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नए बजट की बुनियाद है उपभोक्ता खर्च बढ़ाकर ‘सुस्ती’ दूर करना

Edited By ,Updated: 04 Feb, 2020 01:24 AM

new budgets to remove  lethargy  by increasing consumer spending

यकीनन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा 1 फरवरी को प्रस्तुत किया गया वर्ष 2020-21 का आम बजट क्रय शक्ति बढ़ाने वाला लोकलुभावन उदार बजट है। वर्ष 2020-21 का नया बजट 30.42 लाख करोड़ रुपए के आकार का है। इस बजट में 22.46 लाख करोड़ रुपए आमदनी प्राप्त...

यकीनन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा 1 फरवरी को प्रस्तुत किया गया वर्ष 2020-21 का आम बजट क्रय शक्ति बढ़ाने वाला लोकलुभावन उदार बजट है। वर्ष 2020-21 का नया बजट 30.42 लाख करोड़ रुपए के आकार का है। इस बजट में 22.46 लाख करोड़ रुपए आमदनी प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है तथा सरकार के द्वारा करीब 8 लाख करोड़ रुपए की उधारी ली जाएगी। यह भी अनुमानित किया गया है कि नॉमिनल जी.डी.पी. दर 10 फीसदी रहेगी तथा राजकोषीय घाटा जी.डी.पी. के 3.5 फीसदी रहेगा। इस नए बजट की बुनियाद में जो सबसे चमकीली बात उभरकर दिखाई दे रही है वह है उपभोक्ता खर्च बढ़ाकर आर्थिक सुस्ती दूर करना। 

नि:संदेह यह बजट मुश्किलों के दौर से गुजरते हुए विभिन्न वर्गों की उम्मीदों को पूरा करते हुए दिखाई दे रहा है। इस बजट से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा। यद्यपि नए बजट के तहत आयकर की नई छूटों, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य व जनकल्याणकारी योजनाओं से करोड़ों लोगों को मुस्कुराहट मिलते हुए दिखाई दे रही है लेकिन उद्योग, कारोबार एवं शेयर बाजार को इस बजट से मुस्कुराहट नहीं मिली है। 

गौरतलब है कि नए बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जी.डी.पी. के 3.5 प्रतिशत निर्धारित किया है, इससे अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी धनराशि अतिरिक्त खर्च करने की गुंजाइश बढ़ गई है। ऐसे में निश्चित रूप से वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण नए बजट को प्रस्तुत करते हुए प्रोत्साहनों का ढेर लगाने के लिए खजाना खोलते हुए दिखाई दी हैं। नया बजट सबसे अधिक खेती और किसानों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे रहा है। कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए तीन लाख करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। 

कहा गया है कि यह बजट 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। बजट में किसानों के लिए 16 बड़े ऐलान किए गए हैं। जो ऐलान किए गए हैं उसके तहत 100 जिलों में पानी की व्यवस्था के लिए बड़ी योजना चलाई जाएगी ताकि किसानों को पानी की दिक्कत न आए। पी.एम. कुसुम स्कीम के जरिए किसानों के पम्प को सोलर पम्प से जोड़ा जाएगा। इस योजना में 20 लाख किसानों को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा 15 लाख किसानों के ग्रिड पम्प को भी सोलर से जोड़ा जाएगा। देश में मौजूद वेयर हाऊस, कोल्ड स्टोरेज को नाबार्ड अपने अंडर में लेगा और नए तरीके से इसे डिवैल्प किया जाएगा। देश में और अधिक वेयर हाऊस तथा कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे। इसके लिए पी.पी.पी. मॉडल अपनाया जाएगा। 

वित्तमंत्री ने आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए ग्रामीण मांग में सुधार के कई कदम नए बजट में आगे बढ़ाए हैं। महिला किसानों के लिए धन्य लक्ष्मी योजना का ऐलान किया गया है, जिसके तहत बीज से जुड़ी योजनाओं में महिलाओं को मुख्य रूप से जोड़ा जाएगा। कृषि उड़ान योजना को शुरू किया जाएगा। इंटरनैशनल, नैशनल रूट पर इस योजना को शुरू किया जाएगा। दूध, मांस, मछली समेत जल्दी खराब होने वाले उत्पादों के लिए विशेष रेल भी चलाई जाएगी। किसानों के लिए एक जिले, एक प्रोडक्ट पर फोकस किया जाएगा। जैविक खेती के जरिए ऑनलाइन मार्कीट को बढ़ाया जाएगा। दूध के प्रोडक्शन को दोगुना करने के लिए सरकार की ओर से योजना चलाई जाएगी। मनरेगा के अंदर चारागार को जोड़ा जाएगा। ब्लू इकॉनोमी के जरिए मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा, साथ ही फिश प्रोसैसिंग को भी बढ़ावा दिया जाएगा। 

वित्तमंत्री ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि (पी.एम. किसान) के लिए अतिरिक्त धन आबंटित किया है। सरकार ने किसान क्रैडिट कार्ड के जरिए संस्थागत ऋण प्रणाली के दायरे में अधिक किसानों को लाने का प्रयास किया है। वित्तमंत्री ग्रामीण क्षेत्र के आॢथक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उपायों के साथ-साथ कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विकास के माध्यम से बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने वाले कामों को प्रोत्साहन देते हुए दिखाई दी हैं। 

चूंकि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक जनवरी 2020 को घोषणा कर चुकी हैं कि सरकार आगामी पांच वर्षों में बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं में 102 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगी। ऐसे में वित्तमंत्री नए बजट के तहत बंदरगाहों, राजमार्गों और हवाई अड्डों के निर्माण पर व्यय बढ़ाते हुए दिखाई दी हैं। निर्मला सीतारमण ने बजट में ऐलान किया कि 2500 किलोमीटर एक्सप्रैस हाईवे, 9000 किलोमीटर इकोनॉमिक कॉरिडोर, 2000 किलोमीटर स्ट्रैटेजिक हाईवे बनाए जाएंगे। ये काम 2024 तक पूरे होंगे। वहीं, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रैस वे, चेन्नई-बेंगलुरू एक्सप्रैस जल्दी बनकर तैयार होगा। 

नि:संदेह नए बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, छोटे उद्योग-कारोबार और कौशल विकास जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों के लिए बजट आबंटन बढ़ते हुए दिखाई दिया है। नए बजट में नई शिक्षा नीति पर बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जल्द नई शिक्षा नीति को लागू किया जाएगा। बजट में शिक्षा के लिए 99 हजार 300 करोड़ रुपए तथा कौशल विकास के लिए 3000 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। नए बजट में स्वरोजगार और स्टार्टअप के लिए आकर्षक प्रावधान किए गए हैं। 

नए केन्द्रीय बजट 2020-21 के तहत वित्तमंत्री देश के छोटे आयकरदाताओं, नौकरीपेशा (सैलरीड) और मध्यम वर्ग के अधिकांश लोगों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दी हैं। वित्तमंत्री ने नए बजट में इंकम टैक्स का कायापलट कर दिया है। अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए टैक्स स्लैब को बदला गया है। नए बजट के तहत टैक्स स्लैब को 6 स्लैबों में बांटा गया है। पहली स्लैब के तहत 5 लाख तक की कमाई पर कोई  टैक्स नहीं है। दूसरी स्लैब के तहत 5 से 7.5 लाख तक की कमाई पर 10 फीसदी टैक्स है। तीसरी स्लैब के तहत 7.5 से 10 लाख रुपए तक की कमाई पर 15 फीसदी टैक्स है। चौथी स्लैब के तहत 10 से 12.5 लाख तक की कमाई पर 20 फीसदी टैक्स है। 5वीं स्लैब के तहत 12.5 से 15 लाख तक की कमाई पर 25 फीसदी टैक्स है। छठी स्लैब के तहत 15 लाख और अधिक की कमाई पर 30 फीसदी टैक्स है। हालांकि, सरकार ने इंकम टैक्स स्लैब में बदलाव शर्तों के साथ किया है। नए बदलाव के तहत टैक्स में छूट लेने के लिए आपको निवेश पर मिलने वाली छूट का लाभ छोडऩा होगा। अगर आप निवेश में छूट लेते हैं, तो टैक्स की पुरानी दर ही मान्य होगी। इस प्रकार कहा जा सकता है कि यह बजट छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग के लिए लाभप्रद है। 

नि:संदेह पूरा देश विभिन्न उभरती हुई आर्थिक चुनौतियों से राहत पाने की आस में नए बजट की ओर टकटकी लगाकर देख रहा था। ऐसे में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2020-21 के नए बजट के समक्ष दिखाई दे रही आर्थिक एवं वित्तीय चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचा और रोजगार बढ़ाने वाली सार्वजनिक परियोजनाओं पर जोरदार आबंटन बढ़ाते हुए दिखाई दी हैं लेकिन जिस तरह से अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर में है उसके लिए यदि वित्तमंत्री कुछ और अधिक राजकोषीय प्रोत्साहन देने की डगर पर आगे बढ़तीं तो उद्योग-कारोबार तथा शेयर बाजार को भी मुस्कुराहट दी जा सकती थी। साथ ही विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के लिए कुछ और अधिक आबंटन किया जा सकता था और ऐसे में यदि राजकोषीय घाटा निर्धारित लक्ष्य से बढ़ते हुए यदि जी.डी.पी. के 4 फीसदी तक भी आगे बढ़ता तो भी वह आर्थिक सुस्ती से निपटने का एक संपूर्ण प्रयास दिखाई देता। 

निश्चित रूप से नए बजट की सबसे बड़ी चुनौती बजट में बताए गए साहसिक लक्ष्यों के क्रियान्वयन की है। नए बजट में रखा गया ऊंची विकास दर का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है। साथ ही यह लक्ष्य भी चुनौतीपूर्ण है कि वर्ष 2024-25 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ डॉलर का आकार ग्रहण कर लेगी। यह लक्ष्य भी चुनौतीपूर्ण है कि नए बजट के तहत 2.1 लाख करोड़ रुपए सरकार विनिवेश से प्राप्त कर लेगी। फिर भी यह कहा जा सकता है कि नए वित्तीय वर्ष की शुरूआत से ही सफल क्रियान्वयन पर ध्यान देने से देश आर्थिक सुस्ती से निपटने की डगर पर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा।-डा. जयंतीलाल भंडारी
 

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