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हमास और सी.पी.सी. में है तगड़ी सांठ-गांठ

Edited By ,Updated: 03 Dec, 2023 05:51 AM

hamas and cpc there is a strong nexus in

पश्चिम एशिया में इस समय इस्लामिक आतंकी संगठन हमास और इसराईल में जंग चल रही है। इस जंग ने पूरी दुनिया को 2 हिस्सों में बांट दिया है और ये दोनों हिस्से साफतौर पर दिखाई देने लगे हैं, रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी दुनिया 2 हिस्सों में बंटी दिख रही थी...

पश्चिम एशिया में इस समय इस्लामिक आतंकी संगठन हमास और इसराईल में जंग चल रही है। इस जंग ने पूरी दुनिया को 2 हिस्सों में बांट दिया है और ये दोनों हिस्से साफतौर पर दिखाई देने लगे हैं, रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी दुनिया 2 हिस्सों में बंटी दिख रही थी लेकिन उस समय ये साफ नहीं था कि ये 2 हिस्से कौन से हैं। जो थोड़ा बहुत धुंधलापन पहले था वो हमास-इसराईल युद्ध के दौरान साफ हो गया। ऐसे में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति चीन इस्लामिक आतंकी संगठन हमास का साथ दे रहा है। हाल ही में यह बात मीडिया के सामने आई है जिसमें हमास का बड़ा नेता जो लेबनान की राजधानी बेरूत में रहता है उसने लेबनीज टी.वी. चैनल के साथ हुए एक साक्षात्कार में ये बातें बताईं। 

इससे सीधे तौर पर चीन की मंशा के बारे में पता चलता है कि वो किस हद तक बेताब है अपनी जड़ें पश्चिम एशिया में जमाने को, दरअसल इस समय पूरे पश्चिम एशिया और अरब प्रायद्वीप में अमरीका की 40 हजार से ज्यादा की फौज तैनात है, और चीन इस पूरे क्षेत्र से अमरीका को बेदखल कर अपने पांव जमाना चाह रहा है। दरअसल यह पूरा क्षेत्र जिसमें खाड़ी, पश्चिम एशिया और अरब प्रायद्वीप आते हैं ये रणनीतिक महत्व रखते हैं। दरअसल, ये क्षेत्र चीन के लिए यूरोप और अफ्रीकी महाद्वीप के पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी छोर तक पहुंचने का सबसे छोटा और आसान रास्ता है। इसके साथ ही यूरोप के पश्चिमी हिस्से जिसमें इटली, पुर्तगाल, स्पेन, ब्रिटेन और अन्य देश आते हैं वहां पहुंचने के लिए भी चीन को दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप को पार करने के लिए लंबा समय, ईंधन नहीं लगाना पड़ेगा। 

साथ ही अगर चीन यहां पहुंच जाता है तो मिस्र को अपने ऋण जाल में फंसा कर वह स्वेज नहर पर अपना कब्जा स्थापित कर इस महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग को अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ चीन इसराईली का विरोधी बन चुका है क्योंकि इसराईल अमरीका सहित पश्चिमी ताकतों का मित्र देश है। यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि चीन अपने निजी स्वार्थ के लिए किस हद तक गिर सकता है। हाल ही में लेबनान की राजधानी बेरुत में हमास के बड़े आतंकी प्रवक्ता अली बराका ने लेबनान के टी.वी. साक्षात्कार में इस बात को कबूल किया कि चीन की सी.पी.सी. ने हमास से मिलने अपने दूत को कतर भेजा था। जहां पर उनकी मुलाकात हमास नेताओं से हुई थी और हमास भी सी.पी.सी. के दूत से मिलने की योजना बना रहा है। 

अब यह बात साफ हो जाती है कि एक छोटा-सा इस्लामिक आतंकी संगठन कैसे एक बड़े सैन्य शक्ति देश के सामने महीने भर से ज्यादा समय से टिका हुआ है। अपने स्वार्थ के चलते चीन, ईरान, उत्तर कोरिया और कुछ दूसरे देश ऐसे आतंकियों का साथ देते हैं जिससे दुनिया में अशांति और मार काट मचती रहे और इन देशों का स्वार्थ पूरा होता रहे।

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