हरियाणा के विकास का आधार है डिजिटलाइजेशन

Edited By ,Updated: 26 Jan, 2024 04:40 AM

digitalization is the basis of haryana s development

सभी प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। यह गणतंत्र दिवस हम ऐसे समय में मना रहे हैं, जब हरियाणा में ‘संकल्प से परिणाम वर्ष’ मनाया जा रहा है। इसका अभिप्राय यह है कि हमने वर्ष 2014 में जनसेवा का दायित्व संभालते ही जो संकल्प...

सभी प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। यह गणतंत्र दिवस हम ऐसे समय में मना रहे हैं, जब हरियाणा में ‘संकल्प से परिणाम वर्ष’ मनाया जा रहा है। इसका अभिप्राय यह है कि हमने वर्ष 2014 में जनसेवा का दायित्व संभालते ही जो संकल्प लिए थे अब उनके परिणाम आ रहे हैं। इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमने व्यवस्था परिवर्तन से सुशासन और सुशासन से सेवा की मंजिलें तय की हैं। हमारे इस मार्ग में ई-गवर्नैंस सबसे अधिक कारगर सिद्ध हुई है। 

हम विकास से विकसित हरियाणा का रास्ता औद्योगिकी और नीति के समुचित मेल से तय करेंगे। आज देश की राजधानी के  कत्र्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हुई प्रदेश की झांकी वर्तमान हरियाणा को सही अर्थों में परिलक्षित करती है। हाथों में कम्प्यूटर लिए महिलाएं डिजिटली सशक्त हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। प्रदेश में डिजिटलीकरण के जरिए परिवार पहचान पत्र जैसी क्रांतिकारी स्कीम ने नए भारत के हरियाणा की तस्वीर बदल दी है। बीते एक दशक में टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल ने प्रदेश को विकास के उस पथ पर डाल दिया है जिसकी एक दशक पहले के हरियाणा के लोगों ने कल्पना भी नहीं की थी। 

हमारी सरकार के प्रदेश में जनसेवा के सवा 9 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। वर्ष 2014 में जब प्रदेश की जनता ने हरियाणा की जनसेवा का दायित्व मुझे सौंपा था उस वक्त हरियाणा की स्थिति ऐसी थी कि उन परिस्थितियों और सिस्टम के बीच रहकर प्रदेश को नए सिरे से विकास के मार्ग पर लाना संभव ही नहीं था। औद्योगिकीकरण के कदम वर्षों पहले हरियाणा में पड़ने के बावजूद वह रफ्तार नहीं पकड़ पाया था। भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। प्रदेश के संसाधनों का मनमाना और पक्षपातपूर्ण उपयोग हो रहा था। प्रदेश की जिम्मेदारी ग्रहण करते वक्त ही मुझे इस बात का एहसास हो गया था कि प्रदेश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए समय के अनुरूप कदम उठाने होंगे। 

इस बिगड़ी व्यवस्था को ठीक करने का टैक्नोलॉजी ही एक जरिया हो सकती थी। चूंकि मैं स्वयं बचपन से ही इससे काफी नजदीक से जुड़ा रहा हूं। इसलिए टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लाभ समझता हूं। शायद यही वजह रही कि मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के स्लोगन और डिजिटलीकरण के जरिए प्रदेश के सिस्टम में सुधार की संभावना को समझा और प्रदेश के तंत्र की जड़ तक में समा गए भ्रष्टाचार को दूर करने की जिम्मेदारी ली। इसलिए शुरू से ही जाति, नस्ल, क्षेत्र, पंथ या सम्प्रदाय के आधार पर भेदभाव किए बिना समाज के सभी वर्गों को एक संगठित इकाई मानकर विकास व समृद्धि के समान अवसर उपलब्ध कराने की नीति पर चलने का निश्चय किया। टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल से सिस्टम में लोगों तक लाभ पहुंचाना सुनिश्चित किया। आज मुझे इस बात का संतोष है कि प्रदेश कम से कम उस पथ पर आकर खड़ा हो गया है जहां से आगे ही जाना होगा, अब पुराने सिस्टम तक लौटकर नहीं जाया जा सकता। 

प्रदेश की जनता को सुशासन का अनुभव कराने के लिए यह आवश्यक था कि ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ का मंत्र लेकर चला जाए। इसे देखते हुए हमने हरियाणा में सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण करते हुए शासन-प्रशासन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की है। इससे आम आदमी को सेवाओं की गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की आपूर्ति तय हुई है। अभी तक जनता को किसी भी सरकारी विभाग में काम के लिए सरकारी दफ्तरों की खिड़की-खिड़की भटकना पड़ता था। उससे भी अधिक समस्या यह थी कि यहपरिवार पहचान पत्र सरकार के डिजिटलाइजेशन के संकल्प का सबसे बड़ा प्रमाण है। सरकार की सभी सेवाओं का लाभ लोगों को घर बैठे और बिना किसी बाधा के संभव हुआ है। राशन कार्ड बनवाने की दिक्कत से लेकर पैंशन पाने की मशक्कत और जाति प्रमाण-पत्र लेने के लिए दफ्तरों के धक्के खाने की मजबूरी को परिवार पहचान पत्र ने समाप्त कर दिया है। पात्र परिवार को ये सुविधाएं अब केवल परिवार के पंजीकरण के जरिए खुद-ब-खुद मिलने लगी हैं। इतना ही नहीं डिजिटलीकरण ने प्रदेश में नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाया है। 

कृषि क्षेत्र में भी हमने डिजिटल गवर्र्नैंस का उपयोग कर किसानों को बड़ी राहत दी है। फसलों की खरीद को सुविधाजनक बनाने हेतु ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’  ई-खरीद पोर्टल शुरू किया गया है। इस पर किसान को अपनी फसल को बेचने तथा अन्य प्रोत्साहनों की राशि सीधे उनके खातों में जमा हो जाती है। सरकार से मिलने वाली राहत या मदद पाने में लोगों को बिचैलियों का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए अब प्रदेश में सभी तरह की सामाजिक सुरक्षा पैंशन, सबसिडी और वित्तीय सहायता ‘डी.बी.टी.’ के माध्यम से दी जाती है। गांवों में मालिकाना हक से संबंधित विवादों पर अंकुश लगाने के लिए लाल डोरा मुक्त करने की योजना शुरू की गई है। राज्य में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार जमीन पर सी.एल.यू. देने में होता था।

सी.एल.यू. की पूरी प्रक्रिया को ही अब ऑनलाइन कर दिया गया है। सभी सी.एल.यू 30 दिन में हो जाते हैं और सी.एल.यू. की अनुमति भी ऑनलाइन दी जाती है। भू-रिकॉर्ड को पूरी तरह डिजिटलीकरण करने के लिए सभी तहसीलों में समेकित हरियाणा भू-रिकॉर्ड सूचना प्रणाली लागू की गई है। जमीनों की रजिस्ट्री में गड़बड़ी रोकने के लिए रजिस्ट्री के समय प्रस्तुत किए जाने वाले विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों आदि के ‘बेबाकी प्रमाण पत्र’ ऑनलाइन जारी किए जाते हैं। भूमि विवादों के निपटान में ‘रिमांड’ एक बड़ी बाधा थी। आम आदमी के प्रति प्रशासन की जवाबदेही तय करने और प्रक्रियाएं भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए हमने एक अनोखी पहल ‘सी.एम. विंडो पोर्टल’ शुरू किया है। 

जनता के प्रति प्रशासन की जवाबदेही तय करने और समय पर सेवा आपूॢत सुनिश्चित करने के लिए ‘ऑटो अपील सॉफ्टवेयर’ शुरू किया गया है। इससे 40 विभागों की 425 सेवाओं को जोड़ा गया है। इन सेवाओं के आवेदकों को यदि नियत समय में सेवा नहीं मिलती तो उसकी अपील अपने आप ही उच्चाधिकारी के पास हो जाती है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने अपनी समस्त सेवाएं ऑनलाइन कर दी हैं। बेरोजगार युवाओं को नौकरी के लिए अब बार-बार इंटरव्यू और फीस देने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए सरकार ने ‘एकल पंजीकरण की सुविधा शुरू की है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए ‘ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी’ लागू की है, जिससे स्थानांतरण के नाम पर धंधा करने वालों पर लगाम लगी है। सरकारी कामकाज में तेजी लाने और फाइलों के शीघ्र निपटान के लिए ‘ई-ऑफिस’ की शुरूआत की गई है। जय हिंद!-मनोहर लाल(मुख्यमंत्री हरियाणा)  

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