Edited By ,Updated: 26 Jun, 2023 07:43 AM
यह - एक कटु वास्तविकता है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से पीड़ित व्यक्ति को पारिवारिक व सामाजिक अलगाव और लोगों की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। इससे निश्चित रूप से उन्हें बहुत मानसिक और शारीरिक कष्ट और आघात पहुंचता है। वे आवश्यक मदद से भी वंचित रह...
यह - एक कटु वास्तविकता है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से पीड़ित व्यक्ति को पारिवारिक व सामाजिक अलगाव और लोगों की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। इससे निश्चित रूप से उन्हें बहुत मानसिक और शारीरिक कष्ट और आघात पहुंचता है। वे आवश्यक मदद से भी वंचित रह जाते हैं। इससे उनका और उनके परिवारों का जीवन दयनीय और कठिन बन जाता है, इसलिए, नशीली दवाओं से छुटकारा पाने की नीतियों के लिए एक जन-केंद्रित सोच की आवश्यकता है, जो मानव अधिकारों और करुणा पर लक्षित हो।
इस वर्ष का विश्व ड्रग दिवस, मादक पदार्थों का उपयोग करने वाले लोगों, उनके परिवारों पर लगने वाले कलंक, भेदभाव के नकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने, ड्रग्स का उपयोग करने वाले लोगों में एड्स और हैपेटाइटिस महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इन रोगों के रोकथाम कार्यक्रमों का विस्तार करने पर केंद्रित है। इनमें ड्रग्स का उपयोग करने वाले सभी लोगों के लिए साक्ष्य-आधारित, स्वैच्छिक सेवाओं को बढ़ावा देना; नशीली दवाओं के उपयोग के विकारों, उपलब्ध उपचारों और शीघ्र हस्तक्षेप और सहायता के महत्व के बारे में शिक्षित करना; नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों जैसे समुदाय-आधारित उपचार और सेवाओं के लिए कारावास के विकल्पों का समर्थन; भाषा और व्यवहार को बढ़ावा देकर नशे से जुड़े कलंक और भेदभाव का मुकाबला करना शामिल है।
आइए, एक बार वैश्विक स्तर पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग की भयावहता पर एक नजर डालें। यू.एन. आफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यू.एन.ओ.डी.सी.) की वल्र्ड ड्रग रिपोर्ट-2022 के अनुसार, 2020 में दुनिया भर में 15-64 आयु वर्ग के लगभग 28$ 40 करोड़ लोग नशीली दवाओं का उपयोग कर रहे थे, जो पिछले दशक की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार और अधिक युवा अधिक मादक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, कई देशों में इनका उपयोग पिछली पीढ़ी की तुलना में बढ़ गया है।
इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 1$12 करोड़ लोग ड्रग्स के इंजैक्शन का उपयोग कर रहे थे। 2018 के दौरान एम्स नैशनल ड्रग डिपैंडैंस ट्रीटमैंट सैंटर (एन.डी.डी.टी.सी.) गाजियाबाद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि भारत में मादक पदार्थों के उपयोग और रुझान के अनुसार, 10-17 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों में शराब, भांग, अफीम, इनहेलेंट, कोकीन और कई प्रकार के उत्तेजक (ए.टी.एस.) और मतिभ्रम दवाआें का सेवन 6$ 06 प्रतिशत है जबकि 18 से 75 वर्ष की आयु के 24$.71 प्रतिशत वयस्क इसमें लिप्त पाए गए। नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और उन्हें नशीली दवाओं के दलदल से बाहर निकालने में मदद करने की सामूहिक जिम्मेदारी हम सब की है। यदि प्रत्येक हितधारक इस संबंध में किए जा रहे सरकारी प्रयासों में सहयोग करे तो इनसे मुकाबला करना आसान हो जाएगा।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत भारत सरकार नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एन.ए.पी.डी.डी.आर.) के अनुसार एक योजना लागू कर रही है, जिसके अंगर्गत निवारक शिक्षा और जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण, कौशल विकास के लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। नशीली दवाआें के व्यसन से पीड़ितों के लिए विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण और आजीविका में सहयोग हेतु 2020-21 के दौरान एन.ए.पी.डी.डी.आर. के तहत 285590 लाभार्थी थे। अधिकांश लाभार्थी आंध्र प्रदेश (15295), दिल्ली (17019), हरियाणा (6940), हिमाचल प्रदेश (12619), मय प्रदेश (28929), पंजाब (9555), राजस्थान (22103), तेलंगाना (6620), उत्तर प्रदेश (16503) और पश्चिम बंगाल (7639) से थे।
इसी तरह, नशामुक्त भारत अभियान (एन.बी.एम.ए.) अगस्त 2020 में शुरू किया गया था, जिसके तहत महिलाओं, बच्चों, शैक्षणिक संस्थानों, नागरिक समाज संगठनों आदि जैसे हितधारकों की भागीदारी पर विशेष जोर दिया गया है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मादक पदार्थों के उपयोग से प्रभावित हो सकते हैं। अब तक जमीनी स्तर पर की गई विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 12 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचा जा चुका है। 4 हजार से अधिक युवा मंडल, नेहरू युवा केंद्र (एन.वाई.के.) और एन.एस.एस. स्वयंसेवक, युवा मंडल भी नशा मुक्त भारत अभियान से जुड़े हुए हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों और आशा कार्यकत्र्ताआें, ए.एन.एम., महिला मंडलों और महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से एक बड़े समुदाय तक पहुंचने में 2$05 करोड़ से अधिक महिलाओं का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है। नशा मुक्त भारत अभियान के तहत देश भर में अब तक 1$19 लाख से अधिक शैक्षणिक संस्थानों ने छात्रों और युवाओं को मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में शिक्षित करने के लिए गतिविधियां आयोजित की हैं।
हरियाणा राज्य में मादक पदार्थों की लत को जड़ से समाप्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (1985 का केन्द्रीय अधिनियम-61) के अंतर्गत नियम अधिसूचित किए गए हैं। ये नियम हरियाणा नशामुक्ति केन्द्र नियम-2010 कहे जाते हैं। इन नियमों के नियम-6 के अंतर्गत प्रावधान अनुसार अनुज्ञप्ति प्राप्त करके ही हरियाणा राज्य में नशामुक्ति केन्द्रों का संचालन किया जा सकता है। विश्व मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाना केवल तभी सार्थक हो सकता है जब एक जागरूक समाज के रूप में हम सब एक साथ मिल कर इस बुराई के विरुद्घ सामूहिक प्रयास करें। अगर हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है तो हमें हर प्रकार के नशे को जड़ से उखाड़ फैंकना चाहिए। -बंडारू दत्तात्रेय(माननीय राज्यपाल, हरियाणा)
-