मान का बजट पंजाब के विकास पर ‘ब्रेक’ एवं आंकड़ों का मकडज़ाल

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2023 06:59 AM

mann s budget  brake  on the development of punjab and a web of figures

आज पूरा देश आजादी का अमृतकाल मना रहा है, देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास के नित्य नए आयाम लिख रहा है, देश दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

आज पूरा देश आजादी का अमृतकाल मना रहा है, देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास के नित्य नए आयाम लिख रहा है, देश दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। वहीं पंजाब में भाषण में वीरता दिखाने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट के रूप में पंजाब के विकास पर ब्रेक लगाने का तोहफा दिया है।भगवंत मान सरकार द्वारा पेश बजट ने तो ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ वाली कहावत को चरितार्थ किया है।

जिस प्रकार विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के भाषणवीरों ने बड़े-बड़े वायदे किए थे, उससे राज्य के लोगों को पंजाब सरकार के इस पहले बजट से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन आम आदमी पार्टी ने अपनी आदत के अनुसार लोगों को धोखा देते हुए इस बजट में सभी को ठगने के सिवाय कुछ नहीं किया। सब्जबाग दिखाने वाली पार्टी ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बजट ने सभी को निराश किया है। पंजाब की ‘आप’ सरकार की असलियत सबके सामने आ गई है कि इसकी कथनी और करनी में कोई मेल नहीं होता।

इस बजट में पंजाब सरकार की ओर से किसानों, मजदूरों, महिलाओं, व्यापारियों, युवाओं, छात्रों सहित सभी पंजाबियों के साथ धोखा किया गया है। भगवंत मान सरकार ने बजट में शिक्षा से खिलवाड़ किया है। 2022-23 में ‘स्कूल ऑफ एमिनैंस’ के लिए 100 स्कूलों को चुना था, उसमें भी अभी तक कुछ नहीं हुआ और अब इस वर्ष 2023-24 के बजट में नए 500 स्कूल जोडऩे की बजाय केवल 17 स्कूल जोड़कर भद्दा मजाक किया गया है। पिछले 13 महीनों में मान सरकार ने पायलट आधार पर अमृतसर के 4 स्कूलों में उन्नयन का काम शुरू किया।

पंजाबी विश्वविद्यालय में खुद स्टेज से सभी विद्याॢथयों को मुख्यमंत्री  भगवंत मान एवं वित्त मंत्री चीमा ने वायदा किया था कि 360 करोड़ रुपए वाॢषक अनुदान दिया जाएगा, पर उसे घटाकर 140 करोड़ कर दिया। विश्वविद्यालय बजट में इस तरह की कटौती व उदासीनता शिक्षक समुदाय के साथ आपराधिक मजाक है। इसी प्रकार स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ भी भद्दा मजाक किया जा रहा है।

भगवंत मान की सरकार ने मार्च 2022 को घोषणा की थी कि आई.आई.टी., मोहल्ला क्लिनिक इस वर्ष में स्थापित किए जाएंगे, फिर घोषणा की कि 75 मोहल्ला क्लिनिक 15 अगस्त, 2022 तक स्थापित किए जाएंगे और जनवरी, 2023 तक 400 क्लिनिक स्थापित किए जाएंगे और फिर हर गांव में मोहल्ला क्लिनिक स्थापित किया जाएगा, जो केवल घोषणा से ज्यादा कुछ नहीं।

विज्ञापन व फोटो दिखाने के लिए करोड़ों रुपए पंजाब की जनता की गाढ़ी कमाई के खर्च कर दिए गए। केंद्र के वर्तमान आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की मोहल्ला क्लिनिकों के नाम की ब्रांङ्क्षडग कर लीपापोती की जा रही है। प्रदेश की हैल्थ सॢवस का पैसा व्यर्थ खर्च किया जा रहा है, जबकि पंजाब कैंसर जैसी घातक बीमारी का मुख्य केंद्र बनकर उभरा है, पर सरकार का यह बजट इस पर चुप्पी साधे हुए है।

चुनाव के समय किसानों की कर्जमाफी का वायदा कर सत्ता में आने वाली भगवंत मान सरकार ने इस बजट में किसानों की कर्जमाफी की घोषणा तक नहीं की। चुनावी वायदों में ‘आप’ ने महिलाओं को प्रतिमाह 1000 रुपए देने का वायदा किया था लेकिन सरकार ने अपने पहले  बजट में ऐसी कोई घोषणा न करके महिलाओं का अपमान किया है। शहरों में समानता और समावेशिता के लिए 25,000 ई.डब्ल्यू.एस. घरों के निर्माण का आम आदमी पार्टी की सरकार ने कोई काम शुरू नहीं किया।

इस बजट में फिर से प्रधानमंत्री आवास योजना से 10,000 मकान बनाने का वादा कर यह सिद्ध किया कि विकास उसके बूते नहीं, केंद्र के भरोसे ही होगा। सबसे हास्यास्पद स्थिति तो यह है कि पंजाब सरकार के इस बजट में खर्च का ब्यौरा आमदनी के बिल्कुल विपरीत है। राजस्व व्यय पहले ही बजट से लगभग 10,000 करोड़ रुपए अधिक हो चुका है। यह वृद्धि पूंजीगत व्यय को गंभीर रूप से कम करने की कीमत पर हुई है, जो बजट अनुमान से लगभग 1,500 करोड़ रुपए कम है।

विशेष रूप से अगले वर्ष लागू की गई कुछ भारी कटौती के बारे में चिंतित, ग्रामीण विकास पर खर्च को 3,058 करोड़ रुपए से घटाकर 2,361 करोड़ रुपए कर दिया गया है, जो लगभग 25 प्रतिशत कम है। उद्योग और खनिजों पर खर्च 530 करोड़ रुपए से घटकर 454 करोड़ रुपए रह गया है। सरकार की विफलता इससे साफ हो रही है कि राज्य के पास न तो उद्योगों के लिए पैसा है और न ही ग्रामीण विकास के लिए। इस तरह के बजट से पंजाब का भला कैसे संभव है? कर्मचारियों की वेतन वृद्धि और वेतन बजट संशोधित अनुमानों से अधिक है।

सरकारी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर पहले से ही हड़ताल पर जा रहे हैं। पैंशनरों का भी बुरा हाल है। ब्याज लागत में करीब 2000 करोड़ रुपए की तेजी से बढ़ौतरी हुई है। ऐसी वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे राज्य को इस बजट से कोई उम्मीद नहीं रह गई है। बजट में टैक्स रैवेन्यू में बढ़ौतरी का दावा किया गया है लेकिन  संशोधित अनुमान बताते हैं कि वास्तव में यह बजट अनुमानों से कम है। पंजाब सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में अगर कुछ स्पष्ट है तो वह है इस बजट की अविश्वसनीयता। बजट में पारदॢशता की भारी कमी है।

एक तरफ जहां पूरे देश में इस वर्ष राजस्व में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, केंद्रीय करों के संशोधित अनुमान बजट अनुमानों से लगभग 3 लाख करोड़ रुपए या लगभग 10 प्रतिशत अधिक हैं, पंजाब का टैक्स बढऩा अभी दूर है। इससे स्पष्ट है कि या तो बजट अनुमान पहुंच से बाहर थे या राज्य अपने कार्य को एक साथ करने में विफल रहा है। पंजाब सरकार के अब तक के संग्रह के रुझानों को देखते हुए पंजाब बजट के संशोधित अनुमानों में दिखाए गए आंकड़े किसी भी सूरत में हासिल होने की संभावना नहीं दिख रही। -तरुण चुघ (राष्ट्रीय महामंत्री, भारतीय जनता पार्टी)

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