मृतकों की ‘मिट्टी’ खराब मत करो पंजाबियो

Edited By ,Updated: 11 Apr, 2020 03:54 AM

do not spoil the  soil  of the dead punjabis

जालंधर के मिट्ठा बाजार क्षेत्र में प्रवीण नाम के शख्स की कोरोना पॉजीटिव के कारण हुई मौत से पहले  ही पंजाब के विभिन्न स्थानों पर मृतकों की मिट्टी खराब होने के जो मामले सामने आए हैं उनको हमने बड़े पास से देख लिया है। इसके बाद के हालातों की निशानदेही...

जालंधर के मिट्ठा बाजार क्षेत्र में प्रवीण नाम के शख्स की कोरोना पॉजीटिव के कारण हुई मौत से पहले  ही पंजाब के विभिन्न स्थानों पर मृतकों की मिट्टी खराब होने के जो मामले सामने आए हैं उनको हमने बड़े पास से देख लिया है। इसके बाद के हालातों की निशानदेही भी कर ली गई है। लोगों में इतनी दहशत है कि कई माताएं अपने बेटों को भी नहीं देख पा रहीं। यह बात फिरोजपुर के गोबिंदपुरी गुरुद्वारा मोहल्ले के एक नौजवान की मौत से चली थी जिसकी लाश संस्कार के लिए तीन श्मशानघाटों में खराब होती रही। उसके बाद समाचार आया लुधियाना से, जहां पर एक वृद्धा के पारिवारिक सदस्य संस्कार के मौके पर अपनी कारों से ही बाहर नहीं निकले। इसके बाद पद्मश्री भाई निर्मल सिंह की मृतक देह के साथ जो हुआ उससे पंजाबी अपने आपको कभी भी माफ नहीं करेंगे। सबके दिमाग में यह बात घर कर गई कि आखिर आने वाले दिनों में मंजर क्या होगा? भय इतना बढ़ गया है कि किसी भी तरह के अमानवीय व्यवहार की कल्पना की जा सकती है। 

जिस व्यक्ति की कोरोना से मौत होती है अस्पताल वाले उसकी मृतक देह को पूरी तरह से ढांप कर ले आते हैं जिससे इसका संक्रमण आगे नहीं फैल सकता परन्तु यह बात लोगों तक नहीं पहुंची जिसके नतीजे में जालंधर में प्रशासन को सख्ती का इस्तेमाल करना पड़ा तथा 60 के करीब लोगों पर केस दर्ज किया गया। संस्कार के लिए दो घंटे तक जद्दोजहद करनी पड़ी। 

मृतक देह के संस्कार के समय नहीं फैलता कोरोना
भविष्य की स्थिति क्या है इसके बारे में विचार करने से पहले इस बीमारी से निपट रहे हमारे सरकारी डाक्टरों तथा माहिरों के विचार हमें जरूर सांझे करने चाहिएं ताकि तस्वीर का सही रूप पाठकों तक पहुंचे। सामाजिक हालातों को रोकने के लिए माहिरों का संदेश लोगों तक पहुंचना बेहद लाजिमी है। यही सरकार का कत्र्तव्य है तथा मीडिया का भी। अमृतसर में एक पूर्व अधिकारी की कोरोना पॉजीटिव के कारण मृत्यु होने के बाद उसके परिवार का जो व्यवहार सामने आया उसको मुख्य रखते हुए पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के कोविड-19 के बारे में प्रवक्ता डा. राजेश भास्कर ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से कोरोना प्रभावित मृतक देह के लिए पूरी तरह से दिशा-निर्देश दिए गए हैं तथा स्वास्थ्य विभाग उनके अनुसार ही कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि आइसोलेशन एरिए में से बाहर लाने से पूर्व मृतक देह को पूरी तरह से इस तरीके से सील किया जाता है कि किसी किस्म के संक्रमण का कोई मतलब ही पैदा नहीं होता। ये दिशा-निर्देश हमें हमारी सभी धार्मिक रस्मों को निभाए जाने के बारे में बताते हैं। हम सब इन रस्मों को निभा सकते हैं जोकि हमारे सामाजिक ढांचे तथा मान्यताओं के अनुसार निभाई जाती हैं। 

अमृतसर के सिविल अस्पताल के  सीनियर मैडीकल अफसर डा. राजेन्द्र अरोड़ा ने कहा कि लोग अपने रिश्तेदार की मृतक देह के संस्कार  के मौके पर बिल्कुल भी पैनिक न हों। फूल चुगते समय भी किसी तरह का डर नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे किसी भी तरह की बीमारी आगे नहीं फैलती। अब हमारी मैडीकल साइंस भी यही कह रही है कि मानवीय मन तथा मस्तिष्क जिस कोरोपी के भय से कुंठित हैं वह आगे बढ़ती ही जा रही है, इसलिए यह व्यवहार कहीं सामाजिक व्यवहार में न  बदल जाए।  ये सवाल इतने सूक्ष्म हैं कि सामाजिक मूल्यों को निर्धारित करते नजर आ रहे हैं। ये शारीरिक दूरी के साथ-साथ सामाजिक दूरी की निशानदेही करने लग पड़े हैं। 

मृतक देह के लिए कुंड अलग बना लो मगर मन न मोडऩा
ऐसे समाचार भी विभिन्न स्थानों से आ रहे हैं कि कोरोना पॉजीटिव मृतक देहों के लिए अलग-अलग कुंड बनाए जाने लगे हैं। चाहे कुछ लोगों ने इस बारे में ऐसे कार्य करने आरंभ भी कर दिए हैं मगर इनके भाव बेहद गहरे हैं। लोगों के मनों की अवस्था के बाद में जो सामाजिक बदलाव आने वाले हैं उसकी बात करने से पहले कुछ तथ्यों तक निगाह डालें तो होशियारपुर के श्मशानघाट में 4 ऐसे इलैक्ट्रिक कुंड तैयार किए जा रहे हैं जो केवल कोरोना से हुई मौतों के लिए ही उपलब्ध होंगे। मोगा शहर में 2 कुंड जोकि इलैक्ट्रॉनिक हैं वे बंद पड़े हैं मगर अब उनको कोरोना से हुई मौतों के लिए फिर से चालू किया जा रहा है क्योंकि लकडिय़ों के साथ संस्कार करने में ज्यादा एहतियात रखनी पड़ती है।  मोहाली में भी एक इलैक्ट्रॉनिक कुंड तैयार किया गया है। नवांशहर, मानसा तथा फिरोजपुर से भी ऐसे आइसोलेटिड कुंड बनाए जाने के समाचार आ रहे हैं। इस समय प्रशासन तथा समाज ने भी टकराव रोकने के लिए प्रयत्न किए हैं। अब इन अलग इलैक्ट्रॉनिक कुंडों  का सेंक समाज को बहुत देर बाद महसूस होगा तथा जब होगा तब तक पानी सिरों से ऊपर निकल चुका होगा। 

इन बहुत सारी नकारात्मक बातों के बावजूद बहुत कुछ सकारात्मक बातें भी देखने को मिल रही हैं जो कुछ हद तक दिल को सुकून दे रही हैं। इस बीमारी को लेकर बहुत दुख देखने वाला नवांशहर/बंगा क्षेत्र का गांव पठलावा था। अब उस गांव के नौजवानों ने अपनी सेवाएं उन मृतक देहों के संस्कार के लिए देने का प्रण लिया है जिनके संस्कार के मौके पर उनके परिवार पीठ दिखा कर भागे थे। उन्होंने यह भी बात कही कि जो  बीमार की देखभाल करने के लिए राजी नहीं हो रहा उसका इलाज करवाने के लिए भी ये नौजवान तैयार हैं और कोई भी उनकी सेवाएं प्राप्त कर सकता है। ऐसे नवयुवकों के नाम हैं अमरप्रीत  लाडी, हरप्रीत सिंह, जसपाल सिंह व अन्य। ऐसे ही कई अन्य गांवों के नवयुवक अपनी सेवाएं देने के लिए आगे आ रहे हैं। संकट की घड़ी में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की पंजाबियों की प्रवृत्ति हम अच्छी तरह से जानते हैं। कुदरत के कहर से डरते हुए हमें सबके भले की कामना करनी होगी।-देसराज काली 
 

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