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मस्क की कठपुतली ‘ग्रोक’ पर भारत में रोक लगाना मुश्किल

Edited By ,Updated: 25 Mar, 2025 05:51 AM

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कुछ सालों तक एलेक्सा से खेलने के बाद अब भारतीयों को ग्रोक नाम का नया विदेशी खिलौना मिल गया है। ‘ट्विटर’ जिसे अब ‘एक्स’ कहते हैं, के मालिक एलन मस्क की कम्पनी ने ए.आई. के इस चैट-बॉट को बनाया है। गूगल का जैमिनी, ओपन ए.आई. का चैट-जी.पी.टी., फेसबुक का...

कुछ सालों तक एलेक्सा से खेलने के बाद अब भारतीयों को ग्रोक नाम का नया विदेशी खिलौना मिल गया है। ‘ट्विटर’ जिसे अब ‘एक्स’ कहते हैं, के मालिक एलन मस्क की कम्पनी ने ए.आई. के इस चैट-बॉट को बनाया है। गूगल का जैमिनी, ओपन ए.आई. का चैट-जी.पी.टी., फेसबुक का मेटा आई और चीन का डीप-सीक भारत के बाजार में कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। उस लिहाज से फ रवरी 2025 में लांच ग्रोक के तीसरे वर्जन की लोकप्रियता और सफलता अप्रत्याशित है। 

पहले इसका इस्तेमाल भुगतान से प्रीमियम ग्राहक ही कर सकते थे। लेकिन प्रोडक्ट्स की मार्कीटिंग में उस्ताद मस्क ने ग्रोक को  आम यूजर्स के लिए खोलकर एक महीने में ही खूब चॢचत बना दिया है। भारत में ‘एक्स’ के 3 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के साथ अन्य लोग वैबसाइट के माध्यम से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी लोकप्रियता के 3 बड़े कारण हैं, पहला, यह वास्तविक समय के अनुसार नवीनतम जानकारी और जवाब देता है। दूसरा, सुपर कम्प्यूटर के माध्यम से तीसरे वर्जन की स्पीड 10 गुना बढऩे से इसके त्वरित जवाब लोगों को बहुत पसंद आ रहे हैं। तीसरा, दूसरे ए.आई. प्लेटफार्म जिन बातों का जवाब देने से बचते हैं, उनका व्यंग्यपूर्ण और मजाकिया शैली में ग्रोक जवाब देता है। लेकिन कविता, कहानी या लेख लिखने के लिए चैट जी.पी.टी. और तकनीकी, कोडिंग और गणित के सवालों के जवाब के लिए डीप सीक को अभी भी बेहतर चैटबॉट प्लेटफार्म माना जाता है।

मस्क की कठपुतली: सरकार समर्थक और विरोधी खेमे में धु्रवीकरण वाले भारतीय मीडिया में तथ्य, तर्क, विवेक और संतुलन के अभाव की वजह से ग्रोक को कई लोग जागरूक मीडिया का विकल्प मानने लगे हैं। उनके अनुसार ग्रोक से कड़वे सच उजागर हो रहे हैं। लेकिन इसे सरकार का आलोचक या लोकतंत्र का रक्षक मानने की बजाय इस हकीकत को समझने की जरूरत है कि ग्रोक दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी का मार्कीटिंग टूल है। कड़वी हकीकत यह भी है कि ग्रोक की कठपुतली के ऑप्रेटिंग सिस्टम और पूर्वाग्रहों को अमरीका में बैठे कारोबारी मिनटों में बदल सकते हैं। इसलिए इसकी सफ लता के पीछे के बिजनैस मॉडल को समझने की जरूरत है। दरअसल ग्रोक इंटरनैट में उपलब्ध अपडेटेट रियल टाइम जानकारी और डाटा के अनुसार सटीक जवाब देता है। ग्रोक यूजर्स के ‘एक्स’ की पोस्ट, लोगों की प्रोफाइल और लिंक का तुरंत विश्लेषण कर सकता है। प्रोसैसिंग के हर चरण में डीप सर्च जैसे टूल्स की मदद से रीजनिंग के इस्तेमाल से यह अपनी गलतियों को सुधार कर जवाब को बेहतर बनाता है। ग्रोक की भाषा अनफिल्टर्ड है इसलिए यह गुस्से, गाली या मजाक वाले कई सवालों का स्लैंग और छिछोरे लहजे में जवाब देता है। ‘एक्स’ के यूजर्स ग्रोक के इस्तेमाल से सोशल मीडिया में सीधी बहस कर सकते हैं, इसलिए यह बहुत तेजी से भारत में लोकप्रिय हो रहा है।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ट्विटर के साथ कई विवाद हुए थे। ट्विटर के सी.ई.ओ. के खिलाफ पुलिस में एफ..आई.आर. भी दर्ज हो गई थी। आई.टी. मंत्री ने ट्विटर के सेफ हार्बर सुरक्षा कवच को हटाने की धमकी भी दी थी। लेकिन उसके बाद ट्विटर का स्वामित्व मस्क के पास आ गया जिन्होंने इसका नामकरण ‘एक्स’ कर दिया। गूगल, एमाजॉन और मेटा जैसी कम्पनियां पुलिस और सुरक्षा एजैंसियों को सहयोग प्लेटफॉर्म के माध्यम से जानकारी देती हैं। लेकिन ‘एक्स’  सरकार की एजैंसियों के साथ सहयोग करने से इंकार कर रही है। टैक्स कम्पनी ने कनार्टक हाईकोर्ट में भारत सरकार के सहयोग प्लेटफार्म और आई.टी. कानून की धारा-79 (3)(बी)को चुनौती देकर आक्रामक रवैया अपनाया है। भारत में रोकना मुश्किल: आई.टी. मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया है कि अपशब्दों का इस्तेमाल करने के लिए ग्रोक की कम्पनी को सरकार ने नोटिस जारी किया है। आई.टी. नियमों के अनुसार ग्रोक की कम्पनी को भारत में इंटरमीडियरी का कानूनी दर्जा मिला है। उसके अनुसार उसे शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करने के साथ भारत के कानून का पालन करना जरूरी है। भारत या फि र अमरीका में, ग्रोक के लिए सरकार ने किसे नोटिस जारी किया है?

ऑनलाइन पोर्नोग्राफी, सट्टेबाजी और ओ.टी.टी. के हिंसक कंटैंट को रोकने की बजाय सरकार ग्रोक के मनमौजीपन पर लगाम कसने का दिखावा कर रही है। लेकिन वर्तमान में कानूनी सिस्टम के तहत व्यापारिक माहौल में ग्रोक को भारत में ब्लॉक करना मुश्किल है। मस्क के सैटेलाइट इंटरनैट के भारत में कारोबार के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी अनेक आपत्तियां जाहिर की थीं। अब  लाइसैंस मिले बगैर एयरटेल और जियो के कंधे पर चढ़कर मस्क की स्पेस एक्स कम्पनी भारत के कारोबार में प्रवेश कर रही है। टैरिफ वार के नए युग में ग्रोक जैसे विदेशी खिलौनों के कारोबार से भारत को बड़े पैमाने पर आमदनी हो सकती है। ग्रोक की भाषा यदि आपत्तिजनक है तो उसके साथ पॉर्नोग्राफी,एडल्ट कॉमेडी और ओ.टी.टी. के ङ्क्षहसक और अश्लील कंटैंट के खिलाफ  भी भारत सरकार को ठोस कार्रवाई करनी होगा।-विराग गुप्ता(एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट) 
 

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