‘क्या हम महामारी के दूसरे दौर की आेर बढ़ रहे हैं’

Edited By ,Updated: 03 Mar, 2021 02:05 AM

are we rising to the second round of the epidemic

कोरोना महामारी हमारे जीवन की सबसे उथल-पुथल भरी, सबसे विनाशक और भयावह घटना रही है जिसने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है। इसने मानवता को अपने शिकंजे में जकड़ दिया है और हमें यह एहसास कराया है कि हम कितने असहाय

कोरोना महामारी हमारे जीवन की सबसे उथल-पुथल भरी, सबसे विनाशक और भयावह घटना रही है जिसने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है। इसने मानवता को अपने शिकंजे में जकड़ दिया है और हमें यह एहसास कराया है कि हम कितने असहाय हैं। किंतु महामारी के पश्चात हम नए जीवन में ढल गए हैं और एक नई राह दिखाई दे रही है। कोरोना के टीके का आविष्कार हो गया है। विश्व भर में डॉक्टर लोगों को कोरोना का टीकाकरण कर रहे हैं और इस महामारी के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं। 

भारत में कोरोना महामारी का टीकाकरण शुरू करना एक बड़ी चुनौती तथा एक विशिष्ट अवसर था। चुनौती इसलिए कि देश की 135 करोड़ जनसंख्या को बचाना है और इसके लिए त्वरित दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू करना था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में सबका मार्ग दर्शन किया। उन्होंने वैक्सीन के मुख्य विनिर्माताआें से संपर्क किया, विनिर्माण सुविधाआें का दौरा किया और 16 जनवरी को पहले चरण के टीकाकरण का शुभारंभ किया जिसके अंतर्गत 1 करोड़  स्वास्थ्यकर्मियों और 2 करोड़ फ्रंटलाइन कामगारों को टीका लगाया जाना था। 

उसके बाद दूसरे चरण में 27 करोड़ उन लोगों को टीका लगाया जाना है जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है या जिनकी आयु 45 वर्ष से अधिक है और वे किसी रोग से ग्रस्त हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं सोमवार को कोरोना का टीका लगवाया। अब तक देश में डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा रहा है किंतु सरकार के प्रयासों और योजनाआें के बावजूद लोगों में इस टीके के प्रति विश्वास पैदा नहीं हो पा रहा है। एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार इसका कारण स्पष्ट है, ‘‘सरकार ने प्रत्येक चीज पर नियंत्रण लगाने का प्रयास किया।’’ 

सभी सरकारों को अपने स्वास्थ्यकर्मियों की सूची सौंपनी है और उन्हें प्रतिदिन 100 टीके दिए गए। यह सूची सुबह 10 बजे तक प्रस्तुत करनी होती है। हम लोग इसी चीज में उलझे रहते हैं कि किन लोगों को टीका लगाया जाए और सामान्यतया हम इस कोटा को पूरा नहीं कर पाते हैं। कुछ रियायतों और लचीलेपन के बावजूद अस्पतालों की शिकायत है कि उन्हें सीमित मात्रा में कोरोना वैक्सीन दिया गया जबकि वे प्रतिदिन 1 हजार टीका लगा सकते हैं। 

कुछ लोग टीका लगाने से डर रहे हैं और कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें इस बारे में और अधिक जानकारी चाहिए। कुछ लोग सामने आए। उन्होंने टीका लगवाया और बाकी ईश्वर पर छोड़ दिया। आज सरकार के पास समय कम है क्योंकि आठ राज्यों महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाड़ु, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में प्रतिदिन कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इन राज्यों में लगभग 17577 प्रतिदिन नए मामले मिल रहे हैं और 130 लोगों की मौत हो रही है। आज देश में कोरोना के कुल नए मामलों में से 86$18 प्रतिशत मामले इन राज्यों से हैं। देश में कोरोना के सक्रिय मामले 1 लाख 65 हजार से अधिक हैं। 

इससे एक प्रश्न उठता है कि क्या हमारा देश कोरोना महामारी के दूसरे दौर की आेर बढ़ रहा है? आप इसे लापरवाही कहें या प्रतिबंधों से तंग होना किंतु देश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र और तमिलनाड़ु के कुछ भागों में लॉकडाऊन लगा दिया गया है। एम्स के डायरैक्टर गुलेरिया ने पहले ही चेतावनी दी है कि हमें अत्यंत सतर्क रहना होगा। 

भारतीय लोक स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार लोग एहतियाती कदमों की उपेक्षा कर रहे हैं और परिवारजनों तथा मित्रों से मिलने जा रहे हैं, पार्टी कर रहे हैं। कोरोना के मामलों के संबंध में भारत अमरीका के बाद दूसरे स्थान पर है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ब्राजील, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का नया स्टे्रन पाया गया है। देश की बहुत बड़ी जनसंख्या अभी भी कोरोना से सुरक्षित है इसलिए इस बात का खतरा बना रहता है कि यह नया स्ट्रेन जल्दी से नए क्षेत्रों में फैल सकता है और यह बीमारी फिर से पैर पसार सकती है। 

जनवरी अंत तक भारत में ब्रिटेन के स्टे्रन के 200 से अधिक मामले मिल चुके थे और अन्य दो स्ट्रेन के भी आठ से अधिक मामले मिल चुके थे। हमारे देश में भी इसके अलग-अलग स्ट्रेन हो सकते हैं और टीकाकरण के अभाव में यह विषाणु तेजी से म्यूटेट हो रहा है। यूरोपीय देशों में कोरोना के नए मामले बढ़ते जा रहे हैं, लंदन में लॉकडाऊन घोषित कर दिया गया है, फ्रांंस, जर्मनी, स्पेन और पुर्तमाल में कोरोना के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं। अमरीका में कोरोना के मामले रिकार्ड बना रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में जो नया स्ट्रेन पाया गया है उस पर वैक्सीन प्रभावी नहीं है। 1918 के स्पेनिश फ्लू के दौरान भी दूसरा दौर अधिक विनाशक था क्योंकि लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी थी। 

फिर समस्या क्या है? विश्व में सबसे तेजी से कोरोना का टीका विकसित करने और एक सप्ताह में 10 लाख से अधिक लोगों और एक माह में 80 लाख से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगाने तथा कोरोना टीका के सबसे बड़े विनिर्माता सीरम इंस्टीच्यूट में 10 करोड़ वैक्सीन का भंडार होने के बावजूद टीकाकरण तेजी से नहीं हो रहा है। इसके अलावा भारत बायोटैक के भंडार में भी लाखों टीके हैं। फिर भी टीकाकरण के मामले में भारत पीछे है। एक माह में 80 लाख लोगों को टीका लगाने के हिसाब से 80 करोड़ वयस्क लोगों को टीका लगाने में 17 वर्ष लग जाएंगे। इसलिए सरकार को टीकाकरण की गति 20 गुणा बढ़ानी होगी ताकि प्रति माह 14 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा सके। 

क्या यह संभव है? बिल्कुल संभव है। यदि इस कार्य में निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संस्थाआें और कार्पोरेट जगत को जोड़ा जाए और उन्हें विनिर्माताआें से टीका खरीदने और लोगों को बेचने की अनुमति दी जाए बजाय इसके कि सरकार का इस पर नियंत्रण हो। इसके अलावा सरकार को कोविड परीक्षण नीति से सबक लेना चाहिए। जैसा कि अमरीकी गायक केनी रोजर का एक गाना है इफ यू आर गोना प्ले द गेम ब्वाय, यू गोटा लन्र्ड टू प्ले इट राइट। समय आ गया है कि सभी भारतवासी इस संबंध में पूरी सतर्कता बरतें। तभी कोरोना महामारी पर जीत प्राप्त की जा सकती है।-पूनम आई. कौशिश 
 

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