भारत के पीछे पड़ा है चीन

Edited By ,Updated: 28 Jan, 2024 06:01 AM

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भारत और मालदीव के बीच कमजोर होते रिश्ते साऊथ ब्लॉक द्वारा अपने पड़ोसियों के साथ सहानुभूति बनाए रखने में एक बड़ी विफलता का प्रतीक मात्र है। भारत अपने ‘मोनरो सिद्धांत’ क्षेत्र में तेजी से प्रभाव खो रहा है।

भारत और मालदीव के बीच कमजोर होते रिश्ते साऊथ ब्लॉक द्वारा अपने पड़ोसियों के साथ सहानुभूति बनाए रखने में एक बड़ी विफलता का प्रतीक मात्र है। भारत अपने ‘मोनरो सिद्धांत’ क्षेत्र में तेजी से प्रभाव खो रहा है। एकमात्र लाभार्थी चीन है। चीन आज दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अत्यधिक सक्रिय है और क्षेत्र में व्यापक राजनीतिक और रणनीतिक प्रभाव जमा करते हुए व्यापारिक और विकास अनिवार्यताओं से परे अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। 

2023 में चीन ने 2.23 ट्रिलियन डॉलर मूल्य के कच्चे माल और 563.99 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल का आयात किया, जो लगभग 11.28 मिलियन बैरल प्रति दिन (बी.पी.डी.) के बराबर है। मूल्य के हिसाब से लगभग 60 प्र्रतिशत चीनी व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। 1978 में चीन द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था खोलने के बाद से इस संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है। इस व्यापार का अधिकांश हिस्सा स्वेज नहर, बाब-अल मंडेब जलडमरूमध्य, होर्मुज जलडमरूमध्य, मलक्का जलडमरूमध्य और एस.एल.ओ.सी. (वाणिज्य के समुद्री मार्ग) से होकर गुजरता है। 

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत अमरीकी समुद्री उपस्थिति और हिंद महासागर के शीर्ष पर स्थित भारत के साथ-साथ इनमें से कुछ एस.एल.ओ.सी. पर हावी होने के स्थानीय लाभ को देखते हुए, चीन के लिए चुनौती और भी बढ़ जाती है। इन संवेदनशीलताओं का मुकाबला करने के लिए चीन ने ‘स्ट्रिंग ऑफ पल्र्स’ सिद्धांत विकसित किया। चीन को अपने प्रयासों में इस बात से भी मदद मिली है कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ तालमेल बिठाने में असफल रहा है, जिससे एक खालीपन पैदा हो गया है, जिसे दुर्भाग्य से चीन बड़ी तत्परता से भरने में सफल रहा है। पाकिस्तान के साथ भारत के शत्रुतापूर्ण संबंधों का चीन ने 1963 के चीन-पाकिस्तान समझौते के बाद से ही प्रतिकार स्वरूप लाभ उठाया है। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और ऋणों के माध्यम से पाकिस्तान को चीन ने दशकों से एक जागीरदार राज्य में बदल दिया है। इस्लामाबाद पर अपने विदेशी कर्ज का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बीजिंग का बकाया है। 

चीन की आक्रामक ऋण कूटनीति के परिणामस्वरूप श्रीलंका लगातार आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। अक्तूूबर 2023 तक श्रीलंका पर कुल 46.9 बिलियन डॉलर का विदेशी ऋण है, जिसका 52 प्रतिशत चीन, उसके सबसे बड़े ऋणदाता पर बकाया है। 1962 में जब से सेना ने म्यांमार में सत्ता में दखलअंदाजी की तब से चीन ‘जुंटा’ के लिए एक महत्वपूर्ण बाहरी बैसाखी बन गया। मणिपुर में चल रहे तनाव को प्रबंधित करने में केंद्र सरकार की अक्षमता और परिणामस्वरूप 1463 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का निर्णय और 2018 में लागू ‘फ्री मूवमैंट’ समझौते को रद्द करने की धमकी पहले से ही जटिल संबंधों में अतिरिक्त तनाव बिंदू पैदा करेगी। 

अक्तूबर 2023 में भूटान के विदेश मंत्री की चीन यात्रा ने भारत के साथ भूटान के संबंधों में एक विवर्तनिक बदलाव को चिह्नित किया। इसके अलावा मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के ‘इंडिया-आऊट’ अभियान से प्रेरणा लेते हुए, बंगलादेश नैशनलिस्ट पार्टी (बी.एन.पी.) से जुड़े तत्वों ने अपना स्वयं का ‘इंडिया आऊट’  आंदोलन शुरू किया है। इससे पहले कि चीजें अपरिवर्तनीयता के मोड़ पर पहुंच जाएं, भारत को अपनी जर्जर पड़ोस नीति को सही करने के लिए वास्तविकता की जांच की जरूरत है।-मनीष तिवारी
 

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