आखिर हमारा नेता कैसा हो...

Edited By Updated: 19 Feb, 2022 07:23 AM

how about our leader

वर्तमान समय के विधान सभा चुनावी दौर में सभी चुनावी राज्यों में बड़ी धूम-धाम से अलग-अलग पाॢटयों के प्रत्याशियों द्वारा खूब जोरों-शोरों से प्रचार-प्रसार चल रहा है। विकास से जुड़े अनेक

वर्तमान समय के विधान सभा चुनावी दौर में सभी चुनावी राज्यों में बड़ी धूम-धाम से अलग-अलग पाॢटयों के प्रत्याशियों द्वारा खूब जोरों-शोरों से प्रचार-प्रसार चल रहा है। विकास से जुड़े अनेक तरह के घोषणा पत्रों का वचन भी भली प्रकार हो रहा है। सभी दलों के प्रत्याशी अपने-अपने दल को बेहतरीन सेवादार साबित करने की आड़ में बड़ी तन्मयता के साथ अनेक तरह की घोषणाएं भी कर रहे हैं। 

इन प्रत्याशियों के पत्र वाचन सुनने की इच्छा से जन सैलाब भी काफी संख्या में उमड़ रहा है। जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि जनता इस बार अपने नेता का चुनाव बड़ी सूझ-बूझ के साथ करने जा रही है। किंतु मुफ्त शिक्षा समेत अनेक तरह की इन मु तनामा घोषणाओं से क्या सचमुच क्षेत्र का नक्शा बदल जाएगा? 

हालांकि मुफ्त की योजनाएं बांटने वाले राजनीतिक दलों को मद्देनजर रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से चार सप्ताह में उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा आम जनता को लुभाने के लिए सरकारी खजाने से मुफ्त उपहार और नगद कर देने की घोषणाएं शामिल हैं। देश में हर चुनावी दौर में इस तरह की घोषणाओं का होना गैर-संवैधानिक है, जिस कारण अदालत ने इसे बेहद गंभीर मुद्दा माना है। इन घोषणाओं से न केवल देश का संवैधानिक ढांचा गड़बड़ाने लगता है, अपितु प्राथमिक विकास को किनारे कर दिया जाता है। 

राज्य सरकारों का सर्वप्रथम दायित्व यह है कि वे जनता को बेहतरीन सुविधाएं देकर राज्य की सभी जरूरतमंद सुविधाओं को विकसित करें, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल तथा स्वच्छता अभियान आदि शामिल हैं। आंकड़ों की मानें तो सभी चुनावी राज्यों में चुनावी शोर तो सर्वाधिक है, परंतु पांचों राज्यों की वित्तीय स्थिति पहले से काफी खराब है। ऐसे में मु त की घोषणा करने वाले अलग-अलग राजनीतिक दल सरकार बनाने के बाद आय के साधन कहां से उत्पन्न करेंगे? इन सब बातों का खुलासा भी घोषणा पत्रों में शामिल होना चाहिए। 

भारतीय रिजर्व बैंक की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार स्पष्ट चेतावनी है कि आने वाले 7 सालों के भीतर उत्तर प्रदेश को अपने कर्जे का 48 फीसदी, उत्तराखंड को 57.8 फीसदी, पंजाब को 43 फीसदी, गोवा को 58 फीसदी तथा मणिपुर को 43 फीसदी का भुगतान कर देना चाहिए। अगर सीमित समय पर भुगतान नहीं किया गया तो इन राज्यों पर ब्याज की दरें इतनी अधिक होंगी कि जरूरी सेवाएं और प्राथमिक विकास ही ध्वस्त हो जाएंगे। 

सिर्फ सफेद टोपी-कुर्ता देखकर अपना नेता न चुनें बल्कि ऐसे नेता का चुनाव करें, जो सुख-दुख में जनता के साथ रहे, जो शिक्षित, ईमानदार और सदाचारी हो, जो जनता की जरूरतों को समझे और उनकी हर संभव सेवा करे। केवल चुनाव के समय ही जनता के बीच न हो बल्कि नेता ऐसा हो जो सिर्फ मु त के घोषणा पत्रों का वाचन ही न करे, अपितु राज्य के नागरिकों के लिए हर संभव सुविधा प्रदान करके राज्य को कर्जा मुक्त करे। राज्य के सभी नागरिकों को इस समय जागरूक होकर बिना किसी भेदभाव के निष्पक्ष मतदान करना चाहिए, जो राज्य हित में समॢपत हो और राज्य को विकसित करने में मददगार हो। 

इस समय राज्यहित में पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना मतदान जरूर करें। ताकि हमारा राज्य देश का खुशहाल बन सके और दूसरे राज्यों का प्रेरक भी बन सके। वर्तमान समय में सभी चुनावी राज्यों के सभी जिम्मेदार नागरिकों की यह जि मेदारी बनती है कि अपनी सूझ-बूझ के साथ मतदान जरूर करें जिससे हमें एक सुशिक्षित व जिम्मेदार नेता मिल सके और राज्य के विकास में अपना अमूल्य योगदान दे सके। ध्यान रखें कि आपका अमूल्य मतदान पूरे राज्य के सुखद भविष्य का कारक बन सकता है।-प्रि.डॉ.मोहन लाल शर्मा

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