दिल के दौरे और एंजाइना के बढ़ते मामले

Edited By ,Updated: 24 Dec, 2023 05:22 AM

increasing cases of heart attacks and angina

भारत में प्रत्येक वर्ष डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को दिल का दौरा पड़ता है। जब बच्चों, नौजवानों को ग्राऊंड में भागते हुए, भारी कार्य करते हुए, नाचते-गाते हुए और जोर  लगाते हुए दिल का दौरा पड़ता है तो उसे एंजाइना हार्ट अटैक कहते हैं।

भारत में प्रत्येक वर्ष डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को दिल का दौरा पड़ता है। जब बच्चों, नौजवानों को ग्राऊंड में भागते हुए, भारी कार्य करते हुए, नाचते-गाते हुए और जोर  लगाते हुए दिल का दौरा पड़ता है तो उसे एंजाइना हार्ट अटैक कहते हैं। दिल के दौरे और एंजाइना के पीड़ितों में 60 से 70 प्रतिशत पीड़ितों को कुछ मिनटों में (2 से 10 मिनटों में) कार्डियक अरैस्ट अर्थात रोगी के दिल-दिमाग को ऑक्सीजन ग्लूकोज की कमी होने के कारण वह काम करना बंद कर देता है जिसे कार्डियक अरैस्ट कहते हैं जिसे मैडीकल विशेषज्ञों के अनुसार इंसान की मृत्यु समझी जाती है और डाक्टरों की ओर से मरीज को मृतक घोषित कर दिया जाता है।

इसी कारण अक्सर मरीज की नब्ज, दिल की धड़कन, श्वास क्रिया और आंखों का हिलना-जुलना बंद देख कर मृत घोषित कर दिया जाता है।  40-50 वर्ष पूर्व केवल बुजुर्गों, अधिक नशे करने वालों, तनाव में रहने वाले लोगों को अचानक दिल का दौरा पड़ता था। मगर वर्ष 2000 के बाद से और अब 8 से 10 वर्षों के बच्चों से लेकर 25-30 वर्षों के नौजवानों और बड़ी उम्र के लोगों को अचानक दिल का दौरा पड़ता है। अस्पताल पहुंचने से पहले ही 60 से 70 प्रतिशत पीड़ितों की मौतें हो रही हैं।

गुरदासपुर में एक 12 वर्षीय बच्चे को घर के अंदर बैड पर बैठे हुए मोबाइल देखते-देखते बेहोशी हो गई। अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि दिल के दौरे के कारण बच्चे के दिमाग को ऑक्सीजन और ग्लूकोज की सप्लाई बंद हो गई जिसके चलते उसकी मृत्यु हो गई। ज्यादातर अभिभावकों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों को फस्र्ट ऐड की ए.बी.सी., रिकवरी पोजीशन, वैंटीलेटर बनावटी सांस देने की क्रिया और सी.पी.आर. के बारे में जानकारी ही नहीं होती। एक युवक को जगराते में नाचते हुए दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौके पर मौत हो गई।

आजकल बच्चे, नौजवान और उनके पारिवारिक सदस्य फास्ट फूड और जंक फूड के साथ-साथ कोल्ड ड्रिंक का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं। घर के सदस्य कभी भी व्यायाम या फिर योग नहीं करते। न ही उन्हें साइकलिंग, स्वीमिंग, दौड़ते या धूप में बैठे देखा जाता है। शरीर में पसीना नहीं आता और लोग अक्सर बंद कमरों में बिस्तर और सोफों पर बैठे दिखाई देते हैं और घर के अंदर शुद्ध ऑक्सीजन की कमी बनी रहती है। गैस, कब्ज और फास्टफूड या जंक फूड के कारण लिवर और खून में गंदगी पड़ी रहती है। लोग पानी भी कम पीते हैं। ताजे फलों, सब्जियों का इस्तेमाल बहुत ही कम किया जाता है। कमर, पेट, छाती और टांगों के कपड़े ज्यादा तंग होने के कारण आंतों में रक्त का संचार कम होता है।

बेशक के दिल के दौरे के अनेकों कारण हैं मगर मुख्य कारण रक्त धमनियों, फेफड़ों, दिल और दिमाग में ऑक्सीजन और ग्लूकोज की कमी है। फास्टफूड, जंक फूड और कोल्ड ङ्क्षड्रक का अधिक इस्तेमाल होने के कारण  बच्चों और नवयुवकों की नाडिय़ों में चर्बी की मात्रा बढ़ती जाती है। कोल्ड ड्रिंक्स, फास्ट फूड, जंक फूड, बासी भोजन और मैदा नाडिय़ों में चर्बी की मात्रा को बढ़ाते हैं जिस कारण 29 प्रतिशत बच्चे मोटापे का शिकार हैं। रक्त को साफ करने के लिए पानी, खट्टे फल, दही, लस्सी सबसे अधिक लाभदायक होते हैं।

पानी की कमी के कारण खून गाढ़ा होने लग जाता है। गाढ़ा खून अर्थात कोलैस्ट्रॉल, खून में चर्बी और चीनी तथा नमक के बढऩे के कारण दिल का दौरा पड़़ता है। विदेशों में गए हमारे आरामप्रस्त मां-बाप के लाडले बेटों को खाने को केवल फास्ट फूड, जंक फूड और पीने के लिए कोल्ड ड्रिंक्स ही मिलते हैं। थकावट, कमजोरी, बेचैनी और बेआरामी को दूर करने के लिए घटिया किस्म के नशों के इस्तेमाल के कारण दिल के दौरे पड़ते हैं।

90 प्रतिशत लोगों जिनमें विद्यार्थी, शिक्षक, नागरिक, पुलिस, फैक्टरी श्रमिक और घरेलू महिलाओं तथा बुजुर्गों को यह ट्रेनिंग ही नहीं कि दिल के दौरे की निशानियां क्या हैं? उन्हें यह भी नहीं पता कि फस्र्ट ऐड, सी.पी.आर. रिकवरी पोजीशन और बनावटी सांस क्रिया कैसे करनी चाहिए। दुर्घटनाग्रस्त या जख्मी हालत में बेहोश बच्चों, नौजवानों और लोगों की मदद करने वाले लोग तुरन्त ही उन्हें पानी पिलाते हैं। पानी बेहोश इंसान की श्वास नली में जाकर सांस बंद कर देता है और सांस बंद होने के कारण इंसान की 2 या 3 मिनटों में ही मृत्यु हो सकती है। दिमाग को 2-3 मिनट ऑक्सीजन, ग्लूकोज की सप्लाई बंद हो जाए तो दिमाग मरना शुरू कर देता है।

लोगों, अध्यापकों, पुलिस और फैक्टरी कर्मचारियों को कभी भी किसी पीड़ित को मरा हुआ नहीं समझना चाहिए। मौत की पुष्टि केवल सीनियर डाक्टर ही कर सकते हैं। हमारी ओर से फस्र्ट ऐड, सी.पी.आर., रिकवरी पोजीशन, वैंटीलेटर बनावटी सांस क्रिया की ट्रेनिंग दी जाती है और इसके लिए हम पंजाब के मुख्यमंत्री, शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री, शिक्षा विभाग और पटियाला के डिप्टी कमिश्रर और जिला शिक्षा अधिकारी को अनेकों बार पत्र भेज कर उनकी मंजूरी और सहयोग मांगा है ताकि विद्याॢथयों, अध्यापकों और मां-बाप तक यह ट्रेनिंग घर-घर पहुंचाई जाए मगर सरकार और संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई भी सहयोग नहीं दिया जा रहा। जबकि यह ट्रेनिंग हम मुफ्त में देने के लिए तैयार हैं। -काका राम वर्मा (लेखक भारत सरकार के आपदा प्रबंधन सिविल डिफैंस फस्र्ट ऐड सी.पी.आर. ट्रेनर हैं)

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