Edited By ,Updated: 22 Jan, 2024 05:47 AM
1979 की क्रांति ने ईरान को एक शिया मुस्लिम धार्मिक शासन प्रणाली पर आधारित (धर्म तंत्र) देश बना दिया जो अब पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ जाने के कारण स्वयं को घिरा हुआ महसूस कर रहा है।
1979 की क्रांति ने ईरान को एक शिया मुस्लिम धार्मिक शासन प्रणाली पर आधारित (धर्म तंत्र) देश बना दिया जो अब पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ जाने के कारण स्वयं को घिरा हुआ महसूस कर रहा है। ईरान फारस की खाड़ी में खुद को सर्वाधिक शक्तिशाली देश के रूप में देखता है जहां उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमरीका का सहयोगी और मुख्य सुन्नी बहुसंख्यक मुस्लिम देश सऊदी अरब है।
ईरान के शासक अमरीका और इसराईल को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते हैं। कई दशकों से ईरान अपने शत्रुओं को कमजोर करने की कोशिश में लगा है जिसके लिए वह पश्चिमी एशिया में समान विचारधारा वाले देशों की सेना को मजबूत बनाने में मदद करता है। ईरान किसी भी गुट के लिए हथियार नहीं उठाता परंतु उन्हें आर्थिक सहायता देता है। इसी शृंखला में वह लेबनान, ईराक और यमन में शिया समूहों और फिलिस्तीन की गाजा पट्टी में इसराईल विरोधी सुन्नी हमास और हिजबुला को सहायता देता है। उसने दुश्मनों से लडऩे के लिए हथियारों की मदद और ट्रेनिंग तथा भरपूर आर्थिक सहायता दी है। इसी कारण आज हर जगह इसका कोई न कोई ‘लिंक’ निकल आता है।
अभी तक ईरान की पाकिस्तान के साथ अच्छी दोस्ती थी और हाल ही में ईरान द्वारा पाकिस्तान पर हमले और पाकिस्तान के जवाबी हमले के बाद इन दोनों द्वारा झटपट अपना विवाद सुलझा लेने पर सब हैरान हैं। इसका कारण यह है कि ईरान सरकार को वर्ष 2024 में सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि सरकार के विरुद्ध पैदा होने वाले अंसतोष से देशवासियों का ध्यान बाहर के शत्रुओं की ओर भटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
प्रश्न पूछा जा रहा है कि आखिर ईरान ने पाकिस्तान पर हमला क्यों किया जो एक मित्र देश है। हालांकि अब ईरान और पाकिस्तान एक-दूसरे पर बलूचिस्तान के आतंकवादियों के विरुद्ध पर्याप्त कदम न उठाने का आरोप लगाते रहे हैं जबकि बलूचिस्तान 3 देशों ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में बंटा हुआ है जबकि 1947 में वह भारत में विलय चाहता था। बलोच आतंकवादी आधे पाकिस्तान और आधे ईरान में हैं तथा इनको प्रशिक्षित करने के ईरान और पाकिस्तान दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
चर्चा है कि ईरान का पाकिस्तान के साथ यह ‘फ्रंट’ क्या रूस के कारण बना है जिसके ईरान के साथ अत्यंत घनिष्ठ सम्बन्ध होने के कारण ईरान और पाकिस्तान में इतनी जल्दी सुलह हो गई है? या फिर चीन भी इसमें शामिल है क्योंकि वह दोनों से अच्छे रिश्ते रखता है और चीन नहीं चाहता है कि दुनिया का ध्यान इसराईल और फिलिस्तान से हटे और देखना है कि यदि लाल सागर के क्षेत्र में टकराव बढ़ता है तो क्या रूस भी इसमें ईरान के पक्ष में कूदेगा? क्या यह विवाद और भड़केगा या सुलझ जाएगा? इसका जवाब तो समय ही देगा!