कट्टरपंथी मुस्लिम शरणार्थियों से यूरोप में बढ़ी मुसीबतें

Edited By ,Updated: 26 Dec, 2023 05:02 AM

radical muslim refugees increase troubles in europe

यूरोपीय यूनियन के सदस्य देश लोकतांत्रिक, मानवाधिकारों की वकालत और उदारवादी चेहरा दिखाने के कारण मुस्लिम शरणार्थी मुसीबत में फंस गए हैं। शरण लेने वाले मुस्लिम शरणार्थियों पर कट्टरपन हावी है। इन देशों  के कानून मानने की बजाय शरणार्थी अपराधों में शामिल...

यूरोपीय यूनियन के सदस्य देश लोकतांत्रिक, मानवाधिकारों की वकालत और उदारवादी चेहरा दिखाने के कारण मुस्लिम शरणार्थी मुसीबत में फंस गए हैं। शरण लेने वाले मुस्लिम शरणार्थियों पर कट्टरपन हावी है। इन देशों  के कानून मानने की बजाय शरणार्थी अपराधों में शामिल होने के साथ ही इस्लामी शासन की पैरवी कर रहे हैं। यही वजह है कि न सिर्फ यूरोपीय यूनियन बल्कि उसके कुछ देशों ने साफ तौर पर मुसलमानों से देश छोड़ कर चले जाने को कहा है। इटली की प्रधानमंत्री जिर्योजिया मेलोनी ने इस्लामिक संस्कृति को लेकर कहा कि यूरोप में इसके लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि इस्लामी संस्कृति और हमारी सभ्यता के मूल्यों और अधिकारों के बीच कोई समानता नहीं है और यह एक बड़ी समस्या है।

उन्होंने कहा कि इटली में इस्लामी सांस्कृतिक केंद्रों को सऊदी अरब फंड देता है, जहां शरिया लागू है। यूरोप में हमारी सभ्यता के मूल्यों से बहुत दूर इस्लामीकरण की एक प्रक्रिया चल रही है। इसी तरह ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि वह शरणार्थी सिस्टम में ग्लोबल रिफॉर्म पर जोर देंगे। साथ ही उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि शरणार्थियों की बढ़ती संख्या का खतरा यूरोप के कुछ हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।

मेलोनी की तरह ही नीदरलैंड का प्रधानमंत्री बनते ही इस्लाम विरोधी नेता गीर्ट विल्डर्स ने उन मुसलमानों से देश छोडऩे का आह्वान किया जो धर्मनिरपेक्ष कानूनों से अधिक कुरान को महत्व देते हैं। विल्डर्स ने तो यहां तक कह दिया कि हिन्दुओं का समर्थन करूंगा जिन पर केवल हिंदू होने के कारण बंगलादेश, पाकिस्तान में हमला किया जाता है या मारने की धमकी दी जाती है या फिर मुकद्दमा चलाया जाता है।

उन्होंने कहा कि मेरे पास नीदरलैंड के उन सभी मुसलमानों के लिए एक संदेश है जो हमारी स्वतंत्रता, हमारे लोकतंत्र और हमारे मूल मूल्यों का सम्मान नहीं करते हैं, जो कुरान के नियमों को हमारे धर्मनिरपेक्ष कानूनों से अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। विल्डर्स ने कहा कि मुसलमानों की संख्या 7 लाख है और मेरा उन्हें संदेश है, बाहर निकलो। किसी इस्लामिक देश के लिए निकल जाओ। फिर, आप इस्लामी नियमों का आनंद ले सकते हैं। ये उनके नियम हैं, लेकिन हमारे नहीं हैं।

शरणार्थियों की समस्या से गले तक भर चुके यूरोपीय देशों ने अब इस समस्या के समाधान के लिए नया समझौता किया है। यूरोपीय संघ और सदस्य देशों ने प्रवासन और प्रश्रय पर नए समझौते के जरिए अपनी प्रवासन नीति में सुधार करने का फैसला किया है। इसके तहत अनियमित रूप से आ रहे लोगों की त्वरित जांच, सीमा पर डिटैंशन सैंटर बनाना और आवेदन अस्वीकृत होने पर शरणाॢथयों को देश से बाहर करना शामिल है। हालांकि अभी भी 27 सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूरोपीय परिषद और यूरोपीय संसद द्वारा औपचारिक रूप से समझौते को मंजूरी देने की आवश्यकता है। इसके बाद ही यह संभवत: वर्ष 2024 में ब्लॉक की कानूनी प्रक्रियाओं में शामिल हो पाएगा।

गौरतलब है कि साल 2011 में सीरिया में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद लाखों सीरियाई और पड़ोसी मुल्कों से लोग भागकर यूरोप की शरण में आए थे। तभी यूरोपियन यूनियन ने वादा किया कि वह अपने देशों में लगभग 2 लाख रिफ्यूजियों को रखेगा। ग्रीस, इटली और फ्रांस में उस समय सबसे ज्यादा लोग भरे हुए थे। बाकी देश भी लोगों को स्वीकार करने लगे। इसके विपरीत पोलैंड की सरकार ने  कहा था कि शरणाॢथयों को रखना यानी अपनी ही तबाही के लिए बम फिट कर लेना है।

पोलैंड का यह दृष्टिकोण फ्रांस और दूसरे देशों में सही साबित हुआ। एक मुस्लिम युवक की मौत के बाद फ्रांस में जबरदस्त दंगे भड़क उठे। ट्रैफिक पुलिस द्वारा पैरिस में चैकिंग के दौरान नाहेल को पुलिस ने गोली मार दी थी। इस घटना में नाहेल की मौत हो गई थी। पुलिस कर्मियों का इस मामले पर कहना था कि लड़के के पास गाड़ी चलाने का लाइसैंस नहीं था। चैकिंग के दौरान लड़के ने वाहन से ट्रैफिक पुलिस को कुचलने का प्रयास किया जिसके बचाव में लड़के को गोली मारी गई। इससे भड़की ङ्क्षहसा की आग मेें फ्रांस कई दिनों तक जलता रहा।

यूरोपियन इस्लामोफोबिया रिपोर्ट 2022 के मुताबिक पूरे यूरोप में इस्लाम के खिलाफ भावना तेजी से बढ़ रही है। यूरोपीय सरकारें इस्लाम और मुस्लिमों के खिलाफ क्रैकडाऊन चला रही हैं। मस्जिदें बंद की जा रही हैं। इस्लामिक संगठनों पर नकेल कसी जा रही है। फ्रांस और ऑस्ट्रिया की सरकारों ने कट्टरवाद के खिलाफ अभियान के बहाने मस्जिदें बंद करवा दीं।स्विट्जरलैंड  में नई मीनारों के निर्माण पर रोक लगा दी गई।

डेनमार्क में आप्रवासी मुस्लिमों को हर हफ्ते 35 घंटे सिर्फ देश की संस्कृति और परंपराएं सिखाई जाती हैं। ऑस्ट्रिया और फ्रांस में इस्लामिक अलगाववाद और पॉलिटिकल इस्लाम को पारिभाषित किए बिना ही इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता दिया गया है। धार्मिक कट्टरपन और दूसरे देशों के कानून को नहीं मानने के कारण आने वाले वक्त में मुसलमानों को ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। -योगेन्द्र योगी

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