‘चीन के इंटरनैट पर प्रतिबंधों के बाद अब बारी है ब्लॉगर्स की’

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2021 04:38 AM

now it s the turn of bloggers after china s restrictions on internet

चीन ने पहले तो अपने देश में विदेशी इंटरनैट पर प्रतिबंध लगाया, बाद में विदेशी इंटरनैट के एप्लीकेशन्स को चोरी कर अपना देसी नाम दिया और अपने निवासियों से इसे इस्तेमाल करने को कहा, फिर उसने विदेशी इंटरनैट पर पूरी तरह पाबंदी लगा

चीन ने पहले तो अपने देश में विदेशी इंटरनैट पर प्रतिबंध लगाया, बाद में विदेशी इंटरनैट के एप्लीकेशन्स को चोरी कर अपना देसी नाम दिया और अपने निवासियों से इसे इस्तेमाल करने को कहा, फिर उसने विदेशी इंटरनैट पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी। लेकिन चीन इतने से ही संतुष्ट नहीं हुआ और अब वह एक कदम आगे निकल रहा है। अब चीन उन ब्लॉगरों के ऊपर प्रतिबंध लगाने जा रहा है जो राजनीति, विदेश नीति और आर्थिक नीतियों पर आलेख लिखकर इंटरनैट पर पोस्ट करते हैं। 

दरअसल चीन को इस बात का गहरा डर सता रहा है कि कहीं विदेशों में रहने वाले आम लोगों को मिलने वाली आजादी के बारे में पता न चल जाए। अगर वहां की आम जनता को सही मायनों में खुलेपन के बारे में पता चल गया तो यह लोग चीन सरकार से अपने लिए भी ऐसे ही खुले समाज की मांग कर सकते हैं जिसकी परिणति एक जनविद्रोह में हो सकती है और यह विद्रोह चीन सरकार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है, इसलिए चीन सरकार ने अपने देश में मीडिया को कसकर अपने चंगुल में पकड़ रखा है। 

अगले सप्ताह से साइबर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना अपने देश में रहने वाले ब्लॉगरों और उन लेखकों के लिए कानून बनाने जा रही है जिनसे ढेरों लोग प्रभावित होते हैं। सरकार ऐसा कानून लागू करने जा रही है जिससे ये सारे ब्लॉगर अपने आलेखों को पहले सरकार को दिखाएं उनसे अनुमति लें तब उसे अपने ब्लॉग पर पोस्ट करें। ताईवान के सन यात सेन विश्वविद्यालय के प्रोफैसर टिटुस छन ने कहा कि चीन सरकार इस कानून के माध्यम से पूरे चीन में सूचना तंत्र को अपने कब्जे में लेकर बुरी तरह प्रभावित करना चाहती है। 

शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन सरकार का यह कदम पहले से ही प्रतिबंधित सूचना कानून को और कसना चाहती है, चीनी तानाशाह शी ने डिजिटल संप्रभुता को अपने शासन की एक केंद्रीय अवधारणा बनाया है, जिसके तहत अधिकारियों ने सीमाएं तय की हैं और डिजिटल दायरे पर अपना शिकंजा कसा है। सरकार की नई नीति किसी भी व्यक्ति विशेष को इस बात की आज्ञा नहीं दे सकती है कि वो असल समाचार को अपने ब्लॉग पर पोस्ट नहीं कर सकते।

ब्लॉगर्स ने बताया कि किसी भी समाचार पर सरकारी मीडिया की टिप्पणी पोस्ट हो सकती है लेकिन टिप्पणीकार उस समाचार पर अपने वक्तव्य नहीं दे सकते हैं। साइबरस्पेस प्रशासन ने एक बयान पोस्ट किया जिसके मुताबिक, नीति में संशोधन का मतलब यह है कि सार्वजनिक स्तर पर जो कुछ भी पोस्ट किया जाए उसको लेकर लोग ज्यादा जागरूक रहें और सरकार ऐसे मंच को संचालित करना चाहती है। हालांकि चीन सरकार सोशल मीडिया पर और अधिक प्रतिबंध लगाना चाहती है। 

चीन सरकार ने जनवरी के अंत में ऑनलाइन पब्लिशिंग मीडिया के लिए जो कानून बनाए, प्रशासन ने पूरे देश में उसके महत्व पर कांफ्रैंस करवाना शुरू कर दिया, एजैंसी के प्रमुख त्सुआंग रोंगवन ने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया क्षेत्र पर अंकुश लगाने के लिए प्रबंधन को मजबूत करना बहुत जरूरी है। 

4 फरवरी को एजैंसी ने एक महीने की सफाई मुहिम की शुरूआत की घोषणा की जिसका लक्ष्य सर्च इंजन, सोशल मीडिया मंच और ब्राऊजर हैं, इस सफाई अभियान से इन अलग-अलग मंचों पर अगर कोई ऐसी सामग्री मिलती है जो चीन सरकार और देश के प्रशासन के लिए खतरा है तो उससे निपटने के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे। हालांकि चीन सरकार ने मीडिया को काबू में रखने के लिए इस तरह के कदम वर्ष 2017 से पहले भी उठाए थे लेकिन उन कदमों को लागू नहीं किया गया था। ऐसा लगता है कि इन नियमों को लागू करने के लिए कुछ मतभेदों के साथ सहमति बनाई जा रही है। 

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में डिजिटल सैंसरशिप के जानकार श्याओ छियांग ने कहा कि चीन सरकार के लिए ऐसा करना वाकई बहुत बड़ी बात है और यह एक बहुत बड़े स्तर पर चलाया जाने वाला अभियान है। छियांग ने आगे बताया कि ये वे लोग हैं जिन्होंने वाकई में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लिखा और ये लोग जानबूझकर ऐसे मुद्दों पर हाथ नहीं रख रहे हैं। माइक्रो ब्लॉग साइट सोहू ने जनवरी में सरकार का एक नोटिस दिखाया था जिसमें यह लिखा था कि जो लोग अपने नाम के साथ अपने बारे में कोई जानकारी नहीं देते हैं वो समसामयिक विषयों पर कुछ भी न लिखें। 

जिन विषयों पर लिखने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था उनमें मुख्य रूप से राजनीति, अर्थतंत्र, सेना की जानकारी, राजनयिक और जनता से जुड़े मुद्दे, सी.पी.सी. की बुराई करना, और देश के इतिहास की गलत जानकारी देना जैसे विषय शामिल थे, चीन में सबसे बड़े सर्च इंजन बाईदू पर भी यही नोटिस दिखाया गया था। इसका सीधा मतलब यह है कि सरकार नहीं चाहती कि कोई भी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट और सोशल मीडिया सरकार, सेना, अर्थतंत्र और राजनीति पर न लिखे। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इस नोटिस के बाद कितने लोग माइक्रो ब्लॉग पर बिना अपने नाम और अपनी जानकारी के कोई भी जानकारी छापेंगे। 

चीन सरकार अपना चेहरा बचाने के लिए यह कह रही है कि कोविड महामारी के दौरान सोशल मीडिया पर लोग चीन सरकार के खिलाफ लोगों को भड़का रहे हैं और उनमें असंतोष पैदा कर रहे हैं जिन्हें पकडऩे के लिए साइबर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन काम कर रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि चीन उन लोगों को पकड़ कर मुंह बंद कर रहा है जो लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से सच्चाई बता रहे हैं। 

इंटरनैट के जानकार श्याओ ने बताया कि इस कानून को देखने के बाद यही पता चलता है कि चीन सरकार अपने देश में सोशल मीडिया और माइक्रो ब्लॉगिंग पर भी प्रतिबंध लगा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष भी मीडिया पर इतनी पाबंदी लगाई गई थी कि कोई भी किसी तरह की जानकारी लोगों को नहीं दे सका। इन बातों से इतना तो तय है कि अब चीन में खुले तौर पर माइक्रो ब्लॉगिंग करने वालों और सोशल मीडिया पर लिखने वालों के दिन लद गए और इनपर चीन सरकार शिकंजा कसेगी जिससे चीन के लोगों को कोई भी ऐसी जानकारी हाथ न लगे जो सरकार की कलई खोलती हो। 

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