'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पांच साल'

Edited By ,Updated: 13 Jan, 2021 11:05 AM

pradhanmantri fasal bima yojana

क‍ृषि प्रधान भारत में मानसून की अनियमितता से सम्पूर्ण फसल चक्र से अपेक्षित उपज  का अनुमान लगाना लगभग असंभव हो जाता है। भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास के लिए एवं कृषक समुदाय को आपदा के प्रभाव से बचाव के लिए फसल बीमा के रूप में जोखिम साधन...

क‍ृषि प्रधान भारत में मानसून की अनियमितता से सम्पूर्ण फसल चक्र से अपेक्षित उपज  का अनुमान लगाना लगभग असंभव हो जाता है। भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास के लिए एवं कृषक समुदाय को आपदा के प्रभाव से बचाव के लिए फसल बीमा के रूप में जोखिम साधन देना अति आवश्यक है। 
2014  में हमारी सरकार आने के बाद, किसानों को उच्च प्राथमिकता देते हुए उनकी  फसल नुकसान से सुरक्षा हेतु और उस समय की फसल बीमा योजनाओं की विसंगतियों में सुधार कर किसान हितैषी ‘वन नेशन - वन स्कीम’  के स्वरूप  प्रधानमंत्री फसल  बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.) को 13 जनवरी 2016 को मंजूरी दी। लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में  योजना को अप्रैल 2016 में लागू कर दिया। भारत के किसानों को एक समान न्यूनतम प्रीमियम देते हुए , पारदॢशता, तकनीक का व्यापक उपयोग , समयबद्ध शिकायत निवारण प्रणाली के साथ इस योजना को अधिक प्रभावी बनाया गया है।    

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों का व्यापक हित ध्यान में रखते हुए लचीलापन लाते हुए निरन्तर सुधार किया जा रहा है। अब योजना के अंतर्गत नामांकन सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक है और बीमा कम्पनियों की अधिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करते हुए राज्यों के साथ उनके क्रियान्वयन अवधि को तीन वर्षों के लिए अनिवार्य किया है। किसानों के साथ सतत संवाद स्थापित करने हेतु बीमा कम्पनियां ब्लॉक स्तर पर कार्यालय खोल रही हैं।  प्रचार - प्रसार  गतिविधियों को अधिक प्रभावी  करने के लिए, बीमा कम्पनियों द्वारा कुल प्रीमियम के 0.5 प्रतिशत राशि को किसानों की व्यापक जागरूकता के  लिए निर्धारित  किया गया  है ।  किसानों को फसल नुकसान के अनुपात में दावों को सुनिश्चित करने के लिए बीमित राशि को फसल उत्पादन मूल्य के बराबर किया है। इस योजना के कार्यान्वयन को विकेन्द्रित करते हुए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को अतिरिक्त जोखिम कवर चुनने का विकल्प दिया है। पूर्वोत्तर राज्यों को इस योजना से जुडऩे के लिए उनका राज्यांश 50:50  से  बढ़ाकर अब 90:10 कर दिया है।  

 

देश के करोड़ों सीमांत एवं लघु  किसानों  को इस योजना से जोडऩा, उनके सभी रिकॉर्ड्स को संभालना , ऐसे किसानों की समस्याओं का समाधान  करना और  योजना का संचालन करते समय सभी हितधारकों के क्रियाकलापों को ससमय जोडऩा आदि काम एक पोर्टल के बिना नहीं हो सकते थे। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए करोड़ों किसानों को  1.7  लाख से अधिक बैंक  शाखाओं तथा  44  हजार से अधिक सी.एस.सी. ( जनसेवा केंद्र) को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर एक साथ लाया गया है।  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अधिक पारदर्शी कार्यान्वयन के लिए 2017 से आधार संख्या के माध्यम से पंजीकरण अनिवार्य करने से किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान किया जा रहा है। इस क्रांतिकारी  पहल से फर्जी  लाभाॢथयों को हटाने में और आधार द्वारा सत्यापन से पात्र किसानों  के दावों का भुगतान किया जा रहा है। खरीफ  2016 में योजना के शुभारंभ से  खरीफ 2019  तक किसानों ने प्रीमियम के रूप में 16,000 करोड़ रूपए का भुगतान किया, जबकि फसलों के नुकसान के दावों  के रूप में उन्हें  86,000 करोड़ रुपए मिल चुके हैं अर्थात् किसानों को प्रीमियम राशि के मुकाबले  पांच गुना से भी अधिक राशि दावों के रूप में मिली है। उदाहरण स्वरूप किसानों द्वारा प्रीमियम के रूप में भुगतान  किए हर 100 रुपए  के विरुद्ध , उन्हें दावों के रूप में 537 रुपए प्राप्त हुए हैं।

 

इस योजना के अंतर्गत  पिछले पांच वर्षों में 29 करोड़ किसान आवेदन बीमित हो चुके हैं और  हर वर्ष  5.5 करोड़ से अधिक किसान इस योजना से जुड़ रहे हैं। फसल नुकसान की स्थिति  में  किसानों को दावों का भुगतान कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। अब तक इस योजना के अंतर्गत 90 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को दावों के रूप में किया जा चुका है।  कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाऊन के तीन महीने के काल में लगभग 70 लाख किसानों के 8741 करोड़ रुपए से ज्यादा दावों का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों  के माध्यम से किया  है।  पूर्व योजनाओं  में बीमित राशि 15,100 रूपए  प्रति हैक्टेयर थी जो  बढ़कर इस योजना में 40,700 रूपए  प्रति हैक्टेयर हो गई है। पूर्व योजना में  गैर-ऋणी किसान के  नामांकन की हिस्सेदारी 6प्रतिशत  से बढ़कर इस योजना के अंतर्गत  2019-20 में 37 प्रतिशत हो गई है । प्रधानमंत्री फसल बीमा  योजना के अंतर्गत अतिरिक्त कवर के प्रावधान के कारण  किसानों को विशेष क्षतिपूॢत का लाभ हुआ है, उदाहरण स्वरूप राजस्थान में हुआ टिड्डी हमला, कर्नाटक और तमिलनाडु  में सीजन के मध्य में आई आपदा अथवा महाराष्ट्र में फसल कटाई के बेमौसमी वर्षा से फसल में हुए नुकसान में किसानों को उचित मुआवजा मिला है। 

 

भविष्य में इस योजना के और बेहतर कार्यान्वयन के लिए हमारी सरकार वचनबद्ध है।  सरकार द्वारा दावों की पारदॢशता, किसानों की जागरूकता, बेहतर शिकायत निवारण प्रक्रिया एवं त्वरित दावा निपटान पर और अधिक ध्यान दिया जाएगा। फसल उपज के आकलन के लिए तकनीक का व्यापक उपयोग किया जाएगा तथा राष्ट्रीय फसल  बीमा पोर्टल  के साथ राज्यों की  भूमि रिकॉर्ड को जोडऩे की प्रक्रिया तेज गति से की जाएगी।  यह योजना  प्राकृतिक आपदा की स्थिति में फसलों के होने वाले नुक्सान की भरपाई के साधन के रूप में काम करती है। इसलिए मैं चाहूंगा कि सभी किसान भाई-बहन योजना के स्वैच्छिक होने के बावजूद भी इस योजना से अधिक संख्या में जुड़ें। इस योजना से जुडऩा मतलब संकट काल में आत्मनिर्भर होना है और हमारा सपना भी  हर अन्नदाता को पूर्ण आत्मनिर्भर बनाना है।    

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!