सप्ताह सोमवार को रवाना होती है। 6 मई के सभी टिकट संभवत: चुनाव की तारीखों की घोषणा के तुरंत बाद ‘विभिन्न हितों’ द्वारा खरीदे गए थे। 

राधाराव ने आरोप लगाया कि कैथोलिक मतदाताओं को 7 मई को लोकसभा मतदान के दिन, उस छोटे राज्य में उनकी अनुपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए मुफ्त पेशकश की जा रही थी, जो लोकसभा में केवल 2 सांसद भेजता है। यह जीत सुनिश्चित करने की एक नई रणनीति है। गोवा के रोमन कैथोलिक आर्कबिशप, कार्डिनल फिलिप नारी फेराओ ने अपने लोगों को 6 मई को यात्रा न करने के लिए सचेत किया क्योंकि अगले दिन मतदान करना उनका कत्र्तव्य था। 

चाहे शैतानी हो या बिल्कुल हास्यास्पद, राधाराव ग्रेसियस द्वारा प्रसारित की गई कहानियां लोकसभा चुनाव के दिनों में भारत में अन्य जगहों पर घूम रही हैं। एक तोते ने कुड्डालोर लोकसभा सीट के विजेता के रूप में उम्मीदवार एम.के. थंकर  बच्चन का नाम चुना। एम.के. स्टालिन की द्रमुक सरकार ने फर्जी खबर फैलाने के आरोप में तोते के मालिक को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। महाराष्ट्र के पालघर में भाजपा में लौटी आदिवासी महिलाएं ‘प्रचारकों’ को उनके क्षेत्र में मोदी की तस्वीर वाली साडिय़ां और शॉपिंग बैग दिए गए, जो स्पष्ट रूप से यह घोषणा करने के लिए प्रलोभन के रूप में दिए गए थे कि उन्हें रोजगार चाहिए, न कि साड़ी या शॉपिंग बैग। केरल में इडुक्की के कैथोलिक आर्कबिशप ने फिल्म  ‘द केरल स्टोरी’ की सार्वजनिक स्क्रीनिंग का समर्थन किया, जिसमें ‘लव-जेहाद’ में शामिल उनके  राज्य की 4 ईसाई लड़कियों की कहानी को दर्शाया गया है। उन्हें न केवल इस्लाम में परिवर्तित किया गया बल्कि वे सीरिया में आई.एस.आई.एस. में भी शामिल हो गईं। जहां उनके पति ‘काफिरों’ से लड़ रहे थे।

भारत जैसे बहु-धार्मिक देश में मुस्लिम, हिंदू और ईसाई लड़के-लड़कियों के बीच रोमांस की घटनाएं अपरिहार्य हैं। संघ परिवार ने ऐसी शादियों को ‘लव जेहाद’ का मामला बताते हुए आलोचना की है। मैं ऐसी कई मुस्लिम महिलाओं को जानता हूं जिन्होंने हिंदू या ईसाई पुरुषों से शादी की है। संभवत: लड़कियों के माता-पिता को छोड़कर किसी ने कोई आपत्ति नहीं उठाई। विरोध मुख्यत: तब सुनने को मिलता है जब ङ्क्षहदू लड़कियां मुस्लिम लड़कों से शादी करती हैं! ‘केरल स्टोरी’ में लड़कियां ईसाई थीं। 

केरल की लड़कियों और उनके मुस्लिम दूल्हों को गैर-कानूनी आई.एस.आई.एस. में शामिल करना नि:संदेह एक संगीन मामला है। वह सचमुच पापपूर्ण है। यदि वह दुष्ट दृष्टिकोण मौजूद नहीं है, तो पुरुष और महिला के बीच प्रेम में केवल इस आधार पर हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए कि वे अलग-अलग धर्मों से संबंधित हैं। केरल की बात करें तो कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री, ए.के. एंटनी जो बाद में भारत के रक्षा मंत्री बने, का एक बेटा है जो भाजपा में शामिल हो गया है और भगवा पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ए.के. एंटनी  अपनी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वह अपने बेटे की हार की कामना करते हैं। ऐसे देश में जहां राजनीति एक पारिवारिक पेशा बन गई है और जहां राजनेता अपने बेटे या बेटी के लिए टिकट मांगते हैं, वहां एक पिता द्वारा अपने ही बेटे को त्याग देना एक दुर्लभ घटना है। 

हमारे प्रधानमंत्री हर दिन अपने विरोधियों के खिलाफ बयान देते हैं, कभी-कभी दिन में एक से अधिक या दो बार भी। आमतौर पर वह उन पर और उनकी पार्टियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं। वे, बदले में, भाजपा पर भी उसी बुराई का आरोप लगाते हैं। यहां, सत्ता में रहने वाली पार्टी ड्राइवर सीट पर है। इससे विपक्षी दलों के लिए चुनाव लडऩे के लिए धन जुटाना बेहद मुश्किल हो सकता है। भाजपा तीसरे कार्यकाल की तलाश में अपनी शीर्ष स्थिति का काफी उदारतापूर्वक उपयोग करती है। लेकिन प्रधानमंत्री अब भ्रष्टाचार से आगे बढ़कर उस क्षेत्र में पहुंच गए हैं जहां कानूनन उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं है। 

चुनाव प्रचार के दौरान धर्म का उल्लेख सीमा से बाहर है। मोदी जैसे  चतुर राजनेताओं द्वारा परोक्ष संदर्भों को चतुराई से पेश किया जाता है। उन्होंने फरवरी में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन में अनुपस्थिति के लिए कांग्रेस की आलोचना की। वह उनकी चतुराई थी। वह दिल से जानते थे कि शंकराचार्यों के हाथों नहीं बल्कि स्वयं मंदिर का उद्घाटन करके वह प्रभावी रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि कांग्रेस और कुछ अन्य विरोधी दूर रहेंगे। और ‘दूर रहो’ यही उन्होंने किया। इससे मोदी को एक ऐसे मामले पर उन्हें फटकारने का मौका मिल गया, जो हिंदू जनता के बीच गूंजता रहेगा। पिछले हफ्ते मोदी ने अपने विरोधियों को मात देने के लिए एक और छड़ी का इस्तेमाल किया। उन्होंने लालू यादव के बेटे तेजस्वी द्वारा मूर्खतापूर्ण तरीके से डाले गए एक वीडियो पर हमला बोला, जिसमें वह और उनके पिता पटना में परिवार की रसोई में मांस पकाते दिख रहे हैं। पिता और पुत्र के पाक कौशल को देखने वाला कोई और नहीं, बल्कि मोदी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी राहुल गांधी थे! 

मोदी ने ‘श्रावण’ के पवित्र महीने के दौरान ‘नॉन-वैज’ खाना खाने के लिए तीनों की आलोचना की, जब धर्मनिष्ठ हिंदू मांस और मछली और अंडे जैसे अन्य मांसाहारी भोजन का त्याग करते हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से गणना की कि पवित्र हिंदू वोट उनके खेमे में चला जाएगा, यह भूल गए कि वह वोट पहले से ही उन्हें चुनने के लिए था। मांस खाने वालों के प्रति मोदी की नफरत का असर गुजरात के लोगों पर भी पड़ेगा। मोदी के गृह राज्य में शाकाहारियों की बहुतायत है। यह भारत का एकमात्र राज्य है जहां अधिकांश लोग मांस या मछली नहीं खाते हैं। मेरे पैतृक राज्य गोवा में स्थानीय सारस्वत ब्राह्मण बंगाल के ब्राह्मणों की तरह मछली खाने के शौकीन हैं। मोदी को भ्रष्टाचार के उस आरोप पर कायम रहना चाहिए जो वह अपने विरोधियों के खिलाफ लगातार करते रहते हैं। लोग उस आरोप को सच मानते हैं।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)

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