9 जुलाई को देशभर में भारत बंद और हड़ताल का ऐलान, 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और किसान होंगे शामिल

Edited By Updated: 08 Jul, 2025 08:58 AM

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9 जुलाई, बुधवार को पूरे देश में एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन देखने को मिल सकता है। जहां एक ओर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनें देशव्यापी हड़ताल पर जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ बिहार में विपक्षी महागठबंधन ने चक्का जाम का आह्वान किया है। करीब 25 करोड़...

नेशनल डेस्क:  9 जुलाई, बुधवार को पूरे देश में एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन देखने को मिल सकता है। जहां एक ओर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनें देशव्यापी हड़ताल पर जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ बिहार में विपक्षी महागठबंधन ने चक्का जाम का आह्वान किया है। करीब 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों और ग्रामीण मजदूरों के सड़कों पर उतरने की संभावना है। हड़ताल और विरोध प्रदर्शन का असर बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाएं, कोयला खनन, परिवहन, निर्माण और फैक्ट्री सेक्टर तक पड़ेगा, जिससे करोड़ों रुपये के आर्थिक नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

कौन कर रहा है हड़ताल और क्यों?
इस देशव्यापी हड़ताल का आयोजन 10 प्रमुख ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों ने किया है। इन यूनियनों में शामिल हैं: कर्मचारियों के भारत बंद में यूनियनों में एआईटीयूसी, एचएमएस, सीआईटीयू, आईएनटीयूसी, आईएनयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं। हालांकि, आरएसएस समर्थित भारतीय मजदूर संघ इस आंदोलन से दूर है। संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संगठनों के एक साझा मंच ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है, जिससे इसका असर शहरी ही नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में भी व्यापक हो सकता है।

क्या हैं हड़ताल की मुख्य मांगें?
प्रदर्शनकारी यूनियनों ने 17 सूत्रीय मांगपत्र सरकार को सौंपा था, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख मुद्दे शामिल हैं:
-श्रमिक अधिकारों में कटौती के खिलाफ विरोध
-नए श्रम कानून (Labour Codes) का विरोध, जिनके जरिए यूनियनों का प्रभाव घटाने की कोशिश हो रही है

काम के घंटे बढ़ाना और मजदूरी सुरक्षा कम करना
-निजीकरण और संविदा प्रणाली को बढ़ावा
-सरकारी नौकरियों में नई भर्तियों की मांग
-बेहतर वेतन और पेंशन की व्यवस्था
-बेरोजगारी की समस्या को गंभीरता से लेना
-श्रम सम्मेलन की नियमितता सुनिश्चित करना

किन क्षेत्रों पर पड़ेगा सीधा असर?
इस हड़ताल की वजह से कई जरूरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं:
बैंकिंग और बीमा सेवाएं
पोस्टल सिस्टम
कोयला और खनन क्षेत्र
राज्य परिवहन और बस सेवाएं
हाईवे निर्माण और निर्माण सेक्टर
फैक्ट्रियों और कारखानों में उत्पादन
हिंद मजदूर सभा के वरिष्ठ नेता हरभजन सिंह सिद्धू के अनुसार, इस हड़ताल का असर कई राज्यों की सार्वजनिक सेवाओं पर व्यापक रूप से दिखेगा।

 बिहार में चक्का जाम: विपक्ष ने भी मोर्चा खोला
-बिहार में हड़ताल के साथ ही राजनीतिक विरोध भी उभर कर सामने आया है। यहां विपक्षी महागठबंधन — जिसमें राजद, कांग्रेस, वाम दल और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं — ने बिहार बंद का ऐलान किया है।
-इस आंदोलन का कारण है — चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया, जिसे विपक्ष ने 'वोटबंदी' करार दिया है।
-कांग्रेस नेता राहुल गांधी खुद पटना में विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।
-राजद नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने SIR प्रक्रिया को पक्षपाती बताया है।
-पप्पू यादव जैसे जननेता भी इस बंद को समर्थन दे रहे हैं।

 बंद और हड़ताल से क्या होंगी परेशानियां?
-माल ढुलाई और सार्वजनिक परिवहन पर असर पड़ सकता है।
-राज्य परिवहन की बसें, शहरों की लोकल ट्रैफिक और रेल सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
-आम यात्रियों और दैनिक यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
-हालांकि, आपातकालीन सेवाएं (जैसे ऐंबुलेंस, अस्पताल, पुलिस) इस बंद से अछूती रहेंगी।

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