जीवन की संध्या में :‘बुजुर्गों के प्रति बेरहम भारत की’‘कलयुगी संतानें कर रहीं अत्याचार’

Edited By Updated: 28 Nov, 2020 04:43 AM

in the evening of life  india s cruel child is tortured towards the elderly

कोई जमाना था जब संतानें मां के चरणों में स्वर्ग और पिता के चेहरे में भगवान देखती थीं और माता-पिता के एक ही आदेश पर सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार रहती थीं परंतु आज जमाना बदल गया है और अनेक माता-पिता अपनी संतानों के हाथों ही

कोई जमाना था जब संतानें मां के चरणों में स्वर्ग और पिता के चेहरे में भगवान देखती थीं और माता-पिता के एक ही आदेश पर सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार रहती थीं परंतु आज जमाना बदल गया है और अनेक माता-पिता अपनी संतानों के हाथों ही उत्पीड़ित और अपमानित हो रहे हैं। 

अनेक संतानें अपनी शादी के बाद अपने माता-पिता की ओर से आंखें ही फेर लेती हैं तथा उनका एकमात्र उद्देश्य किसी भी तरह माता-पिता की सम्पत्ति पर कब्जा करना ही रह जाता है तथा इसके बाद वे उन्हें घर से निकालने और उन पर अत्याचार करने में जरा भी संकोच नहीं करतीं। चंद संतानें तो उनकी हत्या तक कर देती हैं। 

इसीलिए हम अपने लेखों में बार-बार लिखते रहते हैं कि माता-पिता अपनी सम्पत्ति की वसीयत तो अपने बच्चों के नाम अवश्य कर दें परंतु उनके नाम पर ट्रांसफर न करें। ऐसा करके वे अपने जीवन की संध्या में आने वाली अनेक परेशानियों से बच सकते हैं परंतु वे यह भूल कर बैठते हैं जिसका खमियाजा उन्हें अपने शेष जीवन भर भुगतना पड़ता है जिसके मात्र नवम्बर महीने के ही 8 उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 1 नवम्बर को मध्य प्रदेश के शहडोल में पैतृक सम्पत्ति हथियाने के लिए ‘किरण जैन नामक 74 वर्षीय बुजुर्ग महिला’ के कलयुगी पुत्र, बहू और पोते ने मिल कर उसे बुरी तरह पीटा और फिर कमरे में बंद कर दिया। पांच दिनों तक भूखी-प्यासी कमरे में बंद रहने के बाद किसी तरह वह महिला बाहर निकली और अपने बेटे, बहू और पोते के विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
* 3 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद शहर में ‘58 वर्षीय विधवा रत्ना गुप्ता’ को जला कर मार डालने के आरोप में उसके बेटे, बहू और एक अन्य रिश्तेदार को हिरासत में लिया गया। मृतका ने मरने से पहले दर्ज करवाए बयान में कहा कि उसका बेटा उस पर जायदाद बेचने के लिए दबाव डाल रहा था जबकि वह अपने सभी बच्चों को जायदाद में बराबर का हिस्सा देना चाहती थी। इसी बात पर हुए विवाद में अभियुक्त ने अपनी मां से मारपीट करके उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया जिसके परिणामस्वरूप उसने दम तोड़ दिया। 

* 18 नवम्बर को संतानों द्वारा अपने बुजुर्गों के उत्पीडऩ का एक मामला ‘नवी मुम्बई’ के ‘पनवेल’ में सामने आया जहां सम्पत्ति के विवाद में ‘मुखवंत सिंह’ नामक एक बुजुर्ग को उसके बेटे और बहू ने इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी एक टांग और दोनों बांहें टूट गईं। 
* 21 नवम्बर को पानीपत के गांव ‘बापौली’ में एक व्यक्ति ने अपने दिव्यांग भाई का हिस्सा भी स्वयं हड़पने के लालच में अपने बेटों के साथ मिल कर अपने पिता को लाठी-डंडों और ईंटों से पीट-पीट कर लहुलूहान कर दिया तथा उनके मकान के दरवाजे और खिड़कियां तोड़ कर सारा सामान घर से बाहर फैंक दिया। 

* 22 नवम्बर को झारखंड के रामगढ़ जिले में एक बेरोजगार व्यक्ति ने सैंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सी.सी.एल.) में कार्यरत अपने पिता की इसलिए हत्या कर दी, ताकि उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिल जाए।
* 23 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के ‘फतेहपुर’ के ‘सुजानपुर’ गांव में एक कलयुगी बेटे ने अपनी ‘65 वर्षीय बुजुर्ग मां सावित्री देवी’ को जमीन के बंटवारे पर विवाद के चलते बेरहमी से पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया। मृतका की बेटियों के अनुसार बेरहम भाई ने मां को इतना पीटा कि उनके हाथ, कमर और सिर बुरी तरह छलनी हो गए थे। 

* 24 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के ‘बांदा’ में अपनी मां ‘गुड्डी देवी’ के बीमे के 10 लाख रुपए पाने के लिए उसे कार के नीचे कुचल कर मार डालने के आरोप में न्यायालय ने 2 भाइयों को मौत होने तक जेल में रखने की सजा सुनाई।
* 25 नवम्बर को उत्तर प्रदेश में ‘शामली’ के ‘सिंभालका’ में एक 30 वर्षीय महिला ने  ‘सॉस’ (चटनी) बनाने के लिए अपनी सास से टमाटर मांगा परंतु सास ने टमाटर देने से इंकार कर दिया तो बहू भड़क उठी और आनन-फानन में उसने अपने मायके से 10 लोगों को बुला कर अपनी सास तथा ससुराल वालों को पिटवा दिया। इसके परिणामस्वरूप उसकी सास सहित 6 लोग गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल में उपचाराधीन हैं। 

उक्त सभी घटनाएं माता-पिता के प्रति संतानों की संवेदनहीनता के दुष्परिणामों को ही दर्शाती हैं। अत: संतानें अपने बुजुर्गों के साथ ऐसा व्यवहार कतई न करें ताकि बूढ़े होने पर उन्हें भी अपनी संतानके हाथों उसी तरह के दुव्र्यवहार का सामना न करना पड़े। संतानों द्वारा अपने बुजुर्गों की उपेक्षा को रोकने व उनके ‘जीवन की संध्या’ को सुखमय बनाना सुनिश्चित करने के लिए सर्वप्रथम हिमाचल सरकार ने 2002 में ‘वृद्ध माता-पिता एवं आश्रित भरण-पोषण कानून’ बनाया था। बाद में केंद्र सरकार व कुछ अन्य राज्य सरकारों ने भी इसी तरह के कानून बनाए हैं परंतु बुजुर्गों को उनकी जानकारी न होने के कारण इनका लाभ उन्हें नहीं मिल रहा। अत: इन कानूनों के बारे में बुजुर्गों को जानकारी प्रदान करने के लिए इनका समुचित प्रचार करने की आवश्यकता है।—विजय कुमार 

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