तनावपूर्ण ‘भारत-पाक’ संबंधों में शांति के आसार नहीं

Edited By ,Updated: 03 Sep, 2019 03:00 AM

no hope of peace in strained  indo pak  relations

पड़ोसी या दुश्मन। भारत और पाकिस्तान दोनों के संबंध एक दोलन की तरह हैं और ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि राजनीतिक हवा किस ओर बहती है। वर्तमान में दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं तथा भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपने रुख पर अड़े हुए हैंं कि हमारे...

पड़ोसी या दुश्मन। भारत और पाकिस्तान दोनों के संबंध एक दोलन की तरह हैं और ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि राजनीतिक हवा किस ओर बहती है। वर्तमान में दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं तथा भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपने रुख पर अड़े हुए हैंं कि हमारे मामलों में हस्तक्षेप न करें। 

क्या जम्मू-कश्मीर राज्य के जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख दो संघ राज्य क्षेत्रों में विभाजन के बाद भारत-पाक संबंध कभी सामान्य हो पाएंगे? इस विभाजन के बाद कश्मीर के बारे में वार्ता की दिशा ही बदल गई है और इसके चलते पाकिस्तान ने भारत के साथ कूटनयिक संबंधों का स्तर नीचे किया, द्विपक्षीय व्यापार निलंबित किया और अपने हवाई क्षेत्र में एक कॉरीडोर को बंद कर दिया। इसका सबसे बड़ा प्रभाव यह पड़ा कि दोनों देशों के बीच गुफ्तगू की संभावनाएं समाप्त हो गईं। 

भारत का कहना है कि कश्मीर के संबंध में पाक-अधिकृत कश्मीर, जिसमें गिलगित और बाल्टिस्तान भी शामिल हैं, के अलावा कोई बकाया मुद्दा नहीं है। मोदी ने खेल के नियम ही बदल दिए और वह भारत की पाकिस्तान नीति को नए सिरे से निर्धारित कर रहे हैंं। लगता है वह दंड देकर प्रतिरोध की रणनीति अपना रहे हैं जिसका तात्पर्य है कि यदि पाकिस्तान कभी भी उकसावे की कार्रवाई करता है तो उसे इसकी कीमत अदा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

इसका अर्थ है कि यदि पाकिस्तान यह समझता है कि भारत के विरुद्ध उसके दुस्साहस के कारण उसे कीमत अदा करनी पड़ेगी तो शायद वह अपनी हरकतों से बाज आएगा और इस जटिल कूटनयिक कॉकटेल में परम्परागत मध्यस्थता की गुंजाइश नहीं है। इसलिए पाकिस्तान के साथ संबंधों के शीघ्र सामान्य होने की कोई संभावना नहीं है। प्रश्न यह भी उठता है कि क्या मोदी द्वारा इस क्षेत्र में भारत की सर्वोच्चता स्थापित करने की नीति का पाकिस्तान के पास समुचित कूटनयिक उत्तर है? अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है क्योंकि वह हमेशा से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में अड़चन बनता रहा है। वह दुष्प्रचार कर सकता है किंतु उसके पास ठोस नीति नहीं है इसलिए इस बात की संभावनाएं भी कम हैं कि भारत द्वारा उसे अलग-थलग करने के बाद वह अपनी नीति में बदलाव लाएगा। 

हताशा और घरेलू दबाव
पाकिस्तान में राजनीतिक हताशा और घरेलू दबाव के कारण वह कश्मीर के बारे में भारत के एकपक्षीय निर्णय का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का प्रयास कर रहा है और उसने चेतावनी दी है कि इन अवैध कदमों के बारे में वह हर संभव विकल्प का प्रयोग करेगा। वह घाटी में उत्पात पैदा कर सकता है, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है, किंतु यह जोखिमपूर्ण हो सकता है क्योंकि जिहादी तत्वों को समर्थन देने से भारत संयुक्त राष्ट्र वित्तीय कार्यबल में पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा सकता है और साथ ही भारत बदले की कार्रवाई कर सकता है तथा पाकिस्तान की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखते हुए वह इसके समक्ष खड़ा नहीं रह पाएगा। 

पाकिस्तान के भावी कदमों के निर्धारण में तीन कारक मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। पहला, कश्मीर में कफ्र्यू और प्रतिबंधों की स्थिति कब तक बनी रहती है तथा उनको हटाने के बाद वहां पर विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं, जिन पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है और इससे आतंकवाद का एक नया दौर शुरू हो सकता है। पाकिस्तान अप्रत्यक्ष रूप से विरोध प्रदर्शनकारियों को हथियार और धन उपलब्ध करा सकता है जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ जाएगा। दूसरा, पाकिस्तान इस मुद्दे को वैश्विक मंचों पर उठाता रहेगा और कश्मीर मुद्दे पर भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार करता रहेगा। अब तक उसका यह अभियान असफल रहा है। केवल उसके बारहमासी मित्र चीन ने उसका समर्थन किया है, जबकि विश्व समुदाय पाकिस्तान को जेहादियों की फैक्टरी मानता है। वह सीमा पर गोलीबारी बढ़ा सकता है और अपना शक्ति प्रदर्शन करने के लिए अपनी पूर्वी सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा सकता है। पाकिस्तान ने पहले ही एक मिसाइल का परीक्षण किया है। 

तीसरा, संयुक्त राष्ट्र वित्तीय कार्यबल की सूची से निकाले जाने के बाद पाकिस्तान कितना सक्षम रह पाएगा? यह कार्यबल धन शोधन और आतंकवादियों को वित्त पोषण पर निगरानी रखता है और उसने 2018 में आतंकवादियों को वित्त पोषित करने के लिए पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाला है। यदि यह कार्यबल इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि अक्तूबर तक पाकिस्तान ने आतंकवादियों को वित्त पोषण को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं तो फिर उसे काली सूची में डाला जा सकता है जिससे निवेशक पाकिस्तान के साथ व्यापार करने से बचेंगे। यह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा जो पहले से भुगतान संतुलन के गंभीर संकट से गुजर रही है। इसलिए पाकिस्तान को आतंकवादियों के साथ सांठ-गांठ पर रोक लगानी होगी और कश्मीर में जेहादी भेजना बंद करना होगा।

परमाणु क्षमता की धौंस
असुरक्षित पाकिस्तान आॢथक संकट और आतंकवाद की फैक्टरी के कारण अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि से हाशिए पर जा सकता है तो दूसरी ओर भारत में राजनीतिक स्थिरता है और उसकी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है। पाकिस्तान मानता है कि भारत के साथ यथास्थिति स्वीकार करना उसकी हार है, इसलिए वह मानता है कि उसे भारत के साथ युद्ध करना चाहिए। इसके चलते पाक सेना अपनी परमाणु क्षमता की धौंस दिखाकर जानबूझ कर सैन्य जोखिम ले रहा है और भारत को उकसा रहा है। उसने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह कश्मीरियों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है। 

प्रश्न यह भी उठता है कि क्या मोदी सरकार के दौरान भारत की वर्चस्ववादी विदेश नीति के कुछ आक्रामक परिणाम मिलेंगे? प्रधानमंत्री ने खैबर पख्तूनखवा और बलोचिस्तान में पाकिस्तान की कमजोरी को उजागर किया है। गिलगित, बाल्टिस्तान सहित पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान की ज्यादतियों का पर्दाफाश किया है और सिंधु नदी जल बंटवारा संधि की समीक्षा के संकेत दिए हैं। अब तक इन विषयों पर हम सोच भी नहीं सकते थे और इस प्रकार उन्होंने दो कदम आगे, एक कदम पीछे तथा पिछले दरवाजे से बातचीत की नीति को त्याग दिया है जिसके चलते भारत भ्रमित और नरम बन गया था। किंतु यह हमें कहां ले जाएगा?

यह सच है कि विदेश मंत्रालय को पाकिस्तान की भारत नीति के बारे में नाटकीय बदलाव की अपेक्षा नहीं है किंतु आज चाहे पाकिस्तान युद्ध की धमकी दे किंतु वह हाशिए पर पहुंच गया है। विश्व समुदाय का उस पर विश्वास नहीं है और उसका स्वयं का मनोबल भी टूटा हुआ है। भारत की इस नई नीति में उसे विवेक और संयम से काम लेना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत-पाक रिश्ते उसके नियंत्रण में रहें और इसका एक उपाय इसराईल की रक्षा बलों की रणनीति अपनाना है जिसके अंतर्गत इसराईली सेनाएं अपने दुश्मनों को उससे कहीं अधिक नुक्सान पहुंचाती हैं जितना वे इसराईल को पहुंचाते हैं। इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई से अगले हमले की संभावनाएं कम होती हैं और दुश्मन की महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगता है। 

आगे कुआं, पीछे खाई
पाकिस्तान आज आगे कुआं, पीछे खाई की स्थिति में है। वहां के कठपुतली प्रधानमंत्री की डोर सेना के हाथों में है। वहां की मानसिकता सैनिक है और 1947 से ही इस मानसिकता को भारत-विरोध के आधार पर पोषित किया जा रहा है। भारत के संबंध में उसकी सेना, आई.एस.आई., नेता या नागरिक समाज कोई गलती नहीं करते हैं। शक्ति प्रदर्शन का यह शून्य-काटा का खेल और युद्ध की धमकियां तब तक जारी रहेंगी जब तक कश्मीर मुद्दे का समाधान नहीं होता है। कोई युद्ध नहीं चाहता है किंतु साथ ही भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि पाक प्रायोजित आतंकवाद और उसके आई.एस.आई. आकाओं को समुचित उत्तर दिया जाए। भारत और पाकिस्तान के बीच दीर्घकालीन संबंध कुछ सीमा तक भारत के रणनीतिक लक्ष्यों और उद्देश्यों द्वारा निर्धारित होंगे जिनमें क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा का वातावरण भी महत्वपूर्ण कारक होंगे। 

इस समीकरण का दूसरा पक्ष पाकिस्तान के नीतिगत लक्ष्य और इन संबंधों के बारे में उसका दृष्टिकोण होगा। निश्चित रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापना एक रणनीतिक आवश्यकता है क्योंकि दोनों ही परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र हैं और उन्हें अपनी ऊर्जा तथा संसाधनों को दोनों देशों में व्याप्त गरीबी उन्मूलन के लिए आॢथक विकास पर लगाना चाहिए। केवल इन कारकों से ही दोनों देशों के बीच स्थायी शांति और मैत्री नहीं हो सकती है। इस बात की पूरी संभावना है कि भारत-पाक संबंधों में बीच-बीच में तनाव बढ़ता जाएगा क्योंकि भारत दक्षिण एशिया में अपना वर्चस्व चाहता है और कश्मीर विवाद दशकों से लटका पड़ा है। इसलिए निकट भष्विय में दोनों देशों के बीच वास्तविक मैत्री की संभावनाएं नहीं हैं। 

दोनों देशों से यही अपेक्षा की जाती है कि वे तनाव को कम करें और पारस्परिक लाभ के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर सामान्य पड़ोसी देशों की तरह संबंध बनाएं। कुल मिलाकर कोई भी पक्ष, विशेषकर पाकिस्तान जो पहले ही आॢथक संकट से गुजर रहा है, संघर्ष का मार्ग अपनाएगा। किंतु साथ ही जब तक पाकिस्तान जिहादी मशीनरी को बंद नहीं कर देता तब तक शांति स्थापना की संभावना नहीं है। इसलिए वे शंाति स्थापना के जटिल मार्ग से भटक नहीं सकते हैं।-पूनम आई. कौशिश
 

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!