यहां सरकार की ‘मनमानी’ पर कम पाबंदियां हैं

Edited By ,Updated: 05 Oct, 2020 02:10 AM

here the government has less restrictions on arbitrariness

केंद्र सरकार अपने सभी रूपों में थोड़ा-सा एक विचित्र सृजन करती दिखाई देती है। लोकतंत्र के रूप में अपने नाम को लेकर यह एक उदारवादी दिखाई देती है। एक उदार लोकतंत्र की व्याख्या में एक ऐसी लोकतंत्र सरकार है जिसमें व्यक्तियों के अधिकारों

केंद्र सरकार अपने सभी रूपों में थोड़ा-सा एक विचित्र सृजन करती दिखाई देती है। लोकतंत्र के रूप में अपने नाम को लेकर यह एक उदारवादी दिखाई देती है। एक उदार लोकतंत्र की व्याख्या में एक ऐसी लोकतंत्र सरकार है जिसमें व्यक्तियों के अधिकारों तथा उनकी  स्वतंत्रता की आधिकारिक रूप से सुरक्षा की जाती है और उन्हें मान्यता दी जाती है। कानून के नियमों के द्वारा राजनीतिक शक्ति की प्रक्रिया को सीमित कर दिया जाता है। 

यह सब सत्य है मगर जब भारत की बात करें तो यह सत्य नहीं। एक भाव में यह लोकतांत्रिक है जिसे राजनीतिक दलों द्वारा नियंत्रित किया जाता है जिन्हें नियत अवधि के लिए  कार्यालयों में चयनित किया जाता है।  सिद्धांतों के लिहाज से व्यक्तियों के अधिकार तथा स्वतंत्रता मौजूद होती है मगर वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है। राजनीतिक शक्ति कानून के नियम के द्वारा सीमित नहीं है। जब अपने कार्यालय में व्यक्ति अपने पद के प्रति संवैधानिक ढांचे के भीतर संवेदनशील तथा आडंबरहीन होते हैं तब सरकार लोकतांत्रिक तथा उदार प्रतीत होती है। 

यदि व्यक्ति सत्तावादी जैसे प्रधानमंत्री तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं तब  वही  प्रशासन अलोकतांत्रिक कहलाता है। राज्यों में कानून का नियम व्याप्त होता है जहां पर राज्य के पास ऐसी कोई भी शक्ति नहीं होती कि वह मनमाने ढंग से कार्य करे। ऐसी परिभाषा को लेकर भारत में एक कानून के नियम वाली सरकार नहीं है। प्रशासन की मनमानी प्रक्रिया पर वास्तव में यहां पर बहुत कम पाबंदियां हैं। 

संसद मत के अधिकार (राइट टू वोट) की मनाही कर सकती है। लोगों को इंडिया गेट पर धारा 144 की घोषणा कर शांतिप्रिय ढंग से इकट्ठे होने की स्वतंत्रता के अधिकार की मनाही हो सकती है। (आर्टिकल 19 के तहत दी गई गारंटी) एक पूरे गांव को स्वतंत्रता के अधिकार (आर्टिकल 21 के तहत दी गई गारंटी) से वंचित किया जा सकता है, जब उन्हें इधर से उधर जाने की आज्ञा न दी जा सके। ऐसे लोकतांत्रिक राज्यों की प्रणाली कार्य नहीं करती मगर भारत में यह सब जायज है। यहां पर इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि आखिर प्रशासन को कहां तक अनमने ढंग से कार्य करने दिया जाए। 

सैद्धांतिक तौर पर न्याय प्रणाली सरकार के धोखा देने के प्रयास पर अंकुश लगा सकती है मगर भारतीय न्याय प्रणाली एक सशक्त अथॉरिटी के द्वारा ही कार्य करती है, ऐसा किसी अन्य देश में नहीं है। न्यायाधीशों को पुरस्कार के तौर पर राज्यसभा सीटें तथा राज्यपाल के पद दिए जाते हैं। लोकतांत्रिक विश्व में भारतीय लोग सबसे ऊंचे वोटिंग दरों के होने के लिए गौरवान्वित महसूस करते हैं। अमरीका में, मिसाल के तौर पर 2016 के चुनावों में वोट टर्न आऊट जिसने डोनाल्ड ट्रम्प को सत्ता दिलवाई थी, 55 प्रतिशत का था। 2019 के भारत में चुनावों की टर्न आऊट से यह 12 प्रतिशत कम था, जब 67 प्रतिशत चुनावी वोट दिए गए। यही एक ठोस फर्क है। 

मगर अमरीकी लोग अपने लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया के बाहर भी भाग लेते हैं। प्रशासन की मनमानी के खिलाफ वहां प्रदर्शन होते हैं जैसा कि ‘ब्लैक लाइव्ज मैटर’ आंदोलन के दौरान हुआ था जिसमें लाखों की तादाद में लोगों ने अफ्रीकी अमरीकियों के खिलाफ बल प्रयोग के कारण मतभेद दिखाया था। इसके कारण कानून तथा नीतियों में बदलाव लाए गए। भारत में ऐसे प्रदर्शन सरकार द्वारा सख्ती से प्रतिबंधित किए गए हैं। यह भी देखा गया है कि भारत में संवैधानिक अधिकारों के लिए खड़े होने के लिए भारतीय नागरिकों में कम ही रुचि है। लोकतांत्रिक देशों में कानून के नियमों को लेकर अन्य के साथ लोग खड़े होते हैं। भारत में प्रदर्शन स्थानीय होकर रह जाते हैं और उनका असर एक समयावधि तक रहता है और समय के बाद ऐसे प्रदर्शन मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। 

हम ऐसी बातों से कानून के नियम के तौर पर एक राष्ट्र का स्थान कैसे पाएंगे? इस सवाल का जवाब आसान नहीं और न ही स्पष्ट है। मिसाल के तौर पर यह एक पार्टी की हार नहीं हो सकती और दूसरी की जीत। इन सबका कारण यह है कि देश में सशक्त इच्छाशक्ति वाले प्रशासन की कमी है और यह परेशानी भविष्य में भी रह सकती है। गहराई तक कुछ बदलाव करने की जरूरत है मगर अभी यह स्पष्ट नहीं कि यह बदलाव बाहरी ताकतों या फिर एक एकल इवैंट के द्वारा उत्पन्न किए जाएंगे। ऐसी आशाएं हैं कि सरकार अपनी अथॉरिटी का मनमाने ढंग से इस्तेमाल नहीं करेगी और राजनीतिक पार्टी सरकार का दुरुपयोग नहीं करेगी। आज जो हम देख रहे हैं यह इस बात का स्पष्ट परिणाम है कि यह सब कुछ काफी नहीं।-आकार पटेल

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!